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कुरुक्षेत्र - संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने का सशक्त माध्यम पवित्र ग्रंथ गीता : ठाकुर

राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने वर्चुअल माध्यम से दी महोत्सव की शुभकामनाएं


City Life Haryana
 कुरुक्षेत्र : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने का सबसे सशक्त माध्यम है। गीता ज्ञान और जीवन कल्याण का ग्रंथ है, जिसके जरिये जीवन को व्यवहारिक बनाया जा सकता है। गीता में जीवन जीने की शैली से लेकर कर्म करने और धर्म पर चलने के तमाम रास्ते हैं, जिनके जरिये मानव अपने जीवन को अध्यात्म व चिंतन के साथ जोड़ सकता है और गीता का अध्यात्मिक अध्ययन किया जा सकता है।

हिमाचल के मुख्यमंत्री कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र एवं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2020 के अंतर्गत कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के श्रीमदभगवद गीता सदन में आयोजित 3 दिवसीय 5वीं अंतर्राष्ट्रीय विचार गोष्‍ठी सतत अस्तित्व एवं श्रीमदभगवद गीता दर्शन के उदघाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।

इससे पहले उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत रूप से शुभांरभ किया। अपने सम्बोधन में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के बारे में कहा कि इस बीमारी ने जहां जीने की परिस्थितियां पूरी तरह बदल दी है वहीं वायरस ने यह संदेश भी दिया है कि मनुष्य ही शक्तिशाली नहीं है, वायरस ने जिन्दगी की बारिकियां बताई भी है और सिखाई भी है। कोविड-19 ने एक और संदेश भी दिया जिसमें लोगों को अपनी माटी के साथ मजबूती के साथ जोडने का काम किया। परिवार कागजों तक ही सीमित रह गया था पर कोविड-19 ने सबको एक साथ घर पर एकत्रित रहने की एहमियत भी बताई।

 मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और आयोजकों को गीता महोत्सव के सफल आयोजन की बधाई भी दी और कहा कि कोविड-19 का समय चल रहा है इसके उपरांत भी बहुत अच्छे तरीके से कोविड-19 की गाईडलाईंस को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का सफल आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि गीता में 720 शलोक और 18 अध्याय है, इन अध्यायों और शलोक मे बताया गया है कि मनुष्य को जीवन में कैसे व्यायवाहरिक होना चाहिए।

 ‘‘पवित्र ग्रंथ गीता के एक-एक शब्द से शिक्षा और संस्कार ग्रहण होते हैं’’

गीता में कहा गया है कि कर्म करो और फल की चिंता मत करो क्योंकि आज के समय में मनुष्य कर्म करने से ज्यादा परिणाम पर ज्यादा सोचता है जबकि उसे अपने कर्म पर ज्यादा विश्वास होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि गीता महोत्सव को गांव-गांव तक ऑन लाईन इन्टरनेट प्रणाली के माध्यम से दिखाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि उन्हें कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर आने का अवसर मिला, इस पावन धरा पर सदियों वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। इन उपदेशों को आज के जीवन में धारने की जरूरत है।


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वीं अंतर्राष्ट्रीय विचार गोष्‍ठी में चंडीगढ से ऑन लाईन प्रणाली के माध्यम से हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की बधाई दी। उन्होंने हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि देव भूमि हिमाचल का महाभारत कालीन से गहरा सम्बंध है, यहां पर अर्जुन ने कठोर तपस्या की थी तथा उन्होंने हिडम्बा मंदिर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र की धरती को सर्वाधिक पावन भूमि माना जाता है, यह भूमि जल, थल, वायु मुक्ति प्रदान करते है।

राज्यपाल ने अपील करते हुए कहा कि आगामी 25 दिसम्बर तक अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया है, इस महोत्सव का घर बैठे ऑन लाईन प्रणाली के माध्यम से आंनद लें। उन्होंने गीता महोत्सव को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का श्रेय हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को दिया। उन्होंने कहा कि आगामी 25 दिसम्बर को प्रदेश में सुशासन दिवस मनाया जाएगा। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड 50 वर्षो से भी अधिक समय से गीता पर काम कर रहा है तथा 48 कोस के सभी तीर्थों पर विकास कार्य किए जा रहे है। राज्यपाल ने इस मौके पर नव वर्ष की शुभकामनाएं भी दी।

