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Chandigarh- विकास दर से ज्यादा है ऋण वृद्धि की दर, सरकार बताए कहां खर्च हुआ इतना कर्ज: हुड्डा


𝐅𝐨𝐫𝐦𝐞𝐫 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 𝐚𝐧𝐝 𝐋𝐞𝐚𝐝𝐞𝐫 𝐨𝐟 𝐎𝐩𝐩𝐨𝐬𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐁𝐡𝐮𝐩𝐢𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐒𝐢𝐧𝐠𝐡 𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐡𝐚𝐬 𝐚𝐜𝐜𝐮𝐬𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐁𝐉𝐏-𝐉𝐉𝐏 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐨𝐟 𝐩𝐮𝐬𝐡𝐢𝐧𝐠 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐧 𝐚 𝐝𝐞𝐛𝐭 𝐭𝐫𝐚𝐩. 𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐰𝐫𝐨𝐧𝐠 𝐞𝐜𝐨𝐧𝐨𝐦𝐢𝐜 𝐩𝐨𝐥𝐢𝐜𝐢𝐞𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐡𝐚𝐯𝐞 𝐩𝐮𝐬𝐡𝐞𝐝 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐭𝐨𝐭𝐚𝐥 𝐝𝐞𝐛𝐭 𝐨𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐭𝐨 𝐑𝐬 𝟑,𝟏𝟏,𝟕𝟕𝟗 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞 𝐚𝐧𝐝 𝐞𝐯𝐞𝐫𝐲 𝐡𝐨𝐮𝐬𝐞𝐡𝐨𝐥𝐝 𝐢𝐧 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐡𝐚𝐬 𝐚 𝐝𝐞𝐛𝐭 𝐨𝐟 𝐚𝐛𝐨𝐮𝐭 ₹𝟔,𝟎𝟎,𝟎𝟎𝟎.



 हाइलाइट्स

  • बीजेपी-जेजेपी सरकार ने हरियाणा के हर परिवार पर चढ़ाया 6,00,000 का कर्ज
  • 10% से घटकर सिर्फ 2% रह गई बिजली उपलब्धता की विकास दर
  • किसानों की मांगे जायज, आंदोलन के दौरान दर्ज सभी केस वापिस ले सरकार
  • किसानों के साथ सिर्फ वादाखिलाफी ही नहीं, बार-बार घोटाले भी कर रही है सरकार
  • किसानों की बढ़ती लागत को देखते हुए कम से कम 400 प्रति क्विंटल गन्ने का रेट दे सरकार
  • युवाओं को नशे और बेरोजगारी के दलदल में धकेल रही है सरकार
चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी-जेजेपी सरकार पर हरियाणा को कर्ज में डूबोने का आरोप लगाया है। हुड्डा का कहना है कि सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते आज प्रदेश पर 𝟑,𝟏𝟏,𝟕𝟕𝟗 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। इसका मतलब यह हुआ कि हरियाणा के हर परिवार पर लगभग 𝟔,𝟎𝟎,𝟎𝟎𝟎 का कर्ज है।

हुड्डा ने इस बात पर भी चिंता जताई कि प्रदेश में ऋण वृद्धि की दर विकास दर से भी ज्यादा है। प्रदेश की ऋण वृद्धि दर 𝟏𝟖% पहुंच गई है। जबकि रिसर्च फर्म इक्रा की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रेस सरकार के दौरान खेती में अग्रणी राज्यों में रहने वाले हरियाणा की बीजेपी जेजेपी कार्यकाल में कृषि विकास दर माइनस 𝟐.𝟓 प्रतिशत तक गिर गई है। 

कृषि विकास दर में हरियाणा टॉप 𝟏𝟎 राज्यों में भी शामिल नहीं है। हरियाणा की औद्योगिक विकास ग्रोथ -𝟏.𝟕% पर पहुंच गई है। सर्विस सेक्टर की बात की जाए तो वहां पर भी हरियाणा बुरी तरह पिछड़ा है। सर्विस सेक्टर की ग्रोथ रेट -𝟔.𝟖% है।

𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐞𝐱𝐩𝐫𝐞𝐬𝐬𝐞𝐝 𝐜𝐨𝐧𝐜𝐞𝐫𝐧 𝐨𝐯𝐞𝐫 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐜𝐭 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐫𝐚𝐭𝐞 𝐨𝐟 𝐜𝐫𝐞𝐝𝐢𝐭 𝐠𝐫𝐨𝐰𝐭𝐡 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐢𝐬 𝐦𝐨𝐫𝐞 𝐭𝐡𝐚𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐫𝐨𝐰𝐭𝐡 𝐫𝐚𝐭𝐞. “𝐓𝐡𝐞 𝐜𝐫𝐞𝐝𝐢𝐭 𝐠𝐫𝐨𝐰𝐭𝐡 𝐫𝐚𝐭𝐞 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐡𝐚𝐬 𝐫𝐞𝐚𝐜𝐡𝐞𝐝 𝟏𝟖%, 𝐰𝐡𝐢𝐥𝐞 𝐚 𝐫𝐞𝐩𝐨𝐫𝐭 𝐛𝐲 𝐫𝐞𝐬𝐞𝐚𝐫𝐜𝐡 𝐟𝐢𝐫𝐦 𝐈𝐂𝐑𝐀 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞𝐬 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐝𝐮𝐫𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐂𝐨𝐧𝐠𝐫𝐞𝐬𝐬 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐠𝐫𝐢𝐜𝐮𝐥𝐭𝐮𝐫𝐚𝐥 𝐠𝐫𝐨𝐰𝐭𝐡 𝐫𝐚𝐭𝐞 𝐨𝐟 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐰𝐚𝐬 𝐚𝐦𝐨𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐥𝐞𝐚𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞𝐬 𝐢𝐧 𝐚𝐠𝐫𝐢𝐜𝐮𝐥𝐭𝐮𝐫𝐞, 𝐛𝐮𝐭 𝐢𝐭 𝐡𝐚𝐬 𝐧𝐨𝐰 𝐟𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧 𝐭𝐨 𝐦𝐢𝐧𝐮𝐬 𝟐.𝟓 𝐩𝐞𝐫𝐜𝐞𝐧𝐭. 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐬 𝐧𝐨𝐭 𝐞𝐯𝐞𝐧 𝐢𝐧𝐜𝐥𝐮𝐝𝐞𝐝 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐭𝐨𝐩 𝟏𝟎 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞𝐬 𝐢𝐧 𝐚𝐠𝐫𝐢𝐜𝐮𝐥𝐭𝐮𝐫𝐞 𝐠𝐫𝐨𝐰𝐭𝐡 𝐫𝐚𝐭𝐞. 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚'𝐬 𝐢𝐧𝐝𝐮𝐬𝐭𝐫𝐢𝐚𝐥 𝐠𝐫𝐨𝐰𝐭𝐡 𝐡𝐚𝐬 𝐫𝐞𝐚𝐜𝐡𝐞𝐝 -𝟏.𝟕%. 𝐓𝐡𝐞 𝐬𝐞𝐫𝐯𝐢𝐜𝐞 𝐬𝐞𝐜𝐭𝐨𝐫 𝐠𝐫𝐨𝐰𝐭𝐡 𝐢𝐬 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐚 𝐬𝐞𝐫𝐢𝐨𝐮𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐛𝐥𝐞𝐦 𝐚𝐬 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐫𝐨𝐰𝐭𝐡 𝐫𝐚𝐭𝐞 𝐨𝐟 𝐬𝐞𝐫𝐯𝐢𝐜𝐞 𝐬𝐞𝐜𝐭𝐨𝐫 𝐢𝐬 -𝟔.𝟖%,” 𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐩𝐨𝐢𝐧𝐭𝐞𝐝 𝐨𝐮𝐭.   

