सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर नागरिक को दोषी साबित करना है नए कानून का मकसद
सरकार ने काटे हजारों राशन कार्ड, गरीब तबके के हकों पर किया कुठाराघाट
जेबीटी भर्ती ना करने का ऐलान करके सरकार ने किया युवाओं के जले पर नमक छिड़कने का काम
इस कानून का मकसद
सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर नागरिक को दोषी साबित करना है। क्योंकि विधेयक
में अपनी जायज मांगों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों से भी वसूली का
प्रावधान है। ये कानून बनने के बाद नागरिकों के लिए सरकार के खिलाफ आवाज उठाना
मुश्किल हो जाएगा।
भूपेंद्र सिंह
हुड्डा ने बताया कि कानून के उदेश्य और कारणों में सरकार ने आमजन में डर पैदा करने
की बात लिखी हई है। विधेयक में प्रदर्शनकारियों की जवबादेही और उनसे वसूली का तो
प्रावधान है। लेकिन इसमें कहीं भी सरकार और पुलिस की जवाबदेही तय नहीं की गई।
विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया। विधेयक पर बहस
के दौरान
गृहमंत्री अनिल
विज ने माना कि किसान आंदोलन के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से पूछा कि अगर खुद
गृहमंत्री ऐसा मानते हैं तो सरकार क्यों लगातार निर्दोष किसानों पर मुकदमे क्यों
दर्ज कर रही है। सरकार को तमाम मुकदमे वापिस लेने चाहिए।
हुड्डा आज कुरुक्षेत्र में कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे थे। इस मौके पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बजट सत्र में प्रदेश के हर वर्ग को निराशा हाथ लगी। क्योंकि मौजूदा सरकार चार्वाक की ‘कर्जा लो, घी पियो’ की नीति पर काम कर रही है। इसकी वजह से प्रदेश की वित्तीय स्थिति ऐसी हो गई है कि बजट का करीब 95 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ कर्ज व ब्याज भुगतान और पेंशन, वेतन व भत्तों के भुगतान में खर्च हो जाता है। इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास के अन्य कार्यों के लिए सरकार के पास कोई बजट नहीं है। इसलिए वित्त मंत्री ने लोगों को कंफ्यूज करने के लिए बजट भाषण को लंबा रखा और सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी की।
लॉकडाउन के बाद डीजल 28 प्रतिशत और राशन 43 प्रतिशत महंगा हो गया। लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें इस बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए बजट में कोई ऐलान किया जाएगा। लेकिन बजट में ना किसान व मजदूरों के लिए कोई योजना थी और ना ही कर्मचारी व व्यापारी के लिए कोई राहत का ऐलान। गरीबों के हकों पर एक और कुठाराघात करते हुए सरकार ने प्रदेश में हजारों राशन कार्ड काटने का काम किया है। इससे हजारों परिवारों को सरकार की तरफ से दिया जाने वाला सस्ता अनाज और दालें मिलने बंद हो जाएंगे।
बेरोजगारी को
रोकने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है। पिछले 2 साल से हरियाणा का युवा पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
झेल रहा है। मुख्यमंत्री ने भविष्य में जेबीटी की कोई भर्ती नहीं करना का ऐलान
करके बेरोजगारों के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। हुड्डा ने बताया कि उनकी
सरकार के दौरान 20 हजार से ज्यादा
जेबीटी की भर्ती निकली थीं। लेकिन बीजेपी सरकार के 6 साल में एक भी जेबीटी की भर्ती नहीं निकाली गई। क्योंकि ये
सरकार लगातार स्कूलों को बंद और नौकरियों को खत्म कर रही है।
सरकार ने एक ही
झटके में 1057 स्कूलों को बंद करने
का ऐलान कर दिया। इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार के दौरान बनाए गए 9 किसान मॉडल स्कूलों को भी इस सरकार ने बंद कर
दिया। प्रदेश में 40 हजार अध्यापकों
की पोस्ट खाली पड़ी हैं। बावजूद इसके सरकार टीचर्स की भर्ती नहीं कर रही है।