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Chandigarh- भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड में सदस्य हरियाणा से नियुक्त किया जाए: CM

𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫, 𝐌𝐚𝐧𝐨𝐡𝐚𝐫 𝐋𝐚𝐥 𝐰𝐡𝐢𝐥𝐞 𝐚𝐭𝐭𝐞𝐧𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝟑𝟎𝐭𝐡 𝐦𝐞𝐞𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐍𝐨𝐫𝐭𝐡𝐞𝐫𝐧 𝐙𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐂𝐨𝐮𝐧𝐜𝐢𝐥, 𝐜𝐡𝐚𝐢𝐫𝐞𝐝 𝐛𝐲 𝐔𝐧𝐢𝐨𝐧 𝐇𝐨𝐦𝐞 𝐚𝐧𝐝 𝐂𝐨𝐨𝐩𝐞𝐫𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫, 𝐀𝐦𝐢𝐭 𝐒𝐡𝐚𝐡 𝐚𝐭 𝐉𝐚𝐢𝐩𝐮𝐫, 𝐬𝐭𝐫𝐨𝐧𝐠𝐥𝐲 𝐫𝐚𝐢𝐬𝐞𝐝 𝐬𝐞𝐯𝐞𝐫𝐚𝐥 𝐢𝐦𝐩𝐨𝐫𝐭𝐚𝐧𝐭 𝐢𝐬𝐬𝐮𝐞𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐒𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐢𝐧𝐜𝐥𝐮𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐒𝐮𝐭𝐥𝐞𝐣-𝐘𝐚𝐦𝐮𝐧𝐚 𝐥𝐢𝐧𝐤 𝐜𝐚𝐧𝐚𝐥, 𝐚𝐩𝐩𝐨𝐢𝐧𝐭𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐨𝐟 𝐦𝐞𝐦𝐛𝐞𝐫𝐬 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐁𝐡𝐚𝐤𝐫𝐚 𝐁𝐞𝐚𝐬 𝐌𝐚𝐧𝐚𝐠𝐞𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐁𝐨𝐚𝐫𝐝 (𝐁𝐁𝐌𝐁), 𝐫𝐞𝐬𝐭𝐨𝐫𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐟 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚'𝐬 𝐬𝐡𝐚𝐫𝐞 𝐢𝐧 𝐏𝐚𝐧𝐣𝐚𝐛 𝐔𝐧𝐢𝐯𝐞𝐫𝐬𝐢𝐭𝐲, 𝐚𝐧𝐝 𝐚 𝐧𝐞𝐰 𝐚𝐝𝐝𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐛𝐮𝐢𝐥𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐟𝐨𝐫 𝐭𝐡𝐞 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐕𝐢𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐒𝐚𝐛𝐡𝐚.  



   By, Rahul Sahajwan

चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक में सतलुज-यमुना लिंक नहर, भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) में सदस्यों की नियुक्ति, पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को बहाल करने और हरियाणा विधानसभा के लिए नए अतिरिक्त भवन सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों को पुरज़ोर तरीके से उठाया। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के साथ-साथ अंतर्राज्यीय तथा केन्द्र व राज्यों के बीच विभिन्न मुद्दों को समयबद्ध ढंग से सुलझाने में सहायक सिद्ध होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्रफल व जनसंख्या की दृष्टि से हरियाणा देश का एक छोटा-सा राज्य है। परन्तु देश की अर्थव्यवस्था में इसका उल्लेखनीय योगदान है। 

राज्य की प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 74 हजार 635 रुपये है, जो देश के बड़े राज्यों में सर्वाधिक है। आर्थिक विकास दर के मानदण्डों पर भी हरियाणा देश के अग्रणी राज्यों में है। उद्योगों को लॉजिस्टिक सुविधा देने में देश में दूसरे तथा उत्तर भारत में पहले स्थान पर है।

एसवाईएल पर पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण कार्य को पूरा करना हरियाणा और पंजाब राज्यों के बीच अत्यंत पुराना और गंभीर मसला है। यह नहर न बनने के कारण रावी, सतलुज और ब्यास का अधिशेष, बिना चैनल वाला पानी पाकिस्तान में चला जाता है। 

हरियाणा को भारत सरकार के 24 मार्च, 1976 के आदेशानुसार रावी-ब्यास के सरप्लस पानी में भी 3.50 मिलियन एकड़ फुट हिस्सा आबंटित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एस.वाई.एल. मुद्दे को हल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा है।