बीजेपी सरकार के 𝟖 साल के कार्यकाल के दौरान हरियाणा में कोई भी मेडिकल कॉलेज, बड़ी यूनिवर्सिटी, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर का संस्थान, नई रेलवे या मेट्रो लाइन, कोई बड़ा उद्योग या परियोजना हरियाणा में नहीं आया। बावजूद इसके सरकार द्वारा लाखों करोड़ का कर्ज लेना समझ से परे है। सरकार को बताना चाहिए कि आखिर इतना कर्ज कहां खर्च हुआ।

हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान हरियाणा में 𝟓 पावर प्लांट स्थापित हुए। इनमें एक न्यूक्लियर प्लांट भी शामिल था। जबकि मौजूदा सरकार के 𝟖 साल में कोई भी पावर प्लांट हरियाणा में नहीं लगा। यहीं वजह है कि हरियाणा में बिजली उपलब्धता की जो विकास दर 𝟏𝟎% थी, वह आज घटकर सिर्फ 𝟐% रह गई है।

किसानों की मांगों का एक बार फिर समर्थन करते हुए हुड्डा ने कहा कि सरकार को आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने चाहिए। ऐसा ना करके सरकार अपने वादे से मुकर रही है। अपना वादा तोड़कर सरकार बार-बार किसानों को सड़क पर आने के लिए मजबूर कर रही है। गठबंधन सरकार ना सिर्फ किसानों के साथ वादाखिलाफी कर रही है, बल्कि बार-बार उनके साथ घोटालों को भी अंजाम दे रही है। क्योंकि हरियाणा में बार-बार धान, बाजरा और सरसों खरीद जैसे घोटाले सामने आने के बाद अब एक बार फिर गेहूं और धान का घोटाला उजागर हुआ है।

दूसरी तरफ बाजरे की खरीद को लेकर सरकार ने किसानों को वायदा किया था कि 𝐌𝐒𝐏 से कम कीमत पर बाजरा बिकने पर किसान के नुकसान की भरपाई भावांतर भरपाई योजना के तहत की जाएगी, लेकिन एक बार फिर बाजरे और मक्का किसानों को धोखा मिला है, एमएसपी से बहुत कम कीमत पर बाजरा और मक्की की खरीद हुई है, किसान भरपाई के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है, गोदामों में रखा हुआ करोड़ों रुपए का गेहूं सड़ गया लेकिन सरकार ने किसी भी जिम्मेदार पदाधिकारी पर कार्रवाई नहीं की। बिना गेट पास के हजारों क्विंटल धान की बिकवाली हुई, बावजूद इसके उच्च पद पर विराजमान किसी भी व्यक्ति की जवाबदेही तय नहीं की गई। 

