आखिर ऐसा किसका दबाव है जिसके कारण 46 दिन से धरना दे रहे किसानों की मांगें नहीं मानी जा रही हैं, सुरजेवाला
- Randeep Singh Surjewala
शर्म कीजिए खट्टर साहेब।क्या कह रहे थे, खट्टर साहेब !
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 10, 2021
‘सरकारी’ महापंचायत तो होकर रहेगी?
ये अन्नदाता हैं। ये किसी वाटर कैनन या आंसू गैस से नहीं डरते।
इन्हें डराइए नहीं। इनकी ज़िंदगी, रोज़ी रोटी मत छीनिये।
तीनों खेती बिल वापस कराइए वरना झोला उठाकर घर जाइए।#किसानों_का_दर्द_समझों #FarmersProtest
जब आप किसान महापंचायत कर रहे हैं तो वहाँ आने से किसानों को ही रोकने का मतलब क्या है?
मतलब साफ़ है-आपको
किसानों से सरोकार न होकर केवल इवेंटबाजी से मतलब है।
याद रखिए, यही हाल रहा तो बिना पुलिस के आपका घर से
निकलना नामुमकिन हो जाएगा।
काले क़ानून वापस
लें।
Randeep Singh Surjewala
खट्टर साहेब की तमाम कोशिशों के बावजूद कैमला में हालात ‘जवान बनाम किसान’ होने से बच गए।खट्टर साहेब की तमाम कोशिशों के बावजूद कैमला में हालात ‘जवान बनाम किसान’ होने से बच गए।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 10, 2021
इतिहास में पहला मौक़ा है जब दूसरे कार्यकाल के सवा साल के भीतर CM का अपने निर्वाचन वाले ज़िले में इतना ज़ोरदार विरोध हुआ है।
जागने का समय है।
आप गाम-राम से बड़े नहीं हैं।
जन भावनाओं को समझें।
इतिहास में पहला मौक़ा है जब दूसरे कार्यकाल के सवा साल के भीतर CM का अपने निर्वाचन वाले ज़िले में इतना ज़ोरदार विरोध हुआ है।
क्या कह रहे थे, खट्टर साहेब ?
‘सरकारी’ महापंचायत तो होकर रहेगी?
ये अन्नदाता हैं। ये किसी वाटर कैनन या आंसू गैस से नहीं डरते। इन्हें डराइए नहीं। इनकी ज़िंदगी, रोज़ी रोटी मत छीनिये।
अब जागने का समय
है खट्टर महोदय!
आप गाम-राम से
बड़े नहीं हैं। जन भावनाओं को समझें।
तीनों खेती बिल
वापस कराइए वरना झोला उठाकर घर जाइए।
पूर्व में दिल्ली में किसान आंदोलन का समर्थन करने जा रहे राजस्थान के किसान भाइयों पर भी हरियाणा पुलिस ने इसी तरह बलप्रयोग किया था। भाजपा शासित राज्य में ऐसी दमनकारी कार्रवाई करने की जगह केंद्र सरकार को किसानों की बात सुनकर अविलंब उनकी मांगें मान लेनी चाहिए। आखिर ऐसा किसका दबाव है जिसके कारण 46 दिन से धरना दे रहे किसानों की मांगें नहीं मानी जा रही हैं।