एजूकेटर
डा. परमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के साथ इस समय करीब 600 पियर एजूकेटर जुड़े हुए है। यह पियर एजूकेटर 11 से 19 वर्ष के है। जिनकी जिमेंवारी गांव व स्कूल में अपने हम उम्र साथियो को उनकी समस्याओ से अवगत करवाना है। किशोर अवस्था में कई प्रकार के बदलाव जीवन व शरीर में आते है। लेकिन कुछ समस्याएं ऐसी होती है जिनका जिक्र किशोर अपने माता पिता से भी करने में हिचकिचाते है। ऐसे में यह पियर एजूकेटर उनसे बातचीत करते है और उन्हें समाधान का रास्ता भी दिखाते है। विभाग की ओर से प्रत्येक गांव व स्कूल में एक लड़का व लड़की को पियर एजूकेटर के तौर पर नियुक्त किया जाता है। जिन्हें पोषण, गैर संचालित रोग, लिंग आधारित हिंसा, यौन एवं प्रजनन संबंधित समस्या, मानसिक स्वास्थय व नशा वृति से बचाव विषय पर प्रशिक्षण दिया जाता है, जो वर्ष में एक बार दिया जाता है। इन विषयो को भली प्रकार से समझ लेने के बाद ही यह पियर एजूकेटर अपने उम्र के किशोर किशोरियों को जागरूक करने का कार्य करते है। उनके प्रोत्साहन के लिए विभाग की ओर से उन्हें गैर वित्तीय सहायता भी दी जाती है। उन्होंने कहा कि इस समय कोविड़ का समय चल रहा है। ऐसे में इन एजूकेटरों से इस अभियान में भी मदद ली जा रही है। उन्हें बताया जा रहा है कि वह लोगों को कोविड़ से बचाव व वैक्सीन के प्रति भी जागरूक करे। सरकार की ओर से किशोरों को भी वैक्सीन लगाई जानी शुरू की जा चुकी है। अब पियर एजूकेटर इसमें भी अपनी जिमेंवारी निभा सकते है। वह किशोरो को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करे। इसके अलावा जिन लोगों ने भी अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है उन्हें भी वह प्रेेरित करे और जिनकी दूसरी डोज पेंडिग है उनकी भी पहचान कर उन्हें वैक्सीन लगवाने में मदद करे। इस अवसर पर डा. पल्लवी, डा. शिखा, अश्वनी दत्ता, अंकित बिश्ट, अजीत कुमार इत्यादि उपस्थित थे।
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