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Chandigarh- गठबंधन सरकार स्कूलों को मर्जर नहीं बल्कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का मर्डर कर रही है: हुड्डा


𝐅𝐨𝐫𝐦𝐞𝐫 𝐂𝐡𝐢𝐞𝐟 𝐌𝐢𝐧𝐢𝐬𝐭𝐞𝐫 𝐚𝐧𝐝 𝐋𝐞𝐚𝐝𝐞𝐫 𝐨𝐟 𝐎𝐩𝐩𝐨𝐬𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐁𝐡𝐮𝐩𝐢𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐒𝐢𝐧𝐠𝐡 𝐇𝐨𝐨𝐝𝐚 𝐡𝐚𝐬 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐁𝐉𝐏-𝐉𝐉𝐏 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐰𝐚𝐧𝐭𝐬 𝐭𝐨 𝐦𝐚𝐤𝐞 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐧𝐮𝐦𝐛𝐞𝐫 𝐨𝐧𝐞 𝐢𝐧 𝐢𝐥𝐥𝐢𝐭𝐞𝐫𝐚𝐜𝐲 𝐚𝐬 𝐰𝐞𝐥𝐥, 𝐚𝐟𝐭𝐞𝐫 𝐦𝐚𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐧𝐮𝐦𝐛𝐞𝐫 𝐨𝐧𝐞 𝐢𝐧 𝐮𝐧𝐞𝐦𝐩𝐥𝐨𝐲𝐦𝐞𝐧𝐭. 𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐢𝐬 𝐰𝐡𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥𝐬 𝐞𝐬𝐭𝐚𝐛𝐥𝐢𝐬𝐡𝐞𝐝 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐭𝐡𝐞 𝐡𝐚𝐫𝐝-𝐞𝐚𝐫𝐧𝐞𝐝 𝐦𝐨𝐧𝐞𝐲 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐩𝐮𝐛𝐥𝐢𝐜, 𝐭𝐡𝐞 𝐡𝐚𝐫𝐝 𝐰𝐨𝐫𝐤 𝐨𝐟 𝐠𝐞𝐧𝐞𝐫𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐬, 𝐝𝐨𝐧𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐩𝐚𝐧𝐜𝐡𝐚𝐲𝐚𝐭𝐬 𝐚𝐧𝐝 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐨𝐩𝐞𝐫𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐨𝐜𝐢𝐞𝐭𝐲 𝐚𝐫𝐞 𝐛𝐞𝐢𝐧𝐠 𝐜𝐥𝐨𝐬𝐞𝐝. 𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐚𝐥𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐢𝐬 𝐧𝐨𝐭 𝐦𝐞𝐫𝐠𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥𝐬 𝐛𝐮𝐭 𝐤𝐢𝐥𝐥𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐞𝐝𝐮𝐜𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐬𝐲𝐬𝐭𝐞𝐦 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞. 𝐓𝐡𝐞 𝐩𝐮𝐫𝐩𝐨𝐬𝐞 𝐨𝐟 𝐑𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥𝐢𝐳𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐚𝐧𝐝 𝐂𝐡𝐢𝐫𝐚𝐠 𝐘𝐨𝐣𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐬 𝐭𝐨 𝐥𝐨𝐜𝐤 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥𝐬 𝐚𝐜𝐜𝐨𝐫𝐝𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐨 𝐚 𝐩𝐫𝐞-𝐝𝐞𝐜𝐢𝐝𝐞𝐝 𝐬𝐭𝐫𝐚𝐭𝐞𝐠𝐲.



