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Radaur- यमुनानदी : बाढ़ से बचाव हेतु चल रहे कार्य में बरती जा रही लापरवाही

यमुनानदी : किनारों पर तटबंध बनाने में तो लापरवाही हो ही रही है वही तटबंधो को सपोर्ट देने के लिए होने वाले कार्य में भी ढीला रवैया अपनाया जा रहा है. लेकिन अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

  • बाढ़ बचाव कार्य में लापरवाही   
  • करोड़ों रुपए से यमुना नदी के किनारों पर कार्य   
  • अधिकारी मामला उनके संज्ञान में नहीं है   
  • अधिकारी को ठेकेदार की यह लापरवाही दिखाई नहीं देती   
  • जिससे सरकार द्वारा खर्च किए गए करोड़ों रुपए बर्बाद हो जाते हैं


रादौर NEWS करोड़ों रुपए से यमुना नदी के किनारों पर हो रहे बाढ़ बचाव कार्य में लापरवाही बरती जा रही है। ठेकेदार मनमाने तरीके से कार्य का निपटान करने में लगा हुआ है। किनारों पर तटबंध बनाने में तो लापरवाही हो ही रही है वही तटबंधो को सपोर्ट देने के लिए होने वाले कार्य में भी ढीला रवैया अपनाया जा रहा है। लेकिन अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान तो हो रहा है, वहीं दूसरी ओर किसानों व ग्रामीणों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में क्षेत्र के लोगों की मांग है कि बाढ़ बचाव कार्य की वीडियोग्राफी करवा कर जांच करवाई जाए। ताकि भ्रष्टाचार की पोल खुल सके।

 - करोड़ों रुपए से हो रहे हैं बाढ़ बचाव कार्य

यमुनानदी के घाटों पर इन दिनों बाढ़ बचाव कार्य जारी है।आज 30 जून तक ठेकेदारों को यह कार्य पूर्ण करने थे। लेकिन अभी भी 15 से 20 प्रतिशत कार्य पेंडिंग है। हर वर्ष इसी प्रकार करोड़ों रुपए के कार्य इन घाटों पर किए जाते हैं, लेकिन हर वर्ष लापरवाही का आलम इसी प्रकार यहां जारी रहता है। अधिकारी कहने को तो निगरानी रखते हैं लेकिन कार्यो में कोताही जनता को सरेआम दिखती रहती है। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि किसी भी छोटे और बड़े अधिकारी को ठेकेदार की यह लापरवाही दिखाई नहीं देती। जिससे सरकार द्वारा खर्च किए गए करोड़ों रुपए बर्बाद हो जाते हैं।

- कार्य पूरा करने व भ्रष्टाचार के लिए होती है लापरवाही


क्षेत्र के लोगों की माने तो इस प्रकार की लापरवाही जानबूझ कर की जाती है। अंतिम तिथि से पहले ठेकेदार कार्य निपटान के लिए जल्दबाजी करते हैं और पत्थर सही तरीके से व मानकों के अनुसार लगाने के बजाय यूं ही खुले पत्थर किनारों पर डाल दिए जाते हैं। जिससे एक तो ठेकेदार का कार्य जल्दी निपट जाता है और वही भ्रष्टाचार में भी मदद मिल जाती है। यह खुला पत्थर केवल उस समय तक दिखाई देता है जब तक यमुना नदी में पानी ना जाए। थोड़ा सा भी पानी आ जाने पर यह पत्थर पानी के साथ बह जाता है। जिसके बाद न तो कार्य की जांच हो पाती है और ना ही यह साबित हो पाता है कि यहां भ्रष्टाचार हुआ है। जिसका लाभ ठेकेदार व अधिकारी उठाते हैं।

- बाढ़ बचाव कार्य की जांच वीडियोग्राफी के साथ होनी चाहिए

हरियाणा एंटी करप्शन सोसाइटी के अध्यक्ष व अधिवक्ता वरयाम सिंह ने कहा कि हर वर्ष करोड़ों रुपए से बाढ़ बचाव कार्य यमुना नदी के किनारों पर होते हैं,लेकिन करोड़ों रुपए से होने वाले यह कार्य यमुनानदी में पानी आने पर  केवल कुछ ही घंटे की मार झेल पाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह कार्य तय मानकों के अनुसार नहीं किए जाते। ठेकेदार कार्य करते समय मापदंडों के अनुसार मटीरियल का प्रयोग नहीं करता और ना ही उन मापदंडों के अनुसार घाटों पर कार्य होते हैं। केवल कुछ जगह पर पत्थर को सही प्रकार से लगाया जाता है। ताकि दिखाने के लिए ठेकेदार व अधिकारियों के पास प्रमाण रहे। लेकिन अधिकतर जगह पर पत्थर खुले ही फेंक दिए जाते हैं।

  • वरयाम सिंह, हरियाणा एंटी करप्शन सोसाइटी के अध्यक्ष व अधिवक्ता



गुमथला घाट पर भी कुछ इसी प्रकार कार्य हुआ है।तटबंध बनाने के बाद उसकी सपोर्ट के लिए जो कार्य होता है वह सही प्रकार से नहीं हुआ है। ठेकेदार ने तटबंध बनाने के बाद वहां खुले में पत्थर का ढेर लगा दिया है। जिससे पानी आने पर वहां घुमाव बनेगा और पानी का बहाव दूसरी जगह पर नुकसान पहुंचाएगा। इसका खामियाजा किसानों व ग्रामीणों को होगा। वही सरकार द्वारा खर्च किए गए करोड़ों रुपए भी बर्बाद हो जाएंगे। ऐसे में करोड़ों रुपए से होने वाले इस प्रकार के कार्यों की जांच वीडियोग्राफी के साथ होनी चाहिए। ताकि कोताही बरतने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके और सरकार का पैसा भी बर्बाद होने से बचाया जा सके।

वही, सिंचाई विभाग के एसडीओ सतेंद्र कुमार का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। उन्होंने करीब करीब कार्य पूरे करवा दिए हैं। केवल कुछ कार्य ही बाकी है। यह पत्थर ठेकेदार द्वारा खुले में इस प्रकार क्यों डाला गया है जिसकी वह जांच करेंगे। ऐसा हो सकता है कि यह बचा हुआ पत्थर व अन्य मटेरियल है जिसे बाद में प्रयोग में लाया जा सकता है। इसलिए इसे किनारे पर लगाया गया हो। अगर कहीं कोई लापरवाही बरती गई है तो वह नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।



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