राजनीतिक ड्रामेबाजी और धारा-144
की उल्लंघना
सरकार के प्रतिनिधि और भाजपा के नेता
इनकी धज्जियां उड़ा रहे
मांग कि इन नेताओं पर कानूनसंगत
कार्रवाई की जाए
ममता बैनर्जी ने तो बुधवार सुबह 11
बजे मुख्यमंत्री पद की शपद ली है
हिंसा की घटनाओं के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं
ठहराया जा सकता
अरोड़ा ने कहा कि लोगों को कोरोना के चलते एडवायजरी मानने के लिए कहा जा रहा है और सरकार के प्रतिनिधि और भाजपा के नेता इनकी धज्जियां उड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड के कारण राजनीतिक और धार्मिक गतिविधियां पाबंदी है और आम जनता पर धारा-144 तोडऩे पर जुर्माने लगाए जा रहे हैं और भाजपा नेता सरेआम पुलिस प्रशासन के सामने इन नियमों को तोड़ रहे हैं। उन्होंने मांग कि इन नेताओं पर कानूनसंगत कार्रवाई की जाए। अरोड़ा ने कहा के भाजपा सरकार अपनी विफलताएं छुपाने के लिए इस प्रकार की नौटंकी कर रही है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि भाजपा इस
प्रकार के धरने आयोजित करके बंगाल में टीएमसी को मिले जनादेश का अपमान कर रही है।
मतगणना के बाद बंगाल में हुई हिंसा की निंदा होनी चाहिए,लेकिन
यह भी याद रखना होगा कि जब यह घटनाएं हो रही थी तो उस समय पुलिस प्रशासन चुनाव
आयोग के अधीन थाना कि टीएमसी के शासन के अधीन।
अरोड़ा ने कहा कि ममता बैनर्जी ने तो बुधवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री पद की शपद ली है, इसलिए हिंसा की घटनाओं के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अरोड़ा ने कहा कि अगर भाजपा के सांसदों और विधायकों और अन्य नेताओं को धरना देना ही है तो इस बात के लिए दें कि आमजन को कोरोना के इन विकट हालात में स्वास्थ्य सुविधाएं क्यों नहीं मिल रही। आक्सीजन की कमी, अस्पतालों में बेड ना मिलना, वेक्सीन का अभाव और जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी पर भाजपा नेता चुप्पी साधे बैठे हैं और बेकसूर जनता सांस लेने को भी तरस रही है।
अरोड़ा ने कहा कि कोरोना से जो हालात पैदा हो रहे है, वे एक दिन या महीने के नहीं है, सवा साल होने जा रहा है, लेकिन भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार कोरोना से निपटने के लिए ठोस रणनीति नहीं सकी। उन्होंने कहा कि बुधवार को सोशल मीडिया पर कुरुक्षेत्र के एलएनजेपी अस्पताल के बाहर लगे पोस्टर की फोटो खूब वायरल हुई, जिस पर लिखा था कि कोविड मरीजों के लिए यहां बेड नहीं है। उन्होंने कहा कि अस्पताल के बाहर यह नोटिस किसने लगाया, इसकी जांच होनी चाहिए और भाजपा के नेताओं को अब ड्रामेबाजी छोड़ कर जनता की चिंता करते हुए उनके लिए जरुरी स्वास्थ्य सेवाओं का उचित प्रबंध करना चाहिए।
अरोड़ा ने कहा कि मजदूर दिवस पर एक मई को उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से अपील की थी कि गरीब दिहाड़ीदार प्रत्येक मजदूर परिवार के खातों में मासिक 5 हजार रुपए डाले जाएं। उन्होंने कहा कि अभी तक केंद्र और राज्य सरकार की ओर से तो इस बारे में कोई पहल नहीं हुई, मगर पड़ौसी केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली सरकार ने यह ऐलान दो दिन पहले कर दिया। उन्होंने मांग की कि हरियाणा में आटो चालकों, रिक्शा चालकों, रेहड़ी फड़ी दुकानदारों पर नौकरी करने वालों और छोटे दुकानदारों के खाते में पांच हजार रुपए महीना नगद डाले जाएं। इन लोगों के सामने कोरोनाकाल में गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो चुका है और रोटी के भी लाले पड़ गए हैं।