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𝐏𝐚𝐧𝐜𝐡𝐤𝐮𝐥𝐚 𝐍𝐞𝐰𝐬 : चार्जशीट में चौंकाने वाले बड़े खुलासों पर महिला जूनियर कोच ने कहा सच छुपता नहीं

चंडीगढ पुलिस ने मामले में मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 342, 354, 354ए, 354बी, 506 और 509 के तहत मामला दर्ज किया था !



पंचकूला, डिजिटल डेक्स।। पंचकूला की महिला जूनियर कोच द्वारा मंत्री सरदार संदीप सिंह पर छेड़छाड़ मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद बयान आया सामने। चार्जशीट में चौंकाने वाले बड़े खुलासों पर कहा सच छुपता नहीं।

कहा की चार्जशीट में हुए खुलासों के बाद अब मुख्यमंत्री भी ऐसे मंत्री का कवच बनकर खड़े होने में आज अफ़सोस कर रहे होंगे।

पीड़िता ने मंत्री सरदार संदीप सिंह द्वारा कई बार दुष्कर्म की कोशिश के लगाए आरोप।

कहा कोर्ट में आरोप तय करने की कार्रवाई के दौरान आईपीसी की धारा 376 और 511 को जुड़वाने के लिए उनके वकील करेंगे जिरह।

महिला कोच ने मंत्री सरदार संदीप सिंह द्वारा चैट के माध्यम से आपत्तिजनक फोटो भेजने के भी लगाए आरोप।

वहीं जूनियर महिला कोच ने आज अपने ऊपर हमला होने की भी बात कही।

साथ ही उसने कहा कि उस पर पहले भी कई बार हमला किया गया है और उसे अगर कुछ भी होता है तो उसके जिम्मेदार हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज और डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर होंगे।

साथ ही महिला कोच ने यह आरोप भी लगाया कि मुख्यमंत्री और मंत्री सरदार संदीप सिंह उसे जान से मरवाने की कोशिश कर रहे हैं।

कुछ लोगों द्वारा हथियार दिखाकर डराने और धमकाने के भी आरोप लगाए।

चंडीगढ पुलिस की जांच की सराहना करते हुए पीड़िता ने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस ने सरकार के दबाव के बावजूद भी चार्जशीट में सच लिखा है।

पीड़िता ने कहा कि उसने जो भी तथ्य चंडीगढ़ पुलिस के सामने रखे थे उन सभी तथ्यों पर जांच करते हुए और सबूत को जुटाते हुए चंडीगढ़ पुलिस ने पुख़्ता रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में दाखिल की है।

तत्कालीन स्पोर्ट्स डायरेक्टर आईपीएस पंकज नैन द्वारा जांच में जो बात सामने रखी गई उसे पर पीड़िता ने कहा कि कि वह संतुष्ट है की एक अधिकारी ने सच का साथ दिया।

गौरतलब है कि चार्जशीट सामने आने पर मंत्री संदीप सिंह का जांच में सहयोग न करने और कई बातें झूठी पाए जाने का हुआ है खुलासा।

मंत्री सरदार संदीप सिंह के चंगुल से भागते वक्त महिला कोच को सिर में लगी थी चोट, चार्जशीट में होश उड़ाने वाले खुलासे


पुलिस के मुताबिक संदीप सिंह ने अपने बयान में कहा कि पीड़िता ने इंस्टाग्राम पर दो मार्च 2022 और स्नैपचैट पर एक जुलाई 2022 को मिलने के लिए समय मांगा था। 

वहीं स्टाफ के मुताबिक मंत्री ने पीड़िता को ऑफिस टाइम मे न बुलाकर निजी रूप से मिलने बुलाया था। पुलिस के मुताबिक संदीप सिंह के विरोधाभासी बयान सामने आए।

जूनियर महिला कोच के यौन शोषण मामले में दाखिल चार्जशीट में पुलिस ने कई अहम खुलासे किए हैं।

खास बात यह है कि मामले में फंसे हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के बयान चार्जशीट में मौजूद तथ्यों से मेल नहीं खा रहे।

आरोपी मंत्री के मुताबिक, पीड़िता सीन ऑफ क्राइम (मंत्री की कोठी) पर सिर्फ 15 मिनट ही रुकी थी जबकि कैब सेवा देने वाली कंपनी उबर से प्राप्त जानकारी के अनुसार पीड़िता मंत्री की कोठी में एक घंटे से ज्यादा समय तक मौजूद रही थी।

वहीं, पुलिस के साथ क्राइम सीन का दौरा करने पर पीड़िता ने संदीप सिंह के ऑफिस, उसके साथ जुड़े कमरे, बेडरूम और इससे जुड़े रास्ते की भी पहचान की थी। पुलिस के मुताबिक इससे साफ है कि पीड़िता पहले भी वहां आई थी।

जबकि मंत्री सरदार संदीप सिंह ने अपने दिए बयानों में केवल इतनी ही बात कबूली थी कि उसकी मुलाकात महिला जूनियर कोच से केवल ऑफिस में हुई थी, बेडरूम या केबिन में नहीं।

वहीं, हरियाणा के तत्कालीन खेल निदेशक पंकज नैन के मुताबिक संदीप सिंह पीड़िता में खास दिलचस्पी दिखा रहे थे।