𝐎𝐧𝐜𝐞 𝐚𝐠𝐚𝐢𝐧 𝐬𝐮𝐩𝐩𝐨𝐫𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐝𝐞𝐦𝐚𝐧𝐝𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬, 𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐬𝐡𝐨𝐮𝐥𝐝 𝐰𝐢𝐭𝐡𝐝𝐫𝐚𝐰 𝐚𝐥𝐥 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐚𝐬𝐞𝐬 𝐟𝐢𝐥𝐞𝐝 𝐝𝐮𝐫𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐠𝐢𝐭𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧. “𝐁𝐲 𝐧𝐨𝐭 𝐝𝐨𝐢𝐧𝐠 𝐬𝐨, 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐠𝐨𝐢𝐧𝐠 𝐛𝐚𝐜𝐤 𝐨𝐧 𝐢𝐭𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐦𝐢𝐬𝐞. 𝐁𝐲 𝐛𝐫𝐞𝐚𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐢𝐭𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐦𝐢𝐬𝐞, 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐫𝐞𝐩𝐞𝐚𝐭𝐞𝐝𝐥𝐲 𝐟𝐨𝐫𝐜𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐭𝐨 𝐭𝐚𝐤𝐞 𝐭𝐨 𝐬𝐭𝐫𝐞𝐞𝐭𝐬. “𝐓𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐚𝐥𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐧𝐨𝐭 𝐨𝐧𝐥𝐲 𝐛𝐫𝐞𝐚𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐩𝐫𝐨𝐦𝐢𝐬𝐞𝐬 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬, 𝐛𝐮𝐭 𝐢𝐬 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐫𝐮𝐧𝐧𝐢𝐧𝐠 𝐬𝐜𝐚𝐦𝐬 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐭𝐡𝐞𝐦 𝐚𝐠𝐚𝐢𝐧 𝐚𝐧𝐝 𝐚𝐠𝐚𝐢𝐧. 𝐁𝐞𝐜𝐚𝐮𝐬𝐞 𝐚𝐟𝐭𝐞𝐫 𝐫𝐞𝐩𝐞𝐚𝐭𝐞𝐝 𝐬𝐜𝐚𝐦𝐬 𝐥𝐢𝐤𝐞 𝐩𝐮𝐫𝐜𝐡𝐚𝐬𝐞 𝐨𝐟 𝐩𝐚𝐝𝐝𝐲, 𝐦𝐢𝐥𝐥𝐞𝐭 𝐚𝐧𝐝 𝐦𝐮𝐬𝐭𝐚𝐫𝐝 𝐜𝐚𝐦𝐞 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐨𝐫𝐞 𝐢𝐧 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚, 𝐧𝐨𝐰 𝐨𝐧𝐜𝐞 𝐚𝐠𝐚𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐜𝐚𝐦 𝐨𝐟 𝐰𝐡𝐞𝐚𝐭 𝐚𝐧𝐝 𝐩𝐚𝐝𝐝𝐲 𝐡𝐚𝐬 𝐜𝐨𝐦𝐞 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐨𝐫𝐞,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝. “𝐖𝐡𝐞𝐚𝐭 𝐰𝐨𝐫𝐭𝐡 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞𝐬 𝐨𝐟 𝐑𝐮𝐩𝐞𝐞𝐬 𝐤𝐞𝐩𝐭 𝐢𝐧 𝐠𝐨𝐝𝐨𝐰𝐧𝐬 𝐡𝐚𝐬 𝐫𝐨𝐭𝐭𝐞𝐧 𝐛𝐮𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐝𝐢𝐝 𝐧𝐨𝐭 𝐭𝐚𝐤𝐞 𝐚𝐜𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐚𝐠𝐚𝐢𝐧𝐬𝐭 𝐚𝐧𝐲 𝐫𝐞𝐬𝐩𝐨𝐧𝐬𝐢𝐛𝐥𝐞 𝐨𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥. 𝐓𝐡𝐨𝐮𝐬𝐚𝐧𝐝𝐬 𝐨𝐟 𝐪𝐮𝐢𝐧𝐭𝐚𝐥𝐬 𝐨𝐟 𝐩𝐚𝐝𝐝𝐲 𝐰𝐞𝐫𝐞 𝐬𝐨𝐥𝐝 𝐰𝐢𝐭𝐡𝐨𝐮𝐭 𝐠𝐚𝐭𝐞 𝐩𝐚𝐬𝐬𝐞𝐬, 𝐲𝐞𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐜𝐜𝐨𝐮𝐧𝐭𝐚𝐛𝐢𝐥𝐢𝐭𝐲 𝐨𝐟 𝐚𝐧𝐲 𝐩𝐞𝐫𝐬𝐨𝐧 𝐡𝐨𝐥𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐚 𝐡𝐢𝐠𝐡 𝐩𝐨𝐬𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐰𝐚𝐬 𝐧𝐨𝐭 𝐟𝐢𝐱𝐞𝐝,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝.    

हुड्डा ने कहा कि सरकार ने किसानों को वेब पोर्टल के हवाले कर दिया है। ना सरकार ढंग से किसानों की फसल खरीद पा रही है, ना उन्हें एमएसपी, ना वक्त पर पेमेंट मिल रही है। इतना ही नहीं सरकार किसानों की फसल का उचित तरीके से रखरखाव भी नहीं कर पा रही। गन्ने का सीजन शुरू होने के बावजूद सरकार ने अब तक नए भाव का ऐलान नहीं किया है। कांग्रेस की मांग है कि सरकार किसानों की बढ़ती लागत को देखते हुए कम से कम 𝟒𝟎𝟎 प्रति क्विंटल का रेट दे। हैरानी की बात है कि गन्ने की खोई का रेट गन्ने की कीमतों से ज्यादा है, गन्ना प्रति क्विंटल 𝟑𝟔𝟐 रूपये है जबकि खोई 𝟒𝟎𝟎 रूपये प्रति क्विंटल बिक रही है।

𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐡𝐚𝐬 𝐡𝐚𝐧𝐝𝐞𝐝 𝐨𝐯𝐞𝐫 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐭𝐞 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐰𝐞𝐛 𝐩𝐨𝐫𝐭𝐚𝐥. “𝐓𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐧𝐞𝐢𝐭𝐡𝐞𝐫 𝐚𝐛𝐥𝐞 𝐭𝐨 𝐛𝐮𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐫𝐨𝐩𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐩𝐞𝐫𝐥𝐲, 𝐧𝐨𝐫 𝐭𝐡𝐞𝐲 𝐚𝐫𝐞 𝐠𝐞𝐭𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐌𝐒𝐏, 𝐭𝐨 𝐦𝐚𝐤𝐞 𝐦𝐚𝐭𝐭𝐞𝐫𝐬 𝐰𝐨𝐫𝐬𝐞, 𝐭𝐡𝐞𝐲 𝐚𝐫𝐞 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐧𝐨𝐭 𝐠𝐞𝐭𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐩𝐚𝐲𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐨𝐧 𝐭𝐢𝐦𝐞. 𝐓𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐮𝐧𝐚𝐛𝐥𝐞 𝐭𝐨 𝐦𝐚𝐢𝐧𝐭𝐚𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐫𝐨𝐩𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐩𝐞𝐫𝐥𝐲. 𝐃𝐞𝐬𝐩𝐢𝐭𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐫𝐭 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐮𝐠𝐚𝐫𝐜𝐚𝐧𝐞 𝐬𝐞𝐚𝐬𝐨𝐧, 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐡𝐚𝐬 𝐧𝐨𝐭 𝐲𝐞𝐭 𝐚𝐧𝐧𝐨𝐮𝐧𝐜𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐧𝐞𝐰 𝐩𝐫𝐢𝐜𝐞. 𝐓𝐡𝐞 𝐂𝐨𝐧𝐠𝐫𝐞𝐬𝐬 𝐝𝐞𝐦𝐚𝐧𝐝𝐬 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐬𝐡𝐨𝐮𝐥𝐝 𝐠𝐢𝐯𝐞 𝐚 𝐫𝐚𝐭𝐞 𝐨𝐟 𝐚𝐭 𝐥𝐞𝐚𝐬𝐭 ₹ 𝟒𝟎𝟎 𝐩𝐞𝐫 𝐪𝐮𝐢𝐧𝐭𝐚𝐥 𝐢𝐧 𝐯𝐢𝐞𝐰 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐫𝐢𝐬𝐢𝐧𝐠 𝐢𝐧𝐩𝐮𝐭 𝐜𝐨𝐬𝐭 𝐨𝐟 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝. 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आज सरकार की नीतियों की मार किसान समेत हर वर्ग झेल रहा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआईई) के आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा लगातार बेरोजगारी में टॉप पर बना हुआ है। आज हरियाणा में 𝟑𝟏.𝟖 प्रतिशत बेरोजगारी दर है, जो कि देश में सबसे ज्यादा है।

सरकार की बांड पॉलिसी और फीस बढ़ोतरी के खिलाफ मेडिकल स्टूडेंट्स लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन अहंकार में डूबी सरकार विद्यार्थियों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही। विद्यार्थियों की मांग को कांग्रेस विधानसभा के आने वाले सत्र में उठाएगी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार युवाओं के साथ दुश्मन की तरह व्यवहार कर रही है। इसलिए लगातार युवाओं को बेरोजगारी और नशे की दलदल में धकेला जा रहा है। नशे की वजह से 𝟏 साल के भीतर 𝟖𝟕 युवाओं की मौत हो गई। आज गांव-गांव और शहर-शहर में नशाखोरी के अड्डे स्थापित हो गए हैं। बिना सरकारी संरक्षण के यह सब संभव नहीं है।

