𝐃𝐞𝐬𝐩𝐢𝐭𝐞 𝐬𝐞𝐯𝐞𝐫𝐚𝐥 𝐰𝐚𝐫𝐧𝐢𝐧𝐠𝐬, 𝐁𝐉𝐏-𝐉𝐉𝐏 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐚𝐝𝐨𝐩𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐚 𝐜𝐚𝐬𝐮𝐚𝐥 𝐚𝐭𝐭𝐢𝐭𝐮𝐝𝐞 𝐨𝐧 𝐁𝐁𝐌𝐁 & 𝐒𝐘𝐋: 𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚
𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐬𝐡𝐨𝐮𝐥𝐝 𝐧𝐨𝐭 𝐝𝐢𝐥𝐮𝐭𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞’𝐬 𝐜𝐥𝐚𝐢𝐦 𝐨𝐧 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡: 𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚
न्यूज़, डिजिटल डेक्स।। चंडीगढ़ को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार को राजधानी पर क्लेम कमजोर नहीं करना चाहिए। 60-40 के अनुपात में हरियाणा का चंडीगढ़ पर पूर्ण अधिकार है। अगर इसी अनुपात में हरियाणा को अलग राजधानी बनाने के लिए मुआवजा मिले तो वह लाखों करोड़ों रुपए बनता है।
अगर इसी अनुपात में हरियाणा को मुआवजा और हिंदी भाषी क्षेत्र मिलते हैं तो हरियाणा अपनी अलग राजधानी बनाने के लिए तैयार है। लेकिन मौजूदा सरकार लगातार प्रदेश के अधिकारों पर कुठाराघात करने में लगी है। अपनी ही राजधानी में विधानसभा की जमीन के लिए केंद्र सरकार ने 10 एकड़ जमीन की 500 करोड रुपये की कीमत लगाई है। इससे स्पष्ट है कि सरकार चंडीगढ़ पर हरियाणा के अधिकार को कमजोर कर रही है।
𝐑𝐞𝐬𝐩𝐨𝐧𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐨 𝐚 𝐪𝐮𝐞𝐬𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐫𝐞𝐠𝐚𝐫𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡, 𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐬𝐡𝐨𝐮𝐥𝐝 𝐧𝐨𝐭 𝐝𝐢𝐥𝐮𝐭𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐥𝐚𝐢𝐦 𝐨𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐚𝐩𝐢𝐭𝐚𝐥. “𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐡𝐚𝐬 𝐟𝐮𝐥𝐥 𝐫𝐢𝐠𝐡𝐭𝐬 𝐨𝐯𝐞𝐫 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐫𝐚𝐭𝐢𝐨 𝐨𝐟 𝟔𝟎-𝟒𝟎. 𝐈𝐟 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐠𝐞𝐭𝐬 𝐜𝐨𝐦𝐩𝐞𝐧𝐬𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐚𝐧𝐝 𝐇𝐢𝐧𝐝𝐢 𝐬𝐩𝐞𝐚𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐚𝐫𝐞𝐚𝐬 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐦𝐞 𝐩𝐫𝐨𝐩𝐨𝐫𝐭𝐢𝐨𝐧, 𝐭𝐡𝐞𝐧 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐬 𝐫𝐞𝐚𝐝𝐲 𝐭𝐨 𝐦𝐚𝐤𝐞 𝐢𝐭𝐬 𝐨𝐰𝐧 𝐜𝐚𝐩𝐢𝐭𝐚𝐥,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝.
“𝐓𝐡𝐞 𝐩𝐫𝐞𝐬𝐞𝐧𝐭 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐜𝐨𝐧𝐬𝐭𝐚𝐧𝐭𝐥𝐲 𝐭𝐫𝐲𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐨 𝐰𝐚𝐭𝐞𝐫 𝐝𝐨𝐰𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐫𝐢𝐠𝐡𝐭𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞. 𝐅𝐨𝐫 𝐭𝐡𝐞 𝐥𝐚𝐧𝐝 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐬𝐬𝐞𝐦𝐛𝐥𝐲 𝐢𝐧 𝐢𝐭𝐬 𝐨𝐰𝐧 𝐜𝐚𝐩𝐢𝐭𝐚𝐥, 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐞𝐧𝐭𝐫𝐚𝐥 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐯𝐚𝐥𝐮𝐢𝐧𝐠 𝟏𝟎 𝐚𝐜𝐫𝐞𝐬 𝐨𝐟 𝐥𝐚𝐧𝐝 𝐚𝐭 𝐑𝐬 𝟓𝟎𝟎 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞. 𝐈𝐭 𝐢𝐬 𝐜𝐥𝐞𝐚𝐫 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐝𝐢𝐥𝐮𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚'𝐬 𝐚𝐮𝐭𝐡𝐨𝐫𝐢𝐭𝐲 𝐨𝐯𝐞𝐫 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝.
