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𝐘𝐚𝐦𝐮𝐧𝐚𝐧𝐚𝐠𝐚𝐫 𝐍𝐞𝐰𝐬 : लाहौर शहीदी स्थल से आई पवित्र मिट्टी को मस्तक से लगाकर मेयर ने शहीदों को किया नमन

स्विट्जरलैंड के टूरिस्ट मिशेल ने अपने दोस्त सिम्पी मेहता के माध्यम से मेयर हाउस पहुंचाई मिट्टी


मेयर समेत सैकड़ों लोगों ने मस्तक से लगाकर शहीदों को किया नमन




यमुनानगर। NEWS -   शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के भीतर ही फांसी दे दी गई थी। पाकिस्तान के लाहौर स्थित उस स्थान पर आज शादमान पार्क बना हुआ है। सोमवार को हिमाचल प्रदेश के फिल्मी डायरेक्टर सिम्पी मेहता ने तीनों शहीदों के शहीदी स्थल शादमान पार्क से लाई पवित्र मिट्टी को मेयर मदन चौहान को दी। मेयर मदन चौहान ने इस मिट्टी को फूलों से सजी थाली में सजाया और अपने मस्तक पर लगाकर शहीदों को नमन किया। इस दौरान मेयर हाउस पर मौजूद प्रोफेसर श्री प्रकाश, सुरेंद्र चौहान, राजपाल, दिनेश कांबोज समेत सैकड़ों लोगों ने शहीदी स्थल से आई मिट्टी को मस्तक से लगाकर शहीदों को याद किया।


मेयर मदन चौहान ने कहा कि शहीद ए आजम भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को 23 मार्च 1931 की रात को फांसी दे दी गई थी। असल में उन्हें 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी। तीनों क्रांतिकारी शहीदों को देश का चप्पा चप्पा जानने लगा था। उन्हें फांसी की सजा सुनाने के बाद देशवासियों में गहरा आक्रोश था। इसलिए अंग्रेज सरकार को डर था कि कहीं कोई दंगा फसाद न हो जाए। इसलिए अंग्रेजी सरकार ने एक दिन पहले ही लाहौर सेंट्रल जेल में अंदर ही रातों रात उन्हें फांसी दे दी गई। आज वह स्थल पाकिस्तान के लाहौर में है। उस स्थान पर शादमान पार्क है। कुछ दिन पहले हमारे हिमाचल प्रदेश के फिल्म डायरेक्टर सिम्पी मेहता के मित्र स्विटजरलैंड में रह रहे मिशेल पाकिस्तान टूर पर गए थे। भारतवासियों को पाकिस्तान जाने की मनाही है। इसलिए सिम्पी मेहता ने अपने मित्र मिसेल को शहीदी स्थल से मिट्टी लाने को कहा था। जिसके बाद मिसेल ने लाहौर स्थित शहीदी स्थल शादमान पार्क से पवित्र मिट्टी लाकर उन्हें दी।

मेयर मदन चौहान ने पवित्र मिट्टी भेंट करने पर सिम्पी मेहता का आभार जताया। इस दौरान मेयर चौहान ने फूलों से सजी थाली में मिट्टी को सुशोभित किया। मेयर मदन चौहान व मेयर हाउस पहुंचे लोगों ने इस पवित्र मिट्टी को अपने मस्तक से लगाया। मेयर चौहान ने कहा कि आज हम जिस आजाद देश में खुली हवा में सांस ले रहे है। यह सब शहीद ए आजम, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र, लाला लाजपत राय, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान समेत अनेक क्रांतिकारियों के कारण ही संभव हो पाया है। हमें इन्हें कभी भूलना नहीं चाहिए।


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