प्रदेश के शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि हमारे देश की पहचान अध्यात्मक की पहचान है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई अतिथि देश विदेश से भारत में आता है तो उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश में मुख्यमंत्री मनोहर लाल गीता भेंट करते है। उन्होंने कहा कि पिछले 6 वर्षो में गीता महोत्सव को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है अब यह महोत्सव अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने लगा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का प्रयास है कि हर व्यक्ति को गीता का ज्ञान मिले इसके मध्यनजर इस बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का सीधा प्रसारण ऑन लाईन प्रणाली के माध्यम से गांव-गांव तक लोगों को दिखाया जा रहा है, 21वीं सदी में गीता औषधी के सामान है, गीता का ज्ञान सबको होना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय विचार गोष्‍ठी में जिओ गीता के संस्थापक गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि पिछले 6 वर्षो से कुरुक्षेत्र में परिवर्तन आया है पहले कुरुक्षेत्र को महाभारत की भूमि कहा जाता था लेकिन इसे अब भगवद गीता की भूमि भी कहा जाता है। प्रतिवर्ष गीता महोत्सव का शुभारंभ गीता यज्ञ के साथ होता है और हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का विषय अलग होता है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में भी मनोबल वृद्घि का आधार गीता थी, जब तक मानवीय मूलों का विकास नहीं होता तब तक सारे विकास अधूरे है। उन्होंने कहा कि 25 दिसम्बर को हर घर में दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा इसके तहत ब्रह्मसरोवर के चारों तरफ भी दीपोत्सव का आयेाजन किया जाएगा।

प्रोफेसर डेविड ने कहा कि गीता शक्ति का प्रतीक है, गीता अध्यात्म और शांति का रास्ता है। उन्होंने कहा कि सदियों वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था, इन उपदेशों को आज भी अपने जीवन में धारने की जरूरत है। संगोष्‍ठी में जामिया आलिया जाफरिया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मौलाना कौकब मुजतबा ने गीता के 18 अध्यायों के बारें में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि श्रीमदभगवद गीता भगवान का भेजा हुआ संदेश है। उन्होंने गीता के 66वें शलोक के बारे में विस्तार से बताया। विचार गोष्‍ठी में समाज सेवक आचार्य लोकेश मुनि जी ने कहा कि गीता गं्रथ नहीं बल्कि जीवन का जीता जागता दर्शन है, गीता स्वस्थ जीवन का मूलमंत्र देती है तथा गीता जीवन जीने की कला है।

 

इस अवसर पर गोष्‍ठी में भानूपुर पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य ने कहा कि विश्व में गीता की पूजा हो रही है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता का संदेश दिया था, गीता के सार को जीवन में अपनाना चाहिए। इस गोष्‍ठी में पिछले वर्ष आए हुए शोधपत्रों पर बनी पुस्तक यूनिवर्सल वैलफेयर एंड दॉ इन्टरनल फिलोस्पी आफ भगवद गीता और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्‍ठी पर बनी पुस्तिका सोविनियर पुस्तक का मुख्यातिथि द्वारा विमोचन किया गया।

कार्यक्रम की शुरूआत में राज्यपाल की सचिव व केडीबी की सदस्य सचिव जी अनुपमा ने 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विचार संगोष्‍ठी का परिचय दिया और कहा कि कुरुक्षेत्र की भूमि भारतीय संस्कृति को दर्शाती है, यहां से सरस्वती नदी निकलती है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 25 दिसम्बर तक चलेगा। केडीबी 1968 से स्थापित है और तभी से गीता का प्रचार प्रसार कर रहा है तथा 48 कोस के 134 तीर्थों पर चहुमुखी विकास हो रहा है। कोविड-19 के माध्यनजर इस बार गीता महोत्सव को आनलाईन प्रणाली के माध्यम से पूरे विश्व के लोग देख रहे है। कुरुक्षेत्र के वाईस चांसलर प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया तथा सेमिनार की डायरैक्टर प्रोफेसर मंजुला चौधरी ने आए हुए अतिथियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में मंच का संचालन सहायक प्रोफेसर डा. अशोक शर्मा ने किया।

 

इस अवसर पर आए हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह व शाल भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर सासंद नायब सिंह सैनी, थानेसर के विधायक सुभाष सुधा, मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार कृष्ण कुमार बेदी, उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़, केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबडा, केयूके के रजिस्ट्रार डा. संजीव शर्मा, केडीबी सीईओ अनुभव मेहता, जिला परिषद के चेयरमैन गुरदयाल सुनहेडी, भाजपा के जिला अध्यक्ष राज कुमार सैनी, केडीबी के पूर्व सदस्य सौरभ चौधरी, विजय नरूला सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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