इसी तरह एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने और प्रदेश से लेकर केंद्र तक में भाजपा की सरकार होने के बावजूद इस फैसले को लागू नहीं करवाया जा रहा। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में भी परंपरागत तौर पर हरियाणा की सदस्यता(सिंचाई) को खत्म कर दिया गया और प्रदेश सरकार चुप्पी साधे बैठी रही। इसीलिए बोर्ड की तरफ से प्रदेश को मिलने वाले पानी और नौकरियों में लगातार कटौती हो रही है।
𝐓𝐚𝐥𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐚𝐛𝐨𝐮𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐝𝐢𝐥𝐮𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐟 𝐫𝐢𝐠𝐡𝐭𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞, 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐝𝐞𝐬𝐩𝐢𝐭𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐒𝐮𝐩𝐫𝐞𝐦𝐞 𝐂𝐨𝐮𝐫𝐭'𝐬 𝐝𝐞𝐜𝐢𝐬𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐧 𝐒𝐘𝐋 𝐚𝐧𝐝 𝐚 𝐁𝐉𝐏 𝐡𝐚𝐯𝐢𝐧𝐠 𝐚 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐧 𝐛𝐨𝐭𝐡 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐚𝐧𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐞𝐧𝐭𝐞𝐫, 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐝𝐞𝐜𝐢𝐬𝐢𝐨𝐧 𝐢𝐬 𝐧𝐨𝐭 𝐛𝐞𝐢𝐧𝐠 𝐢𝐦𝐩𝐥𝐞𝐦𝐞𝐧𝐭𝐞𝐝. 𝐓𝐫𝐚𝐝𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥𝐥𝐲, 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚'𝐬 𝐦𝐞𝐦𝐛𝐞𝐫𝐬𝐡𝐢𝐩 (𝐢𝐫𝐫𝐢𝐠𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧) 𝐢𝐧 𝐁𝐡𝐚𝐤𝐫𝐚 𝐁𝐞𝐚𝐬 𝐌𝐚𝐧𝐚𝐠𝐞𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐁𝐨𝐚𝐫𝐝 𝐰𝐚𝐬 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐚𝐛𝐨𝐥𝐢𝐬𝐡𝐞𝐝 𝐚𝐧𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐬𝐚𝐭 𝐬𝐢𝐥𝐞𝐧𝐭𝐥𝐲. 𝐓𝐡𝐚𝐭 𝐢𝐬 𝐰𝐡𝐲 𝐭𝐡𝐞𝐫𝐞 𝐢𝐬 𝐚 𝐜𝐨𝐧𝐭𝐢𝐧𝐮𝐨𝐮𝐬 𝐜𝐮𝐭 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐰𝐚𝐭𝐞𝐫 𝐚𝐧𝐝 𝐣𝐨𝐛𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐯𝐢𝐝𝐞𝐝 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐛𝐨𝐚𝐫𝐝 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝.
𝐑𝐞𝐬𝐩𝐨𝐧𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐨 𝐚 𝐪𝐮𝐞𝐬𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐫𝐞𝐠𝐚𝐫𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡, 𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐬𝐡𝐨𝐮𝐥𝐝 𝐧𝐨𝐭 𝐝𝐢𝐥𝐮𝐭𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐥𝐚𝐢𝐦 𝐨𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐚𝐩𝐢𝐭𝐚𝐥. “𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐡𝐚𝐬 𝐟𝐮𝐥𝐥 𝐫𝐢𝐠𝐡𝐭𝐬 𝐨𝐯𝐞𝐫 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐫𝐚𝐭𝐢𝐨 𝐨𝐟 𝟔𝟎-𝟒𝟎. 𝐈𝐟 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐠𝐞𝐭𝐬 𝐜𝐨𝐦𝐩𝐞𝐧𝐬𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐚𝐧𝐝 𝐇𝐢𝐧𝐝𝐢 𝐬𝐩𝐞𝐚𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐚𝐫𝐞𝐚𝐬 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐦𝐞 𝐩𝐫𝐨𝐩𝐨𝐫𝐭𝐢𝐨𝐧, 𝐭𝐡𝐞𝐧 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐬 𝐫𝐞𝐚𝐝𝐲 𝐭𝐨 𝐦𝐚𝐤𝐞 𝐢𝐭𝐬 𝐨𝐰𝐧 𝐜𝐚𝐩𝐢𝐭𝐚𝐥,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝.