हाइलाइट्स

  • इस सरकार ने 8 साल में सिर्फ 8 स्कूल बनाए, करीब 5000 स्कूल किए बंद
  •  जनता की गाढ़ी कमाई और पीढ़ियों की मेहनत से बने स्कूलों को बंद करने में जुटी है सरकार
  • दलित, पिछड़े, गरीब, किसान, मजदूर व ग्रामीण बच्चों से शिक्षा का अधिकार छीन रही है सरकार
  • स्कूलों का मर्जर नहीं, शिक्षा व्यवस्था का मर्डर कर रही है सरकार
  • बंद नहीं हुए तो 14,503 स्कूलों की संख्या घटकर 9700 कैसे हुई
  • स्कूल, शिक्षण संस्थान खोलने, अपग्रेड करने व भर्तियों के मामले में कांग्रेस सरकार के सामने कहीं नहीं ठहरती मौजूदा सरकार
  • बेरोजगारी के बाद अशिक्षा में भी हरियाणा को नंबर वन बनाना चाहती है सरकार


चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। बीजेपी-जेजेपी सरकार बेरोजगारी के बाद हरियाणा को अशिक्षा में भी नंबर वन बनाना चाहती है। इसलिए जनता की गाढ़ी कमाई, पीढ़ियों की मेहनत, पंचायतों के चंदे व समाज के सहयोग से स्थापित हुए स्कूलों को बंद किया जा रहा है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का।
उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार स्कूलों का मर्जर नहीं बल्कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का मर्डर कर रही है। रैशनलाइजेशन और चिराग योजना का मकसद तय रणनीति के तहत स्कूलों पर ताले जड़ना है।

हुड्डा ने कहा कि सरकार जानबूझकर भ्रामक बयानबाजी कर रही है ताकि जनता से सच्चाई छुपाई जा सके। खुद मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के बयान आपस में मेल नहीं खाते। उदाहरण के तौर पर शिक्षा मंत्री कहते हैं कि सरकार ने एक गांव और एक किलोमीटर के दायरे में चल रहे स्कूलों को ही मर्ज किया है। 

लेकिन मुख्यमंत्री कहते हैं कि सिर्फ एक कैंपस में चल रहे दो या दो से ज्यादा स्कूलों को मर्ज किया गया है। शिक्षा महकमे का आदेश और विधानसभा में सरकार का जवाब बताता है कि बाकायदा लिस्ट जारी करके सरकार 𝟑𝟎𝟏 स्कूलों पर ताले जड़े गए हैं। लेकिन मुख्यमंत्री पत्रकार वार्ता करके कहते हैं कि उनकी सरकार ने कोई भी स्कूल बंद नहीं किया।

मुख्यमंत्री उसी पत्रकार वार्ता में कहते हैं कि बीजेपी सरकार ने पूरे कार्यकाल के दौरान सिर्फ 𝟏𝟐𝟎 स्कूलों को ही मर्ज किया और उन 𝟏𝟐𝟎 में से 𝟒𝟐 स्कूलों को फिर से शुरू कर दिया गया। यानी मुख्यमंत्री के मुताबिक इस सरकार ने सिर्फ 𝟕𝟖 स्कूलों को ही मर्ज किया। लेकिन उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री खुद बताते हैं कि उनकी सरकार ने मर्जर प्रक्रिया के तहत 𝟏𝟒,𝟓𝟎𝟑 स्कूलों की संख्या घटाकर 𝟗𝟕𝟎𝟎 कर दी। यानी सरकार ने 𝟒𝟖𝟎𝟎 से ज्यादा स्कूलों को मर्ज कर दिया।

खुद मुख्यमंत्री ने बताया है कि उनकी सरकार ने 𝟒𝟒𝟗𝟑 स्कूलों को मर्ज कर 𝟖𝟔𝟕𝟕 प्राइमरी स्कूलों की संख्या 𝟒𝟏𝟖𝟒 तक समेट दी है। इस तरह हजारों प्राइमरी स्कूलों से हेड टीचर्स का पद भी खत्म हो गया। ऐसा करके सरकार ने जेबीटी अध्यापकों से हेड टीचर के तौर पर प्रमोशन का अधिकार भी छीन लिया है।

