15 दिन खुला रहेगा मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना का पोर्टल, किरायेदार कर सकते हैं आवेदन, 20 साल से किराए पर रह रहे दुकानदार 16 से 30 जुलाई तक कर सकते है पोर्टल पर आवेदन - आयुष सिन्हा
यमुनानगर, डिजिटल डेक्स।। हरियाणा सरकार द्वारा मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के तहत 20 साल व इससे अधिक वर्षाें तक काबिज दुकानदारों को मालिकाना हक देने के लिए सरकार ने दुकानदारों को एक मौका और दिया है।
दुकानों पर अपना मालिकाना हक लेने किराएदारों के लिए सरकार 16 जुलाई से 30 जुलाई तक पोर्टल खोलने का निर्णय लिया है। 20 साल से काबिज दुकानदार दुकानों को अपने नाम कराने के लिए इन 15 दिनों में पोर्टल पर आवेदन कर सकते है। यह जानकारी नगर निगम आयुक्त आयुष सिन्हा ने दी।
उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर 2021 तक जिन शहरी निकायों की दुकानों या मकान पर कब्जे के 20 साल पूरे हो गए थे, ऐसी संपत्ति के कब्जाधारी मालिकाना हक पाने के योग्य हैं। यह योजना 20 साल या इससे अधिक वर्ष के दुकान या मकान के किराएदार, लीजधारक, तहबजारी वालों के लिए है।
मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के तहत ऐसे किराए की दुकानों में व्यवसाय करने वाले दुकानदार दुकानों के मालिक बनने के लिए 16 जुलाई से 30 जुलाई तक पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। पोर्टल बंद होने के बाद कोई आवेदन स्वीकार नहीं होंगे।
निगम क्षेत्र 1545 दुकानदार आते है योजना के दायरे में - शहर की मीरा बाई मार्केट, वर्कशाप रोड, शिवाजी मार्केट, रामपुरा, इंदिरा मार्केट, जवाहर मार्केट, यमुनानगर अनाजमंडी व सब्जी मंडी कन्हैया चौक के नजदीक निगम की दुकानें हैं।
मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के दायरे में 1545 दुकानदार आते हैं। इनमें से कुछ ने दुकानों पर अपना मालिकाना हक ले लिया है। जो पात्र रह गए है, उन्हें संपत्ति पर अपना मालिकाना हक लेने के लिए पोर्टल पर आनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के बाद निगम की ओर से दावे व आपत्तियां ली जाएंगी। उसके बाद अलाटमेंट हो जाएगी। दुकान व अन्य संपत्ति की रजिस्ट्री अपने नाम कराने के लिए कलेक्टर रेट में 20 से 50 फीसदी तक की छूट प्रदान की जाएगी।
आवेदन के लिए ये शर्तें - दुकान या अन्य संपत्ति अपने नाम करवाने के लिए लाभपात्र को योग्यता संबंधित दस्तावेज, साइट प्लान, तल अनुसार निर्मित भवन प्लान स्वयं सत्यापित करके आवेदन के साथ देना होगा। आवेदन के साथ अधिकार को प्रमाणित करने के लिए निगम द्वारा जारी आबंटन पत्र, संपत्ति स्थानांतरण पत्र, वास्तविक आबंटी या उप किराएदारी का समझौता पत्र, संबंधित संपत्ति को प्रमाणित करने वाला निगम का रिकार्ड, किराए की रसीद, बिजली या पानी कनेक्शन की प्रतिलिपि, संबंधित संपत्ति का सेल टैक्स, वेट, जीएसटी में से एक का संबंधित रजिस्ट्रेशन नंबर, आयकर रिटर्न या फायर एनओसी की प्रतिलिपि में से एक लगाना होगा।
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