पीड़िता ने उन्हें संदीप सिंह की तीन बार शिकायत की थी।

मामले की अगली सुनवाई चंडीगढ़ कोर्ट में 16 सितंबर को है।

चार्जशीट के मुताबिक पीड़िता सीआरपीसी की धारा 164 के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट को दिए अपने बयान पर कायम रही। कई गवाहों ने पीड़िता के बयान का समर्थन किया।

सीएफएसएल से प्राप्त रिपोर्ट में कुछ चैट, वॉयस और कॉल रिकार्डिंग सामने आईं, जिनसे पता चला कि पीड़िता ने घटना की जानकारी कुछ लोगों को दी थी।

राज मित्तल नामक व्यक्ति से 16 जुलाई को फोन पर बात के बाद कोच ने सिर पर लगी चोट वाली फोटो भी उसे भेजी थी। इसमें कोच के सिर पर बैंडेज लगी थी।

पीड़िता के मुताबिक आरोपी संदीप सिंह से बचने के दौरान उसका सिर टेबल से टकरा गया था, जिससे उसे चोट आई थी।

वहीं, कुछ गवाहों के बयान से निकल कर आया कि मंत्री संदीप सिंह समेत खेल विभाग के अन्य कर्मियों द्वारा पीड़िता का मानसिक शोषण किया जा रहा था।

वहीं, खेल विभाग के कर्मियों के बयान व ऑफिस रिकॉर्ड से पता चला कि किसी प्रभाव के चलते पीड़िता की नियुक्ति में देरी हो रही थी और उसका तबादला पंचकूला से झज्जर किया जा रहा था।

चार्जशीट के मुताबिक पीड़िता के मोबाइल के स्क्रीनशॉट संदीप सिंह को दिखाने पर उन्होंने माना था कि उनकी और पीड़िता की स्नैपचैट पर बात हुई थी।

वहीं, एफआईआर दर्ज होने से तीन दिन पहले 28 दिसंबर 2022 की एक कॉल रिकार्डिंग में भी संदीप सिंह ने माना कि उसमें पीड़िता और उसकी आवाज है।

मंत्री के मुताबिक एक जुलाई 2022 को उनके सेक्टर-7 स्थित सरकारी आवास पर एक संतरी के अलावा तीन से चार सुरक्षाकर्मी और तीन से चार किचन स्टाफ/ कुक मौजूद थे।

चैट से इस बात की तस्दीक हुई कि संदीप सिंह ने पीड़िता को सरकार की ओएसपी पॉलिसी के तहत नियुक्ति में सहायता करने का ऑफर दिया था।

जांच में यह भी पता चला कि जूनियर कोच की नियुक्ति में अनुचित देरी की गई।

सीएफएसएल रिपोर्ट में कोच के मोबाइल फोन की जांच से इंगित होता है कि मंत्री और पीड़िता दोनों आपस में नियमित रूप से संपर्क में थे और उनका रिश्ता प्रोफेशनल बातचीत से आगे था।

हालांकि संदीप सिंह ने इससे इंकार किया था। चार्जशीट में पुलिस ने कहा है कि चैट के स्क्रीनशॉट को लेकर संदीप सिंह ने झूठ बोला, जिससे प्रतीत होता है कि जांच के दौरान ईमानदार नहीं थे।

संदीप सिंह के बयान में दिखा मतभेद

पुलिस के मुताबिक संदीप सिंह ने अपने बयान में कहा कि पीड़िता ने इंस्टाग्राम पर दो मार्च 2022 और स्नैपचैट पर एक जुलाई 2022 को मिलने के लिए समय मांगा था।

वहीं स्टाफ के मुताबिक मंत्री ने पीड़िता को ऑफिस टाइम मे न बुलाकर निजी रूप से मिलने बुलाया था।

रिप्रेजेंटेशन में संदीप सिंह ने कहा कि वह पहली बार पीड़िता से मार्च-अप्रैल 2022 में ताऊ देवी लाल स्टेडियम में मिले थे जबकि बयान में कहा कि मार्च में वह अपने घर पर पीड़िता से मिले थे।

ये भी कहा कि पीड़िता ने उनके पीए से 31 दिसंबर 2021 को बात की थी, मगर बयान में कहा कि इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

संदीप सिंह यह भी नहीं बता पाए कि उन्होंने पीड़िता को मिलने के लिए ऑफिस टाइम छोड़कर देर शाम क्यों बुलाया था?

वही पीड़िता की कई गवाहों से हुई चैट से सामने आया है कि वह काफी मानसिक तनाव में थी।

उसने आरोप लगाया था कि संदीप सिंह ने उसके लिए विपरीत माहौल पैदा कर दिया है।

पीड़िता के मुताबिक आरोपी ने उसका विश्वास जीतने के लिए उसकी नियुक्ति में मदद का प्रस्ताव दिया ताकि वह उससे यौन लाभ पा सके।

पुलिस ने कहा है कि मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी के पीछे तर्क दिया है कि संबंधित घटनाक्रम और पुलिस शिकायत देने में छह महीने का अंतराल था।

बता दें कि पुलिस ने मामले में संदीप सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 342, 354, 354ए, 354बी, 506 और 509 के तहत मामला दर्ज किया था।

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