एसवाईएल को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक जल्द आयोजित हो

मनोहर लाल ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उनकी ओर से एक अर्ध-सरकारी पत्र दिनांक 06.05.2022 के माध्यम से केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की दूसरे दौर की बैठक जल्द से जल्द बुलाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने अमित शाह से कहा कि उन्हें भी इस विषय में एक अर्ध-सरकारी पत्र लिखा है, जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित करने का अनुरोध किया गया है। 

मुख्यमंत्री ने बताया कि इससे पहले इस बैठक के लिए उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री को भी 3 अर्ध-सरकारी पत्र लिखे, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। अब चूँकि पंजाब में नई सरकार आ चुकी है। अतः गृहमंत्री से पुनः अनुरोध है कि यह बैठक जल्द करवाएं और उसके निष्कर्ष से सर्वोच्च न्यायालय को भी अवगत करवाया जाए। मनोहर लाल ने जोर देकर कहा कि हरियाणा के लिए यह पानी अत्यंत आवश्यक है। एक तरफ हमें यह पानी नहीं मिल रहा है, जबकि दूसरी तरफ दिल्ली हमसे अधिक पानी की मांग कर रहा है।

भाखड़ा मेन लाइन नहर से हरियाणा को मिल रहा कम पानी

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि हरियाणा को भाखड़ा मेन लाइन नहर से भी लगभग 700-1000 क्यूसेक पानी कम मिल रहा है। इस संबंध में भागीदार राज्यों के प्रमुख अभियंताओं और बी.बी.एम.बी. के अधिकारियों की एक कमेटी ने भी यह पाया है कि बी.एम.एल. के संपर्क बिंदु आर.डी. 390000 पर हरियाणा को पानी का कम वितरण किया गया है। इस कमेटी ने अब हैड से लेकर भागीदार राज्यों के सभी संपर्क बिंदुओं तक संपूर्ण वितरण प्रणाली के लिए गेज/डिस्चार्ज कर्व लगाने के लिए नवीनतम डिस्चार्ज मेजरमेंट तकनीकों के साथ कोई तीसरी एजेंसी नियुक्त करने का सुझाव दिया है। 

इसके अलावा, विभिन्न संपर्क बिंदुओं पर SCADA प्रणाली स्थापित की जा सकती है ताकि सभी भागीदार राज्यों द्वारा गेज से वास्तविक डेटा देखा जा सके। इसलिए पुराने मैनुअल गेज के स्थान पर RTDAS की स्थापना की जाए। बी.बी.एम.बी. ने इस काम को करने के लिए केन्द्रीय जल आयोग से अनुरोध किया है। आयोग को निर्देश दिए जाएं कि वह इसे समयबद्ध ढंग से अगले 2 माह के भीतर पूरा करे।

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड में सदस्य (सिंचाई) हरियाणा से नियुक्त किया जाए

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) में सदस्यों की नियुक्ति के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा राज्य से सदस्य (सिंचाई) का नामांकन पंजाब के सदस्य (विद्युत) की तर्ज पर पिछली परंपरा अनुसार ही जारी रखा जाए। यदि पिछले लगभग 56 वर्षों से चली आ रही प्रक्रियाओं में दखलअंदाजी होती है तो इससे विशेष रूप से सतलुज-ब्यास नदी जल बंटवारे के संदर्भ में हरियाणा के हित प्रभावित होंगे। 

यदि BBMB के पूर्णकालिक सदस्य सहभागी राज्यों से बाहर के होंगे, तो वे स्थानीय मुद्दों और समस्याओं को समझने में सक्षम नहीं होंगे। अतः बोर्ड में सदस्य (सिंचाई) हरियाणा से और सदस्य (बिजली) पंजाब से नियुक्त करने के अतिरिक्त एक तीसरा सदस्य (कार्मिक) भी नियुक्त किया जा सकता है। यह तीसरा सदस्य राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से बारी-बारी से नियुक्त किया जा सकता है।

पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को बहाल करने के लिए नियमों में संशोधन की मांग

मुख्यमंत्री ने उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को बहाल किया जाए और चण्डीगढ़ के साथ लगते हरियाणा के कॉलेजों की सम्बद्धता भी इस विश्वविद्यालय से की जाए। पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा का हिस्सा पंजाब पुनर्गठनअधिनियम, 1966 के तहत प्रदान किया गया था। 

केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 1 नवम्बर, 1973 को एक अधिसूचना जारी कर इसे समाप्त कर दिया गया था। इससे पहले हरियाणा के तत्कालीन अम्बाला जिले के कॉलेज इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध थे। अतः गृह मंत्री से अनुरोध है कि पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा राज्य के हिस्से को बहाल करने के लिए नियमों में संशोधन किया जाए।

