कुमारी सैलजा
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश सरकार मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसानों से जबरन उनकी बोई गई फसलों की जानकारी भरवाती है। इस पर ब्यौरा न देने वालों की फसल को मंडियों में खरीदने से इंकार करती है। लेकिन, इसी रिकॉर्ड के अनुसार खाद का इंतजाम न करके किसानों को प्रताड़ित कर रही है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि धान की कटाई के बाद जब किसानों को गेहूं की बिजाई के लिए खाद की जरूरत थी तो भी उन्हें खाद की बजाय पुलिस की लाठियां मिली थी। इसके बाद से लगातार तीन महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद उन्हें जरूरत के अनुसार खाद नहीं मिल रही है। अब बारिश के बाद गेहूं में यूरिया की जरूरत है और किसानों को आधार कार्ड दिखा-दिखा कर रुपये खर्चने के बावजूद अपना समय बर्बाद करना पड़ रहा है। इस सभी के पीछे सरकार का मकसद किसानों को आर्थिक तौर से कमजोर करना है।
जींद व हिसार जिले में लगातार लग रही किसानों
की लाइनों से साफ है कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को किसानों से कोई सरोकार नहीं
है। मजबूती से चले किसान आंदोलन की वजह से केंद्र के इशारे पर किसानों को हर मौके
पर परेशानी में डालने के कदम उठाए जा रहे हैं। चाहे मंडियों में धान की खरीद देरी
से शुरू करने का मामला हो या फिर खाद का इंतजाम करने में विफल रहने का या खराबे का
मुआवजा न देने का, ये
सभी सोची-समझी चाल का हिस्सा हैं।
कहा कि जब कृषि विभाग के पास किसानों की फसलों का पूरा ब्यौरा है तो फिर खाद को समय से न मंगवाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। इन अधिकारियों ने सरकार के आदेशों को ही अमलीजामा पहनाया है, इसलिए अब इन्हें बचाया जा रहा है। अधिकारियों को साफ आदेश हैं कि वे किसानों को परेशान करने के अलग-अलग तरीके खोजें। कुमारी सैलजा ने प्रदेश सरकार से यूरिया की कमी को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की।
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