छात्र व शिक्षक दोनो इसके पक्ष में नहीं है
BY: Ravinder
Saini
-इस योजना पर
हो रहा है कार्य
कोरोना संकट के कारण 30 प्रतिशत सिलेब्स कम
कर दिया गया है। वार्षिक परीक्षा 80 अंको की होनी है।
जबकि 20 अंक मूल्याकंन
परीक्षाओ के आधार पर निर्धारित होगें। 80 अंको की जो परीक्षा
होनी है उसमें से 50 प्रतिशत यानि 40 अंको की परीक्षा ओएमआर सीट के माध्यम से लिए जाने की योजना है।
जिसके लिए मात्र 45 मिनट का समय छात्रो को मिलेगा। वह भी शुरूआत में।
45 मिनट के बाद छात्रो से यह सीट वापिस ले ली जाएगी। फिर एक घंटा 45 मिनट छात्रो को
लिखित परीक्षा के लिए दिए जाएगें। वह भी 40 अंको की है।
-यह है समस्या
छात्रो को ओएमआर परीक्षा का अभ्यास नहीं है और नही पैटर्न के
बारे पूरी जानकारी है। शुरूआत का काफी समय तो पैटर्न को समझने में ही निकल जाएगा।
फिर जो समय बचेगा उसमें 40 प्रश्रो को हल करना
संभव नहीं होगा। विभाग ओएमआर पैटर्न के लिए शुरूआत के 45 मिनट ही निर्धारित
करना चाहता है वह भी सही नहीं है। परीक्षा अप्रैल में होनी है। अब इतना समय भी
अध्यापको के पास नहीं है कि वह ओएमआर पैटर्न की तैयारी करवा सके।
-जगपाल सिंह, जिला सचिव हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ
ओएमआर के लिए 45 मिनट का समय शिक्षा विभाग निर्धारित करना चाहता है। लेकिन अध्यापक संघ का मत है कि यह समय पाबंदी नहीं होनी चाहिए। छात्रो को परीक्षा के लिए पूरे 3 घंटे मिलने चाहिए और ओएमआर सीट भी पूरे तीन घंटे छात्रो के पास ही रहनी चाहिए। बीच में सीट लेना सही नहीं है। इससे छात्र डिस्टर्ब होगें। इसके अलावा ओएमआर सीट के बजाए अगर वैकल्पिक पैटर्न अपनाया जाए तो यह ज्यादा उचित होगा। ओएमआर में गोला बनाने में अधिक समय लगता है लेकिन अगर प्रश्र वैकल्पिक पैटर्न से हल करने होगें तो वह केवल निशान लगा सकता है, जिससे सुविधा होगी।
-शिवकुमार धीमान, उप जिला शिक्षा अधिकारी
ओएमआर पैटर्न को लेकर अभी फाईनल निर्णय नहीं हुआ है। योजना चल
रही है लेकिन परीक्षा कैसे होगी यह तय नहीं है। पेपर ऑनलाईन होगे या फिर ऑफलाईन यह
भी क्लीयर नहीं है। परीक्षा अप्रैल माह में होनी है। विभाग का जो भी निर्णय होगा
उसी अनुसार परीक्षा ली जाएगी।