मौजूदा विधानसभा भवन में हरियाणा का पूरा हिस्सा दिलवाया जाए

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा विधानसभा के लिए नए अतिरिक्त भवन का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2026 में नया परिसीमन प्रस्तावित है, जिसके आधार पर वर्ष 2029 में लोकसभा व विधानसभा चुनाव होंगे। अनुमान है कि नये परिसीमन में हरियाणा की जनसंख्या के अनुसार विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 126 तथा लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 14 होगी। 

हरियाणा विधानसभा में इस समय 90 विधायक हैं। मौजूदा भवन में इन 90 विधायकों के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान उपलब्ध नहीं है। यही नहीं, इस भवन का विस्तार किया जाना भी संभव नहीं है, क्योंकि यह हैरीटेज बिल्डिंग है। अतः अनुरोध है कि हरियाणा विधानसभा के लिए नया अतिरिक्त भवन बनाने के लिए चंडीगढ़ में पर्याप्त जगह दी जाए। इसके अलावा यह भी अनुरोध है कि मौजूदा भवन में भी हरियाणा का पूरा हिस्सा दिलवाया जाए। लगभग 56 साल बीत जाने के बाद भी हमें अपना पूरा हक नहीं मिला है। 

विधानसभा भवन में 24,630 वर्ग फुट क्षेत्र हरियाणा विधानसभा सचिवालय को दिया गया था। लेकिन हमारे हिस्से में आए 20 कमरे अभी भी पंजाब विधानसभा के कब्जे में हैं। हमारे कर्मचारियों के साथ-साथ विधायकों, मंत्रियों और समितियों की बैठक के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं है। 

अतः हरियाणा विधानसभा के अच्छी तरह से परिचालन के लिए अतिरिक्त भवन बनाने हेतु हमने चंडीगढ़ प्रशासन से भूमि की मांग की है। इसके लिए भूमि की पहचान भी कर ली गई है। गृह मंत्री से अनुरोध है कि इस मामले में दखल देकर हमें हरियाणा विधानसभा के अतिरिक्त भवन के लिए जमीन दिलवाई जाए।

हरियाणा राष्ट्रीय राजमार्ग-105 के शीघ्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध

मनोहर लाल ने कहा कि हम हरियाणा को हिमाचल प्रदेश से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-105 के शीघ्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस परियोजना की लंबाई 31.71 किलोमीटर है, जिसमें से 13.30 किलोमीटर हरियाणा में पड़ता है। हम इस परियोजना को पूरा करने में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का पूरा सहयोग कर रहे हैं। इस परियोजना के लिए 18.6399 हैक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण जिला राजस्व अधिकारी, पंचकूला द्वारा किया जा चुका है। 

भूमि का कब्जा लेने उपरान्त काम शुरू कर दिया गया है। पेड़ काटने और ढांचों को गिराने के लिए अवार्ड्स की घोषणा प्रक्रियाधीन है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से प्रथम चरण की क्लीयरेंस प्राप्त कर ली गई है और दूसरे चरण की क्लीयरेंस भी शीघ्र मिलने की संभावना है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना कार्यक्रम के तहत तीन चरणों में हरियाणा में 1731 किलोमीटर लम्बी सड़कों का निर्माण किया गया है और 175 किलोमीटर लम्बी सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है। इस योजना के तीसरे चरण में हाल ही में 590 किलोमीटर लम्बी और सड़कों के निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इनके कार्य का आवंटन किया जा रहा है।

इको-सेंसिटिव जोन को लेकर चंडीगढ़ द्वारा व्यक्त की गई चिंता हरियाणा के संर्दभ में सही नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में सुखना अभ्यारण्य के आसपास इको-सेंसिटिव जोन में शामिल किए जाने वाले क्षेत्र में लगभग 72 प्रतिशत पहले से ही भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत अधिसूचित वन क्षेत्र है। लगभग 9 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र है, इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है। लगभग 19 प्रतिशत निजी क्षेत्र है, जो पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम की धारा 4 के तहत अधिसूचित है। 

भारतीय वन अधिनियम के तहत अधिसूचित वन क्षेत्र में प्रतिबंध इको-सेंसिटिव जोन के तहत लगाए गए प्रतिबंधों की तुलना में अधिक सख्त हैं। रक्षा क्षेत्र भी किसी अनियोजित विकास के खतरों से सुरक्षित है। निजी क्षेत्र में वृक्षों की कटाई का नियमन विद्यमान है और वन विभाग से स्पष्ट अनुमोदन के बिना कोई पेड़ नहीं काटा जा सकता। इस प्रकार, निजी क्षेत्र में भी प्रतिबंध मौजूद हैं जो अनियोजित गतिविधियों को रोकते हैं। 

