Type Here to Get Search Results !

ad

ADD


 

𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐃𝐞𝐬𝐤 : सूरजकुंड मेला देश-विदेश की सांस्कृतिक विरासत और हस्तशिल्पियों का महाकुंभ- कंवरपाल

आत्मनिर्भरता के साथ विकसित भारत की परिकल्पना को साकार कर रहा है हरियाणा !



हरियाणा, डिजिटल डेक्स।। हरियाणा के सूरजकुंड 37वें अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला-2024 का भव्य आगाज हुआ, जो 18 फरवरी तक चलेगा।

हरियाणा के पर्यटन एवं विरासत मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला वर्ष 1987 से हर वर्ष आयोजित किए जा रहे इस मेले के सफल आयोजन के लिए सभी टीमें बधाई की पात्र हैं।


कंवरपाल गुर्जर ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि 36 वर्षों से सूरजकुंड शिल्प मेला का आयोजन किया जा रहा है और हर साल इसका आकार बढ़ता जा रहा है।

पिछले कुछ वर्षों में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दूरदर्शी नेतृत्व में यह मेला तेजी से लोकप्रियता के मामले में आगे बढ़ रहा है। 

मुख्यमंत्री के पर्यटन को बढ़ावा देने तथा वैश्विक स्तर तक पहुंचाने के प्रयासों का ही परिणाम है कि विभिन्न देशों की भागीदारी इस मेले में हो रही है। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए सरकार शिल्पकारों को विशेष मंच प्रदान कर रही है। 

इस अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले के अलावा जिला स्तर पर सरस मेले लगाए जाते हैं, जिनमें शिल्पकारों और बुनकरों को अपनी हस्तशिल्पों का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है।

पर्यटन एवं विरासत मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि तंजानिया इस वर्ष के मेले का भागीदार देश है। पिछले साल अक्टूबर में तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन से चर्चा के दौरान दोनों देशों की सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और अधिक विस्तारित करने के महत्व पर सहमति बनी थी। 

इस मेले में आने वाले आगंतुकों को लकड़ी की नक्काशी, मिट्टी के बर्तन और बुनाई सहित जीवंत और रंगीन तंजानिया कला और शिल्प का अनुभव करने का मौका मिलेगा। 

यह तंजानियाई नृत्य, संगीत और व्यंजनों को प्रदर्शित करने का एक अद्भुत मंच है, जिसमें हम भारत और पूर्वी अफ्रीकी तट के बीच सदियों से लोगों के बीच संपर्क के कारण कुछ भारतीय प्रभाव की झलक भी देख सकते हैं। 

इस मेले में भागीदार राष्ट्र के रूप में तंजानिया की भागीदारी अफ्रीकी संघ के साथ भारत की मजबूत भागीदारी को उजागर करती है।

मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि इस वर्ष के मेले के साझेदार राज्य गुजरात की कला, परंपरा देखते ही बनती है। गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों से आए शिल्पकरों व कलाकारों के माध्यम से राज्य की जीवंत कला देखने को मिलेगी। 

उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेड इस वर्ष के मेले के सांस्कृतिक भागीदार हैं। हमारे शिल्पकारों ने देश की कला विरासत को संजो कर रखा है। इसके लिए सभी शिल्पकार सराहना के पात्र हैं।

पर्यटन एवं विरासत मंत्री ने कहा कि यह मेला हमारी सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है। यह मेला हमारी परंपरा का उत्सव भी है और नवीनता का भी। 

यह मेला हमारे शिल्पकारों को कला प्रेमियों से जोड़ने का प्रभावी मंच है। यह मेला कला प्रदर्शनी भी है और व्यापार केंद्र भी है। 

उन्होंने कहा कि इस मेले के दौरान 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार होने की उम्मीद है, जो शिल्पकारों व हथकरघा व्यापारियों के लिए आर्थिक दृष्टि से एक बहुत बड़ा मंच है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Post Ad


ADD


 

ads