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Chandigarh- वाइन पर आयात शुल्क घटाया गया, 7 रुपये से घटाकर 2 रुपये प्रति बीएल किया

देशी शराब और आईएमएफएस के अधिकांश ब्रांडों के न्यूनतम खुदरा

बिक्री मूल्य में कोई बदलाव नहीं !



चंडीगढ़।। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। नई आबकारी नीति 12 जून,2022 से 11 जून,2023 तक लागू रहेगी।

चालू आबकारी नीति 𝟏𝟏 जून,𝟐𝟎𝟐𝟐 तक लागू है। लगातार दूसरे वर्ष के लिए, लाइसेंस शुल्क के भुगतान में कोई विलम्ब नहीं होगा। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। वित्त वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟎-𝟐𝟏 में 𝟔𝟕𝟗𝟏.𝟗𝟖 करोड़ रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟏-𝟐𝟐 में 𝟕𝟗𝟑𝟖.𝟖 करोड़ रुपये का आबकारी राजस्व एकत्रित हुआ जो कि 𝟏𝟕 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार, वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 में खुदरा क्षेत्र (अधिकतम 𝟒 खुदरा दुकानें शामिल हैं) में ई-निविदा के माध्यम से शराब के ठेकों की नीलामी की जाएगी।

कारोबार की सहुलियत

उन ब्रांडों/लेबलों, जिनमें पिछले वर्ष की तुलना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, को अनुमोदित करने की शक्तियां डीईटीसी को सौंपी गई हैं। कारखानों को त्रैमासिक आधार की बजाय अब वार्षिक आधार पर अतिरिक्त पारियों में संचालन की अनुमति प्रदान की जाएगी। लाइसेंसों का नवीनीकरण करने और मौजूदा बारज़ में अतिरिक्त अंक देने की शक्तियां डीईटीसी को सौंपी गई हैं। नए लेबलों/ब्रांडों का अनुमोदन ऑनलाइन किया जाएगा। सभ्य तरीके से पीने को प्रोत्साहित करने के लिए कम मादक पेयों को बढ़ावा दिया जाएगा।

वाइन पर आयात शुल्क घटाया गया

शराब पर आयात शुल्क 𝟕 रुपये से घटाकर 𝟐 रुपये प्रति बीएल किया गया है। शराब कारखाना स्थापित करने के लिए आशय पत्र का शुल्क 𝟏𝟓 लाख रुपये से घटाकर एक लाख रुपये किया गया है। बार लाइसेंस के शुल्क में कोई वृद्धि नहीं होगी।

मोरनी को उन स्थानों की सूची में जोड़ा गया है, जहां पर्यटन और साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए बार लाइसेंस दिए जा सकते हैं। राज्य में कहीं भी स्थित बार और क्लब अब बार लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं। इसी प्रकार, बार और खुदरा विक्रेता अब अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करके लंबे समय तक अपना संचालन कर सकेंगे।

सीएल और आईएमएफएल का मूल कोटा क्रमश: 𝟏𝟏𝟎𝟎 लाख प्रूफ लीटर और 𝟔𝟓𝟎 लाख प्रूफ लीटर होगा जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 𝟒 प्रतिशत अधिक है।  डिस्टिलरीज को आवंटित देशी शराब का कोई निर्धारित कोटा नहीं होगा। इसलिए लाइसेंसधारकों को किसी भी डिस्टिलरी के ब्रांड चुनने की पूरी आजादी होगी। देशी शराब (सीएल) और आईएमएफएल के थोक लाइसेंसों के लाइसेंस शुल्क में मामूली वृद्धि होगी।

देशी शराब और आईएमएफएस के अधिकांश ब्रांडों के न्यूनतम खुदरा बिक्री मूल्य में कोई बदलाव नहीं

नई नीति में मेट्रो शराब, जिसमें मामूली वृद्धि हुई है, को छोडक़र, देशी शराब और आईएमएफएस के अधिकांश ब्रांडों के न्यूनतम खुदरा बिक्री मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया गया है। गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित करने के लिए अब 𝟗𝟓𝟎 रुपये के मुकाबले 𝟏𝟎𝟓𝟎 रुपये प्रति मामले से कम के एक्स डिस्टिलरी इश्यू प्राइस (ईडीपी) के आईएमएफएल ब्रांडों की बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी।

डिस्टिलर्स, नॉन-डिस्टिलर्स और ब्रुअरीज के थोक लाइसेंस शुल्क को तर्कसंगत बनाया गया है ताकि कम बिक्री वाले ब्रांडों के थोक विक्रेताओं को अपने लाइसेंस कम लाइसेंस शुल्क पर मिल सकें।

इसके अतिरिक्त, अधिकांश आईएमएफएल ब्रांडों के आबकारी शुल्क में कोई वृद्धि नहीं हुई है बल्कि पड़ोसी राज्य से आने वाली चुनौती को दूर करने के लिए 𝟓𝟎𝟎𝟎 रुपये प्रति मामला से अधिक के आईएमएफएल ब्रांड थोड़ा कम आबकारी शुल्क आकर्षित करेंगे।

आयातित विहस्की और वाइन पर आबकारी शुल्क घटाया गया

किसी भी पड़ोसी राज्य से आयातित विदेशी शराब के प्रवाह की किसी भी संभावना को दूर करने के लिए व्हिस्की और वाइन के आबकारी शुल्क को 𝟐𝟐𝟓 रुपये प्रति पीएल/बीएल से घटाकर 𝟕𝟓 रुपये प्रति पीएल/बीएल किया गया है। इसी प्रकार बारों की आपूर्ति के लिए एसेंसमेंट शुल्क को भी कम किया गया है।


आयातित विदेशी शराब पर कम किया गया वैट
आयातित विदेशी शराब पर वैट 𝟏𝟎 प्रतिशत से घटाकर 𝟑 प्रतिशत और देशी शराब, वाइन, बीयरऔर आईएमएफएल आदि के मामले में 𝟏𝟑 प्रतिशत-𝟏𝟒 प्रतिशत से घटाकर 𝟏𝟐 प्रतिशत किया गया है।

किराया कलेक्टर दर का 6 प्रतिशत वार्षिक

शहरी क्षेत्रों में सरकारी एजेंसियों की भूमि का किराया 𝟓𝟎𝟎 मीटर से कम आकार के मामले में कलेक्टर दर का 𝟔 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त, उच्च सुरक्षा वाले होलोग्राम के साथ ट्रक व ट्रैक सिस्टम क्रियान्वित किया जाएगा। सभी डिस्टिलरी और बॉटलिंग प्लांट में फ्लो मीटर लगाए जाएंगे। हाई सिक्योरिटी सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से शराब कारखानों की सुविधाओं की निगरानी की जाएगी। 

शराब की अंतर्राज्यीय आवाजाही के बेहतर नियंत्रण के लिए ट्रांजिट स्लिप शुरू की जाएगी।  सभी शराब के ठेकों और बारज़ में प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनें लगाई जाएंगी। ये उपाय अधिकांश गैर आबकारी भुगतान वाली शराब की जांच करके कर चोरी के मामलों को कम करने में सहायक सिद्घ होंगे।

 





















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