𝐓𝐡𝐞 𝐆𝐞𝐧𝐞𝐫𝐚𝐥 𝐒𝐞𝐜𝐫𝐞𝐭𝐚𝐫𝐲 𝐨𝐟 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚𝐧 𝐍𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐂𝐨𝐧𝐠𝐫𝐞𝐬𝐬, 𝐑𝐚𝐧𝐝𝐞𝐞𝐩 𝐒𝐢𝐧𝐠𝐡 𝐒𝐮𝐫𝐣𝐞𝐰𝐚𝐥𝐚 𝐚𝐜𝐜𝐮𝐬𝐞𝐝 𝐁𝐉𝐏-𝐉𝐉𝐏 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐧 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐨𝐟 𝐫𝐨𝐛𝐛𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐡𝐚𝐫𝐝-𝐞𝐚𝐫𝐧𝐞𝐝 𝐦𝐨𝐧𝐞𝐲 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐩𝐞𝐨𝐩𝐥𝐞. “𝐈𝐭 𝐬𝐞𝐞𝐦𝐬 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐩𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫𝐬𝐡𝐢𝐩 𝐨𝐟 𝐊𝐡𝐚𝐭𝐭𝐚𝐫 𝐚𝐧𝐝 𝐃𝐮𝐬𝐡𝐲𝐚𝐧𝐭 𝐂𝐡𝐚𝐮𝐭𝐚 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐦𝐚𝐤𝐞 𝐩𝐞𝐨𝐩𝐥𝐞 𝐨𝐟 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐡𝐨𝐦𝐞𝐥𝐞𝐬𝐬,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार हरियाणा के शहरों व कस्बों में रहने वाले मेहनतकश लोगों से आए दिन लूट, खसूट व वसूली कर दुश्मनी निकाल रही है। लगता है कि खट्टर-दुष्यंत चौटाला की जोड़ी हरियाणा के शहरों व कस्बों में रहने वाले लोगों को घर से बेघर करने पर उतारू है।
चौतरफा भ्रष्टाचार, कुशासन व वित्तीय कुप्रबंधन से खट्टर सरकार ने तरक्कीशील हरियाणा के ‘आर्थिक हालात’ बिहार और यूपी से भी बदतर कर दिए हैं। हरियाणा बनने के 𝟒𝟖 साल बाद 𝟐𝟎𝟏𝟒 में जब खट्टर सरकार बनी, तो प्रदेश पर ₹𝟔𝟖,𝟎𝟎𝟎 करोड़ का कर्ज था, जो इनके 𝟕.𝟓 साल की सरकार में ₹𝟐,𝟎𝟎,𝟎𝟎𝟎 करोड़ को पार कर रहा है। जीएसटी और पेट्रोल-डीज़ल की लूट तथा उससे पैदा हुई महंगाई के चलते उद्योग-धंधे ठप्प हैं, नौकरीपेशा लोगों, आम जनता और गरीबों की कमर पहले ही टूटी पड़ी है, पर खट्टर-दुष्यंत सरकार मरहम लगाने की बजाय अनाप-शनाप टैक्स लगाकर हरियाणवियों को घाव देने में जुटी है।
भाजपा-जजपा सरकार का ताजा ‘‘दानवी फ़रमान’’ अब 𝟏𝟖 फरवरी 𝟐𝟎𝟐𝟐 (संलग्नक 𝐀𝟏) को जारी किया गया है, जिसके मुताबिक..
नगर पालिका, नगर परिषद व नगर निगमों में ‘‘विकास शुल्क’’ अब दस गुना बढ़ाकर ‘‘कलेक्टर रेट’’ का पाँच प्रतिशत कर दिया गया है। यानि अब 𝟏𝟎𝟎 वर्ग गज के मकान का नक्शा पास करवाने के लिए भी ₹𝟏,𝟓𝟎,𝟎𝟎𝟎 से ₹𝟐,𝟎𝟎,𝟎𝟎𝟎 तक फीस देनी पड़ेगी। इससे पहले कांग्रेस सरकार में ‘‘विकास शुल्क’’ नगर पालिका में ₹𝟑𝟎 प्रति वर्ग गज, नगर परिषद में ₹𝟓𝟎 प्रति वर्ग गज, नगर निगम में ₹𝟏𝟎𝟎 प्रति वर्ग गज तथा फरीदाबाद व गुड़गांव नगर निगम में ₹𝟏𝟓𝟎 प्रति वर्ग गज था (संलग्नक 𝐀𝟐)।
अगर किसी शहरी ने पहले से ही मकान बना और नक्शा पास करवा ‘‘विकास शुल्क’’ दे रखा है और यदि वह ‘‘रिवाईज़्ड बिल्डिंग प्लान’’ या ‘‘ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट’’ के लिए दरख्वास्त देगा, तो उसे भी पहले से जमा किया गया विकास शुल्क काटकर नई बढ़ी दरों पर, यानि कलेक्टर रेट पर ‘‘विकास शुल्क’’ जमा करवाना पड़ेगा।
जो इलाके पहले नगर पालिका की सीमा में नहीं आते थे और जहां पहले से ही लोगों ने मकान, दुकान इत्यादि का निर्माण कर रखा है और अब नगर पालिका की बढ़ी हुई सीमा में आ गए हैं, तथा इनमें से कोई मकान मालिक या दुकान मालिक किसी प्रकार की बिल्डिंग प्लान या ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट के लिए दरख्वास्त देगा, तो उसे भी कलेक्टर रेट पर पूरा ‘‘विकास शुल्क’’ जमा करवाना पड़ेगा।