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Radaur- ओवरलोड़ व अवैध खनन को लेकर पुख्ता प्रमाणों के साथ पेश की SDM को 221 पेज की रिर्पोट

सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ चली मुहिम के तहत इन शिकायतों पर बार बार जांच होती रही. लेकिन जब उन्हें लगा कि कार्योलयों के चक्कर लगाने से जल्दी कुछ होने वाला नहीं है तो उन्होंने उच्च न्यायालय जाकर सीबीआई जांच की मांग की.



रादौर, डिजिटल डेक्स।। हरियाणा एंटी करप्शन सोसायटी अध्यक्ष अधिवक्ता वरयामसिंह की ओवरलोड़ व अवैध खनन पर याचिका पर उच्च न्यायालय की डबल बैंच के हस्तक्षेप के बाद स्थानीय प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। 

जांच में शामिल होने के लिए अधिवक्ता वरयामसिंह को मंगलवार को एसडीएम सतिंद्र सिवाच ने कार्यालय बुलाया था। जहां वरयामसिंह ने 221 पेज के लिखित प्रमाण व अन्य कागजात उन्हें सौंपे। वरयामसिंह का कहना है कि लंबे समय से उनके द्वारा किया जा रहा संघर्ष अब रंग ला सकता है।

उन्हें उम्मीद है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की ओर से चलाई जा रही मुहिम के तहत इस मामलें में भी न्याय होगा और अवैध खनन व ओवरलोड़ में लिप्त लोगों व लापरवाह प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

अधिवक्ता वरयामसिंह ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय के बाद प्रशासन की ओर से अवैध खनन व ओवरलोड़ पर जांच शुरू हो गई है। आज उनसे पहले एसडीएम ने डीटीओं, खनन अधिकारी, थाना रादौर व जठलाना प्रभारी को भी बुलाकर मामले बारे जानकारी ली है। 

उन्होंने भी 221 पन्नों की रिर्पोट उनके समक्ष रखी है। जिसमें 2019 से लेकर आज तक के सभी प्रमाण रखे गए है जिनसे साबित हो रहा है कि क्षेत्र में अवैध खनन व ओवरलोड़ हावी है। इसके अलावा विभिन्न विभागों की ओर से जब जब कोई कार्रवाई क्षेत्र में की गई जिससे साबित होता है कि अवैध कार्य चल रहा है 

वह रिर्पोट, मौके की फोटो, मौजिज लोगों के ब्यान जिनमें उन्होंने भी माना है कि इस मामले की सीबीआई जांच जरूरी है, वरिष्ठ नागरिकों की सीएम विंडो की शिकायत पर की गई टिप्पणी व पीडब्लयूडी विभाग के अधिकारियों की वह रिर्पोट जिसमें उन्होंने माना है कि ओवरलोड़ से सड़को को नुकसान पहुंच रहा है इत्यादि पेश किए है।

वरयामसिंह ने बताया कि वह लंबे समय इस मामले को उठा रहे है। कई बार शिकायतें हर कार्यालय में कर चुके है। लेकिन हर बार अधिकारियों ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया और उनकी शिकायतों का दफ्तर दाखिल करवाने का प्रयास किया। 

लेकिन सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ चली मुहिम के तहत इन शिकायतों पर बार बार जांच होती रही। लेकिन जब उन्हें लगा कि कार्योलयों के चक्कर लगाने से जल्दी कुछ होने वाला नहीं है तो उन्होंने उच्च न्यायालय जाकर सीबीआई जांच की मांग की। 

सीबीआई से जांच वह इसलिए करवाना चाहते है क्योंकि इस मामले में ऐसे बड़े चेहरे शामिल है जिनका प्रशासन पर दबाव है और वह अपने दबाव का प्रयोग कर शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होने देते। उन्हें उम्मीद है कि अब इस मामले की सीबीआई जांच भी होगी और प्रशासन की ओर से भी इसमें कार्रवाई की जाएगी।












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