“𝐓𝐡𝐞 𝐩𝐫𝐞𝐬𝐞𝐧𝐭 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐜𝐨𝐧𝐬𝐭𝐚𝐧𝐭𝐥𝐲 𝐭𝐫𝐲𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐨 𝐰𝐚𝐭𝐞𝐫 𝐝𝐨𝐰𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐫𝐢𝐠𝐡𝐭𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞. 𝐅𝐨𝐫 𝐭𝐡𝐞 𝐥𝐚𝐧𝐝 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐚𝐬𝐬𝐞𝐦𝐛𝐥𝐲 𝐢𝐧 𝐢𝐭𝐬 𝐨𝐰𝐧 𝐜𝐚𝐩𝐢𝐭𝐚𝐥, 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐞𝐧𝐭𝐫𝐚𝐥 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐯𝐚𝐥𝐮𝐢𝐧𝐠 𝟏𝟎 𝐚𝐜𝐫𝐞𝐬 𝐨𝐟 𝐥𝐚𝐧𝐝 𝐚𝐭 𝐑𝐬 𝟓𝟎𝟎 𝐜𝐫𝐨𝐫𝐞. 𝐈𝐭 𝐢𝐬 𝐜𝐥𝐞𝐚𝐫 𝐟𝐫𝐨𝐦 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐝𝐢𝐥𝐮𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚'𝐬 𝐚𝐮𝐭𝐡𝐨𝐫𝐢𝐭𝐲 𝐨𝐯𝐞𝐫 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝.
इसी तरह एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने और प्रदेश से लेकर केंद्र तक में भाजपा की सरकार होने के बावजूद इस फैसले को लागू नहीं करवाया जा रहा। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में भी परंपरागत तौर पर हरियाणा की सदस्यता(सिंचाई) को खत्म कर दिया गया और प्रदेश सरकार चुप्पी साधे बैठी रही। इसीलिए बोर्ड की तरफ से प्रदेश को मिलने वाले पानी और नौकरियों में लगातार कटौती हो रही है।
𝐓𝐚𝐥𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐚𝐛𝐨𝐮𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐝𝐢𝐥𝐮𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐟 𝐫𝐢𝐠𝐡𝐭𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞, 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐝𝐞𝐬𝐩𝐢𝐭𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐒𝐮𝐩𝐫𝐞𝐦𝐞 𝐂𝐨𝐮𝐫𝐭'𝐬 𝐝𝐞𝐜𝐢𝐬𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐧 𝐒𝐘𝐋 𝐚𝐧𝐝 𝐚 𝐁𝐉𝐏 𝐡𝐚𝐯𝐢𝐧𝐠 𝐚 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐧 𝐛𝐨𝐭𝐡 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐚𝐧𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐞𝐧𝐭𝐞𝐫, 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐝𝐞𝐜𝐢𝐬𝐢𝐨𝐧 𝐢𝐬 𝐧𝐨𝐭 𝐛𝐞𝐢𝐧𝐠 𝐢𝐦𝐩𝐥𝐞𝐦𝐞𝐧𝐭𝐞𝐝. 𝐓𝐫𝐚𝐝𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥𝐥𝐲, 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚'𝐬 𝐦𝐞𝐦𝐛𝐞𝐫𝐬𝐡𝐢𝐩 (𝐢𝐫𝐫𝐢𝐠𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧) 𝐢𝐧 𝐁𝐡𝐚𝐤𝐫𝐚 𝐁𝐞𝐚𝐬 𝐌𝐚𝐧𝐚𝐠𝐞𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐁𝐨𝐚𝐫𝐝 𝐰𝐚𝐬 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐚𝐛𝐨𝐥𝐢𝐬𝐡𝐞𝐝 𝐚𝐧𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐬𝐚𝐭 𝐬𝐢𝐥𝐞𝐧𝐭𝐥𝐲. 𝐓𝐡𝐚𝐭 𝐢𝐬 𝐰𝐡𝐲 𝐭𝐡𝐞𝐫𝐞 𝐢𝐬 𝐚 𝐜𝐨𝐧𝐭𝐢𝐧𝐮𝐨𝐮𝐬 𝐜𝐮𝐭 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐰𝐚𝐭𝐞𝐫 𝐚𝐧𝐝 𝐣𝐨𝐛𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐯𝐢𝐝𝐞𝐝 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐛𝐨𝐚𝐫𝐝 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝.
ये
भी पढ़ें..


