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𝐏𝐚𝐧𝐜𝐡𝐤𝐮𝐥𝐚 𝐍𝐞𝐰𝐬 : Emergency in India : साल 1975, तारीख 25 जून भारतीय प्रजातांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन- ज्ञानचंद गुप्ता

25 जून 1975 की रात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिफ़ारिश पर देश के तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश में आंतरिक आपातकाल लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर किए, ये फैसला संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत लिया गया !


पंचकूला, डिजिटल डेक्स।।  49 साल पहले यानी 25 जून 1975 को भारत में आपातकाल की घोषणा हुई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आपातकाल लगाने के क़दम को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय कहा जाता है 

पाँच दशक के बाद भी आपातकाल के उस फैसले की गूंज राजनीति में सुनाई देती रहती है और कांग्रेस की विरोधी पार्टियां आपातकाल लगाने के इंदिरा गांधी के फैसले को लेकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश करती रहती हैं


पंचकूला के सेक्टर एक स्थित लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में भारतीय जनता पार्टी पंचकूला द्वारा आज एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें आपातकाल के समय को याद करते हुए उसे समय के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।

इस दौरान हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल, भारतीय जनता पार्टी पंचकूला अध्यक्ष दीपक शर्मा और अन्य कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।

कार्यक्रम के दौरान एक छोटा सा लघु नाटक पेश किया गया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी द्वारा किस तरह से देश में आपातकाल की घोषणा की गई
 

और लोगों के मौलिक अधिकार और विपक्ष के सभी नेताओं को गिरफ्तार या नजर बंद कर दिया गया था और अखबार पर सेंसरशिप लगाई गई।

कार्यक्रम में इमरजेंसी के टाइम में जिन लोगों के साथ अत्याचार हुए थे उन लोगों और उनके परिजनों को सम्मानित भी किया गया।

इस दौरान हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता द्वारा पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि 25 जून 1975 की रात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिफ़ारिश पर देश के तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश में आंतरिक आपातकाल लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर किए।

ये फैसला संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत लिया गया जिसमें देश की सुरक्षा को युद्ध या विदेशी हमले के अतिरिक्त आंतरिक अशांति से ख़तरा होने पर आपातकाल लगाने का प्रावधान है।

लोगों की जबरदस्ती नसबंदी इत्यादि की गई। उसे समय लोगों पर किस तरह से अत्याचार किया गया और लोगों के बोलने की आजादी और लोगों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया था।

इसके अलावा अखबारों पर सेंसरशिप लगा दी गई थी और सरकार के खिलाफ बोलने वालों को जबरदस्ती जेलों में ठूसा जाता था। इस तरह का इतिहास बताने के लिए आज के दिन को याद किया जाता है।

उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस पार्टी द्वारा जो संविधान की दुहाई दी जाती है और कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी संविधान को खत्म कर देगी
 

उसी कांग्रेस द्वारा इमरजेंसी के समय में संविधान की हत्या की गई थी और कई बार संविधान को रौंदा गया, वह पार्टी आज संविधान बचाने की बात करती है। उसी कांग्रेस पार्टी द्वारा कई बार संविधान का अपमान किया गया है।

21 मार्च 1977 को इमरजेंसी समाप्त हो गई। जनता के मन से उतर चुकी इंदिरा गांधा को आम चुनावों में मुंह तोड़ जवाब मिला। आम चुनाव में उन्हें और उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, और जनता पार्टी की सरकार बनी।

इसके साथ ही नगर निगम के कुछ कर्मचारियों पर खनन माफिया द्वारा हमला किया गया था उसे पर पूछे गए सवाल पर हरियाणा विधानसभा स्पीकर द्वारा बताया गया कि पुलिस जांच कर रही है और जो भी दो इस मामले में दोषी होंगे उन पर उचित से उचित कार्रवाई की जाएगी।

लोकसभा में स्पीकर पद के चुनाव के लिए उन्होंने कहा भारतीय जनता पार्टी और एनडीए के स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार ओम बिरला जो आने वाले स्पीकर पद के लिए चुनाव है उसको जीतेंगे।

उन्होंने कहा कि यह परंपरा रही है कि जो जीती हुई पार्टी होती है उस पार्टी से स्पीकर बनता है जिसका सम्मान कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को करना चाहिए।

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