गंदे पानी को सरस्वती चैनल में जाने से रोककर कृषि के लिए किया जाएगा प्रयोग
इसलिए सरकार द्वारा सरस्वती नदी को धरातल पर लेकर आने के लिए पूरी मेहनत से कार्य किया जा रहा है। इसके साथ-साथ सरस्वती के तट पर विभिन्न जगहों पर घाटों का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। इन घाटों का मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हाथों से जनता के सुपुर्द किया जाएगा।
आदि बद्री उदगम स्थल से हरियाणा की माटी से बहने वाली प्राचीनतम सरस्वती नदी को फिर से धरातल पर लाने के लिए हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड का गठन किया गया, इस बोर्ड के गठन के साथ ही सरस्वती नदी के किनारे जितने भी पर्यटन और ऐतिहासिक स्थल है, उन स्थलों को दर्शनीय पर्यटन स्थल बनाने के साथ-साथ अन्य कई परियोजनाओं को शुरु कर इन परियोजनाओं पर काम भी शुरु किया गया है।
उन्होंने कहा कि पवित्र सरस्वती नदी के किनारे पूरे विश्व को शिक्षा और संस्कार मिले। यह सौभाग्य है कि हजारों वर्ष पहले सरस्वती नदी का बहाव कुरुक्षेत्र में रहा और इस पावन धरा पर ही वेदों और पुराणों की रचना की गई। इसलिए इस पवित्र नदी के लुप्त होने के बाद सरस्वती चैनल और सरस्वती नदी के किनारे वर्तमान में स्थित धरोहरों के जिर्णोद्घार का कार्य सबसे पहले किया जा रहा है।
उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच शनिवार को गांव बरगट में सरस्वती के तट पर बन रहे घाट का निरीक्षण करने के उपरांत अधिकारियों से बातचीत कर रहे थे। इसके साथ उपाध्यक्ष ने गांव कसीथल में सरस्वती चैनल के किनारे मंदिर में चल रहे है निमार्ण कार्य का भी निरीक्षण किया है। उन्होंने कहा कि सरस्वती चैनल में गंदे पानी की निकासी को रोकने के लिए तकनीकी अधिकारियों द्वारा काम किया जा रहा है।
इन अधिकारियों से विचार विमर्श करने के उपरांत योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा। इसके लिए सबसे पहले ग्राम पंचायतों को थ्री पौंड सिस्टम गांव में तैयार करने होंगे ताकि गांव में ही गंदे पानी को साफ किया जा सके और इस पानी का कृषि के लिए उपयोग किया जा सके। इससे पानी की बचत होगी और सरस्वती चैनल में भी गंदा पानी नहीं आएगा। इसके लिए गांव के सरपंच को आगे आकर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी और इन कार्यों के लिए सरकार की तरफ से भी हर सम्भव सहयोग किया जाएगा।
इस मौके पर सरपंच सुभाष सैनी, जिला परिषद मेम्बर डिम्पल सैनी, एसडीओ विकास कटारिया, जेई नीरज कुमार, माणक सिंह, हरमेश सैनी, ईश्वर कौशिक आदि मौजूद थे।