हुड्डा ने कहा कि एक ही गांव में कई स्कूल खोलने, लड़के-लड़कियों के अलग-अलग स्कूल बनाने और एक ही कैंपस में दो स्कूल चलाने का मकसद प्रबंधन को बेहतर बनाना था। इन स्कूलों के हेड टीचर, स्टाफ, प्रशासनिक कार्य और खाते अलग-अलग होते थे। प्रबंधन बेहतर होने से शिक्षा की गुणवत्ता सुधर रही थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने एक ही झटके में सब खत्म कर दिया।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि शिक्षा मंत्री कांग्रेस सरकार के दौरान कई स्कूल बंद किए जाने का दावा करते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री कहते हैं कि कांग्रेस सरकार ने स्कूलों को सिर्फ मर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार बनने से पहले 𝟐𝟎𝟎𝟓-𝟎𝟔 तक प्रदेश में 𝟏𝟑,𝟏𝟗𝟎 सरकारी स्कूल थे। कांग्रेस ने इस संख्या को 𝟐𝟎𝟏𝟒-𝟏𝟓 तक बढ़ाकर 𝟏𝟒,𝟓𝟎𝟒 कर दिया।

कांग्रेस सरकार ने सिर्फ नए स्कूल खोलने और स्कूलों को अपग्रेड करने का काम किया था। विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि कांग्रेस सरकार के दौरान 𝟐𝟑𝟑𝟐 स्कूलों को अपग्रेड/ओपेन किया। इसके मुकाबले आरटीआई के जवाब में मौजूदा सरकार ने बताया कि उसने 𝟖 साल में सिर्फ 𝟖 नए स्कूल स्थापित किए और सिर्फ 𝟒𝟔𝟑 स्कूलों को अपग्रेड किया।

स्पष्ट है कि नए स्कूल स्थापित करने, स्कूलों को अपग्रेड करने और शिक्षा महकमे में नौकरियां देने के मामले में मौजूदा सरकार कांग्रेस के सामने कहीं नहीं टिकती। क्योंकि कांग्रेस सरकार के दौरान हरियाणा को शिक्षा का हब बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए थे। 

आरोही, संस्कृति मॉडल, किसान मॉडल समेत सैंकड़ों स्कूलों की स्थापना के साथ कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदेश में आईआईएम, आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालय, डिफेंस यूनिवर्सिटी समेत 𝟏𝟓 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान स्थापित किए गए।

इसी दौरान राजीव गांधी एजुकेशन सिटी, 𝟓 नए मेडिकल कॉलेज, 𝟏𝟐 नए राजकीय विश्वविद्यालय, 𝟐𝟐 निजी विश्वविद्यालय, कुल 𝟑𝟒 नए विश्वविद्यालय, 𝟒𝟓 राजकीय महाविद्यालय, 𝟓𝟎𝟑 तकनीकी संस्थान, 𝟏𝟒𝟎 नई सरकारी आईटीआई, 𝟑𝟔 आरोही, दर्जनों किसान और संस्कृति मॉडल स्कूलों की स्थापना की गई। 

इन तमाम संस्थानों में एक लाख से ज्यादा नौकरियां दी गईं। इसके मुकाबले बीजेपी, बीजेपी-जेजेपी सरकार ने पूरे कार्यकाल में जेबीटी की एक भी भर्ती नहीं निकाली। अपने विज्ञापन पर इस सरकार ने आज तक एक भी अध्यापक की भर्ती नहीं की।

इस सरकार ने एक कैंपस ही नहीं, एक ही गांव व आस-पास के गांवों में चलने वाले हजारों स्कूलों को मर्ज कर दिया है। ऐसा करके उसने 𝟑𝟖,𝟒𝟕𝟔 खाली पड़े टीचर्स के पदों में से लगभग 𝟐𝟓,𝟎𝟎𝟎 पदों को बिना कोई भर्ती के खत्म कर दिया है। 

जबकि टीचर्स नहीं होने की वजह से सैंकड़ों स्कूलों में साइंस स्ट्रीम बंद हो गई है। कई स्कूलों में मैथ्स, फिजिक्स, कैमिस्ट्री, हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी सब्जेक्ट के टीचर्स नहीं हैं। इस तरह टीचर्स के पदों को खत्म और सरकारी स्कूलों को बंद करके मौजूदा सरकार दलित, पिछड़े, गरीब, किसान, मजदूर व ग्रामीण बच्चों से शिक्षा का अधिकार छीन रही है।

 

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