गाँव की वास्तविक समस्या
ग्रामीण शेरसिंह, सौरभ, कंवर सिंह, जसबीर सिंह, मोहित, कमल व धर्मपाल ने बताया कि पिछले करीब 6 महीने से उनकी
गलियों में नालियों का गंदा पानी बह रहा है। जिससे गंदी बदबू व मच्छर हो रहे है और
बिमारियों को न्यौता मिल रहा है। बार बार शिकायत करने के बाद भी उनकी इस समस्या का
समाधान नहीं हो रहा है। गांव के लोग इसी गंदे पानी से होकर गुजरते है। शिकायत करने
पर कोई सुनवाई नहीं होती। ग्रामीणों ने जब मामले की शिकायत ट्वीटर के माध्यम से की
तो उस पर भी कार्रवाई करने की बजाए पंचायत सचिव ने उन्हें नसीहत दे डाली। सचिव ने
कहा कि जब वह कोठियों पर पैसा खर्च कर सकते है तो क्या नालियों पर नहीं करवा सकते।
ग्रामीणों का कहना है कि यह सचिव का गैर जिमेंदाराना ब्यान है। अगर ग्रामीणों को
खुद ही सभी कार्य करने है तो कर्मचारियों व विभागो की भी क्या जरूरत है। फिर तो
सरकार को इन विभागो को भी बंद कर देना चाहिएं और कर्मचारियों को नौकरी से हटा देना
चाहिए। कर्मचारी समस्या का समाधान करने की बजाए अपनी जिमेंवारी से बच रहे है। ऐसे
कर्मचारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। एक तरफ तो सरकार स्वच्छता अभियान चला रही है
वहीं दूसरी ओर ऐसे कर्मचारी इस अभियान को भी फेल करने में लगे हुए है। उन्होंने
जिला उपायुक्त से मामले में संज्ञान लेने की मांग की है।
राजेश कुमार, पंचायत सचिव
उन पर लगाया गया आरोप निराधार है। उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं की है। गांव की पंचायती भूमि के यह लोग ठेका भी जमा नहीं करवा रहे है। जब पंचायत फंड में पैसा ही नहीं होगा तो गांव में काम कैसे होगा। फिर भी वह जल्द ही गांव में मौका देखने जाएगें और जो भी हल होगा उसे जल्द से जल्द करवा दिया जाएगा।और ये भी पढ़ें..
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