Farmers to mark 6 months of stir with ‘Black Day’ today
किसान आंदोलन के 6 माह व केन्द्र सरकार के 7 वर्ष का कार्यकाल
पूरा होने पर किसानो से इसे काले दिवस के रूप में मनाया
City
Life Haryana।रादौर: दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने के अवसर पर संयुक्त
किसान मोर्चे के आह्वान पर आज देशभर में किसान ने 'काला दिवस' मनाया और जगह-जगह धरने-प्रदर्शन किया।
किसानों के इस प्रोटेस्ट को देश की दर्जन भर से ज्यादा विपक्षी पार्टियों ने भी
समर्थन देने का ऐलान किया हुआ था।
किसान आंदोलन के 6 माह व केन्द्र सरकार के 7 वर्ष का कार्यकाल
पूरा होने पर किसानो से इसे काले दिवस के रूप में मनाया। जिसको लेकर भारतीय किसान
यूनियन (रत्तनसिंह मान गुट) व कर्मचारी संगठन के सदस्यों ने रादौर के बुबका चौंक
पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला जलाया।
इसके अलावा किसानों ने गांव कुजंल, दामला, धौडग़, चमरोड़ी व खजूरी में
विरोध प्रदर्शन करते हुए प्रधानमंत्री का पुतला फूंका। इस दौरान किसानों ने अपने
घरों पर काले झंडे भी लगाकर विरोध जताया। इस दौरान किसानों से आंदोलन को और अधिक
मजबूत बनाने के लिए दिल्ली कूच की अपील भी की गई। प्रदर्शन का नेतृत्व जिला प्रधान
सुभाष गुर्जर ने किया।
इस अवसर पर सुभाष गुर्जर ने कहा कि काले कृषि कानूनों के विरोध
में किसान पिछले 6 माह से आंदोलन पर है। 6 माह पहले आज के ही
दिन किसान आंदोलन की शुरूआत हुई थी। वहीं आज ही वह काला दिवस है जिस दिन केन्द्र
में भाजपा सरकार बनी थी। तभी से लेकर अब तक यह सरकार किसानों के विरूद्ध की
नीतियां बना रही है। लगातार किसानों का शोषण किया जा रहा है।
कृषि उपयोगी वस्तुओ के दाम बढ़ाएं जा रहे है। वहीं 3 काले कृषि कानून
जबरन किसानों पर थोपे जा रहे है। जबकि किसान इन कानूनो के पूरी तरह से खिलाफ है।
यह किसानों के विरोध का ही असर है कि व्यापक लहर के बाद भी भाजपा पश्चिम बंगाल में
धराशाही हो गई। लेकिन फिर भी सरकार का यह तानाशाही रवैया बरकरार है। अगर सरकार अब
भी नहीं मानी तो किसान अपने आंदोलन को और अधिक तीव्र करेगें। जिसका खामियाजा सरकार
को भुगतना पड़ेगा। किसान अब दिल्ली कूच भी करेगें। ताकि आंदोलन को और अधिक मजबूती
मिल सके।
मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप नगला, जयपाल चमरोड़ी, उदयसिंह कुजंल, महीपाल चमरोड़ी, धर्मबीर अमलोहा, प्यारेलाल तवंर, बजिन्द्र सिंह, ओमप्रकाश शर्मा, अशोक खजूरी, पप्पु सिलिकलां, अमन शर्मा, ताराचंद बुबका, सुभाष चमरोड़ी
इत्यादि मौजूद थे।