हुड्डा ने कहा कि सरकारी विभागों में 𝟏,𝟖𝟐,𝟎𝟎𝟎 पद खाली पड़े हुए हैं। प्रदेश में और भी हजारों पद सृजित करने की आवश्यकता है ताकि प्रदेश के लोगों को सरकारी विभागों में होने वाली असुविधा से छुटकारा दिलवाया जा सके। लेकिन सरकार सीईटी के नाम पर युवाओं से खिलवाड़ कर रही है। उसने बढ़े-लिखे युवाओं को सीईटी और स्क्रीनिंग टेस्ट के जाल में फंसाकर रख दिया है। क्योंकि सरकार युवाओं को रोजगार नहीं, सिर्फ झांसा देना चाहती है।

𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝟏,𝟖𝟐,𝟎𝟎𝟎 𝐩𝐨𝐬𝐭𝐬 𝐚𝐫𝐞 𝐥𝐲𝐢𝐧𝐠 𝐯𝐚𝐜𝐚𝐧𝐭 𝐢𝐧 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐝𝐞𝐩𝐚𝐫𝐭𝐦𝐞𝐧𝐭𝐬 𝐛𝐮𝐭 𝐭𝐡𝐞𝐫𝐞 𝐢𝐬 𝐧𝐨 𝐚𝐭𝐭𝐞𝐦𝐩𝐭 𝐭𝐨 𝐟𝐢𝐥𝐥 𝐭𝐡𝐞𝐬𝐞 𝐩𝐨𝐬𝐭𝐬. “𝐓𝐡𝐞𝐫𝐞 𝐢𝐬 𝐚 𝐧𝐞𝐞𝐝 𝐭𝐨 𝐜𝐫𝐞𝐚𝐭𝐞 𝐭𝐡𝐨𝐮𝐬𝐚𝐧𝐝𝐬 𝐦𝐨𝐫𝐞 𝐩𝐨𝐬𝐭𝐬 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐬𝐨 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐩𝐞𝐨𝐩𝐥𝐞 𝐠𝐞𝐭 𝐬𝐨𝐦𝐞 𝐫𝐞𝐥𝐢𝐞𝐟 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐭𝐡𝐞 𝐢𝐧𝐜𝐨𝐧𝐯𝐞𝐧𝐢𝐞𝐧𝐜𝐞 𝐜𝐚𝐮𝐬𝐞𝐝 𝐢𝐧 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐝𝐞𝐩𝐚𝐫𝐭𝐦𝐞𝐧𝐭𝐬 𝐝𝐮𝐞 𝐭𝐨 𝐬𝐭𝐚𝐟𝐟 𝐬𝐡𝐨𝐫𝐭𝐚𝐠𝐞𝐬. 𝐁𝐮𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐩𝐥𝐚𝐲𝐢𝐧𝐠 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐭𝐡𝐞 𝐲𝐨𝐮𝐭𝐡 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐧𝐚𝐦𝐞 𝐨𝐟 𝐂𝐄𝐓. 𝐈𝐭 𝐡𝐚𝐬 𝐭𝐫𝐚𝐩𝐩𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐰𝐞𝐥𝐥-𝐞𝐝𝐮𝐜𝐚𝐭𝐞𝐝 𝐲𝐨𝐮𝐭𝐡 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐰𝐞𝐛 𝐨𝐟 𝐂𝐄𝐓 𝐚𝐧𝐝 𝐬𝐜𝐫𝐞𝐞𝐧𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐞𝐬𝐭 𝐚𝐧𝐝 𝐢𝐭 𝐢𝐬 𝐜𝐥𝐞𝐚𝐫 𝐭𝐨 𝐞𝐯𝐞𝐫𝐲𝐨𝐧𝐞 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐝𝐨𝐞𝐬 𝐧𝐨𝐭 𝐰𝐚𝐧𝐭 𝐭𝐨 𝐩𝐫𝐨𝐯𝐢𝐝𝐞 𝐞𝐦𝐩𝐥𝐨𝐲𝐦𝐞𝐧𝐭, 𝐢𝐭 𝐨𝐧𝐥𝐲 𝐰𝐚𝐧𝐭𝐬 𝐭𝐨 𝐠𝐢𝐯𝐞 𝐛𝐥𝐮𝐟𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐲𝐨𝐮𝐭𝐡,” 𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞𝐝. 


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