उपरोक्त के मद्देनजर, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ द्वारा व्यक्त की गई चिंता हरियाणा के संर्दभ में सही नहीं है। जहां तक हरियाणा की तरफ इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) की अधिसूचना का संबंध है, तो इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार कर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार को जल्द ही भेजा जा रहा है।

सरकार ने व्यवस्था परिवर्तन के माध्यम से सुशासन से सेवा सुनिश्चित की

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने व्यवस्था परिवर्तन के माध्यम से सुशासन से सेवा सुनिश्चित की है। प्रदेश सरकार ने सबसे गरीब लोगों का जीवन-स्तर ऊंचा उठाने के लिए 'मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना' शुरू की है। इस अभियान के तहत सबसे गरीब परिवारों की पहचान करके उनकी वार्षिक आय कम से कम 1.80 लाख रुपये की जाएगी। 

सरकार ने "मेरी फसल-मेरा ब्यौरा" ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से फसलों की खरीद को सुविधाजनक बनाया है। इस पोर्टल पर किसान को अपनी फसल बेचने के साथ-साथ खाद, बीज, ऋण और कृषि उपकरणों के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता घर बैठे मिल सकेगी। इस पोर्टल पर पंजीकरण करवाने वाले किसानों की फसल की खरीद प्राथमिकता के आधार पर की जाती है। इस पर कुल 9 लाख 25 हजार किसान पंजीकृत हैं। 

इसके अलावा जनता के प्रति प्रशासन की जबाबदेही तय करने और समय पर सर्विस डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए 'ऑटो अपील सॉफ्टवेयर' (AAS) शुरू किया गया है। इससे 29 विभागों, निगमों व बोर्डों की 292 सेवाओं को जोड़ा जा चुका है। इन सेवाओं के आवेदकों को निर्धारित समय में सेवा न मिलने पर उसकी अपील स्वतः ही उच्चाधिकारी के पास हो जाती है। वहां भी समय पर सेवा न मिले, तो राइट टू सर्विस कमीशन को भी अपील स्वतः ही चली जाती है। इससे कर्मचारियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय हुई है।

हरियाणा में फसल अवशेष जलाने के मामलों में 73 प्रतिशत की कमी

मनोहर लाल ने कहा कि फसल अवशेष जलाने के मामले न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति के लिए भी हानिकारक हैं। इसलिए हमने ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के साथ-साथ किसानों को जागरुक भी किया है। इस सम्बन्ध में हमारे प्रयासों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भी सराहा है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 से अब तक फसल अवशेष जलाने के मामलों में 73 प्रतिशत की कमी आई है। 

पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए हमने किसानों को डीकंपोजर कैप्सूल निःशुल्क प्रदान किए हैं। अब तक 3 लाख 19 हजार 350 एकड़ को डीकंपोजर तकनीक से कवर किया गया है। खरीफ-2022 के दौरान 5 लाख एकड़ भूमि की कवरेज डीकंपोजर से करने का लक्ष्य है। पराली न जलाने और इसके उचित प्रबंधन के लिए पराली की गांठ बनाने पर 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान राज्य सरकार ने किया है। 

फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए उपकरणों पर 50 प्रतिशत तथा कस्टम हायरिंग सेंस को 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है ताकि किसानों को ये अवशेष जलाने न पड़ें। पिछले चार साल में 584 करोड़ रुपये की सब्सिडी के साथ लगभग 73 हजार मशीनें किसानों को दी गई हैं। रेड जोन क्षेत्र में स्थित गांवों में पराली न जलाने पर पंचायत को प्रोत्साहनस्वरूप 10 लाख रुपये तक नकद पुरस्कार दिया जाता है। इसके अलावा, पराली का उपयोग बायोमास संयंत्रों में भी किया जा रहा है। प्रदेश में 9 बायोमास बिजली परियोजनाओं में धान के 5 लाख टन फानों का उपयोग किया जा रहा है। इस साल 2 और ऐसे संयंत्र चालू हो जाएंगे।

बैठक में ये रहे मौजूद

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक की अध्यक्षता की। जयपुर में राजस्थान सरकार के सौजन्य से आयोजित की गई इस बार की बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित, लद्दाख के उपराज्यपाल आर के माथुर, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शामिल रहे।


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