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Radaur- ज्योतिबा फुले राजकीय महाविद्यालय: स्टाफ को बदनाम करने के लिए शिक्षक कर रहा था झूठी शिकायतें, पुलिस केस

मई 2021 में एक शिक्षिका की ओर से एक शिकायत प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री को दी गई. जिसमें कालेज के सामने दुकान करने वाले एक दुकानदार को आपराधिक प्रवृति का व्यक्ति दर्शाया गया.


रादौर NEWS सरकार, मुख्यमंत्री व शिक्षा विभाग के पास लगातार ज्योतिबा फुले राजकीय महाविद्यालय के शिक्षकों की फर्जी शिकायतें हो रही थी। शिकायतों में शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे थे। इस दौरान हुई एक शिकायत में क्षेत्र के सरपंचों को भी शिकायत का समर्थन करते दिखाया गया है जिसमें उनकी मोहर व हस्ताक्षर भी दर्शाए गए। लेकिन जब महाविद्यालय ने अपने स्तर पर कमेटी बनाकर जांच की तो यह शिकायतें झूठी पाई गई। तब महाविद्यालय की ओर से एक शिकायत डीएसपी रादौर को दी गई। जिसमें कालेज के ही एक ऐसे प्राध्यापक पर संदेह जताया गया जिसका महीनों कुछ ही दिन पहले कालेज से तबादला हुआ था। आरोप है कि इसी प्राध्यापक ने कालेज के प्राचार्य का फोन कर भी उन्हें मानसिक रूप से परेशान करने की धमकी दी थी और सभी शिकायतों में शिक्षकों का तबादला करने की मांग की गई थी। इसी आधार पर उसे आरोपी बनाया गया। अब इसी शिकायत पर पुलिस ने करीब 3 महीने बाद आरोपी प्राध्यापक पर धारा 469 470 के तहत मामला दर्ज किया है।

पुलिस को दी शिकायत में कार्यकारी प्राचार्य डा. राजेंद्र कुमार ने बताया कि पिछले काफी समय से उनके कालेज को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी चरण में पहली शिकायत मई 2021 में एक शिक्षिका की ओर से एक शिकायत प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री को दी गई। जिसमें कालेज के सामने दुकान करने वाले एक दुकानदार को आपराधिक प्रवृति का व्यक्ति दर्शाया गया। वहीं उस पर नशे के कार्य में लिप्त होने व पेड़ों का काटने का आरोप भी लगया गया। लेकिन जांच में यह शिकायत झूठी मिली और उस पर किए गए हस्ताक्षर भी जाली मिले है। 21 जून को दोबारा एक शिकायत कालेज के संज्ञान में आई। जिस पर कोई नाम व पता नहीं था। इस शिकायत में दो शिक्षकों के चरित्र पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। लेकिन जिस समय की यह शिकायत की गई थी उस समय लॉकडाऊन था और कालेज बंद था। शिक्षा भी ऑनलाईन चल रही थी। ऐसे में कोई भी कॉलेज नहीं आ रहा था। जिसको लेकर कालेज की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया जिसकी जांच में यह शिकायत झूठी मिली। 3 अगस्त 2021 को एक तीसरी शिकायत संज्ञान में आई। जिस पर एक शिक्षक के हस्ताक्षर स्कैन कर दर्ज किए गए थे। जिन्हें उस शिक्षक ने भी झूठा ठहराया और शिकायत न देने की बात कही। शिकायते करने का सिलसिला नहीं रूका और कुछ दिन बाद एक चौथी शिकायत फिर से की गई। जिसमें इस बार कालेज के प्राचार्य को ही निशाना बनाया गया था। उनके चरित्र पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। उन्हें सरकार विरोधी बताने  का प्रयास किया गया था। जिसे सही साबित करने के लिए शिकायत पर क्षेत्र के सरपंचो की मोहर व हस्ताक्षर भी किए गए थे। 

लेकिन जब कालेज की कमेटी ने सरपंचो से संपर्क किया तो उन्होने ऐसी कोई शिकायत न देने की बात कही

एसडीएम के समक्ष भी उक्त सरपंचों ने इस बात को स्वीकार किया कि यह शिकायतें उनकी ओर से नहीं की गई है। कमेटी ने जब दोबारा इस बारे जांच की तो यह संदेह हुआ कि कालेज का ही एक प्राध्यापक यह शिकायते कर रहा है। क्योंकि उसका तबादला 19 मई को कालेज से हुआ था और उसके बाद ही शिकायतों का दौर शुरू हुआ। सभी शिकायतें भी एक ही तरह की थी। इसी प्राध्यापक ने कालेज के प्रिसिंपल को फोन कर धमकी भी दी थी कि वह उसे मानसिक रूप से परेशान करेगा। इसी कालेज प्रशासन को शक है कि यह शिकायतें कालेज व शिक्षकों को बदनाम करने के लिए दी जा रही है। इसी प्राध्यापक की एक महिला शिक्षिका ने शिकायत मुख्यमंत्री, शिक्षा विभाग व महिला आयोग को भी दी हुई है। जिसका जांच की जा रही है।

राजेंद्र कुमार, प्राचार्य

लगातार कालेज को बदनाम करने के लिए झूठी शिकायतें हो रही थी। जिसमें शिक्षको के चरित्र पर भी गंभीर आरोप लगाए जा रहे थे। कालेज की ओर से जांच कमेटी बनी तो कालेज में ही कार्य कर चुके एक प्राध्यापक पर यह झूठी शिकायतें करने का संदेह हुआ था। उसी आधार पर शिकायत पुलिस को दी गई थी। अब पुलिस के पास ही यह मामला है, वहीं मामले की जांच करेगें।

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