“𝐓𝐡𝐞 𝐌𝐒𝐏 𝐨𝐟 𝐁𝐚𝐣𝐫𝐚 𝐢𝐧 𝐩𝐚𝐩𝐞𝐫 𝐡𝐚𝐬 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐢𝐧𝐜𝐫𝐞𝐚𝐬𝐞𝐝 𝐛𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐭𝐨 𝐑𝐬 𝟐𝟑𝟓𝟎, 𝐛𝐮𝐭 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐚𝐫𝐞 𝐡𝐚𝐫𝐝𝐥𝐲 𝐠𝐞𝐭𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐫𝐚𝐭𝐞 𝐨𝐟 𝐑𝐬 𝟏𝟕𝟎𝟎-𝟏𝟖𝟎𝟎 𝐩𝐞𝐫 𝐪𝐮𝐢𝐧𝐭𝐚𝐥. 𝐈𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐥𝐚𝐬𝐭 𝐬𝐞𝐚𝐬𝐨𝐧 𝐭𝐨𝐨, 𝐭𝐡𝐞 𝐁𝐚𝐣𝐫𝐚 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐰𝐚𝐬 𝐬𝐨𝐥𝐝 𝐚𝐭 𝐚𝐥𝐦𝐨𝐬𝐭 𝐡𝐚𝐥𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐫𝐚𝐭𝐞 𝐨𝐟 𝐌𝐒𝐏. 𝐀𝐭 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐢𝐦𝐞, 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐚𝐧𝐧𝐨𝐮𝐧𝐜𝐞𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐢𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐫𝐨𝐩 𝐰𝐞𝐫𝐞 𝐬𝐨𝐥𝐝 𝐛𝐞𝐥𝐨𝐰 𝐭𝐡𝐞 𝐌𝐒𝐏, 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐩𝐫𝐨𝐭𝐞𝐜𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐮𝐧𝐝𝐞𝐫 𝐭𝐡𝐞 𝐁𝐡𝐚𝐯𝐚𝐧𝐭𝐚𝐫 𝐁𝐡𝐚𝐫𝐩𝐚𝐲𝐞𝐞 𝐘𝐨𝐣𝐚𝐧𝐚. 𝐁𝐮𝐭 𝐧𝐞𝐢𝐭𝐡𝐞𝐫 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐤𝐞𝐩𝐭 𝐢𝐭𝐬 𝐩𝐫𝐨𝐦𝐢𝐬𝐞 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐥𝐚𝐬𝐭 𝐬𝐞𝐚𝐬𝐨𝐧 𝐧𝐨𝐫 𝐢𝐬 𝐢𝐭 𝐛𝐞𝐢𝐧𝐠 𝐝𝐨𝐧𝐞 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐭𝐢𝐦𝐞. 𝐈𝐭 𝐢𝐬 𝐭𝐡𝐞 𝐫𝐞𝐬𝐩𝐨𝐧𝐬𝐢𝐛𝐢𝐥𝐢𝐭𝐲 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐭𝐨 𝐛𝐮𝐲 𝐭𝐡𝐞 𝐩𝐫𝐨𝐝𝐮𝐜𝐞 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫 𝐚𝐭 𝐌𝐒𝐏,” 𝐡𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝.
- किसानों को नहीं मिल रही बाजरा की एमएसपी, सरकार करे खरीद
- पिछली बार भी बाजरा किसानों को नहीं मिला था भावांतर योजना का लाभ
- धीरे-धीरे किसानों की एमएसपी, मुआवजा व सब्सिडी खत्म कर रही है सरकार
- किसानों के साथ दुश्मन की तरह व्यवहार कर रही है बीजेपी-जेजेपी सरकार
- 20 सितंबर से धान की खरीद शुरू करे सरकार, 25 क्लिंटल प्रति एकड़ की कैप भी हटाई जाए
चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बाजरा किसानों की दुर्दशा का मुद्दा उठाया है। हुड्डा ने बताया कि प्रदेश की मंडियों में एक बार फिर किसान का बाजरा औने-पौने दामों पर बिक रहा है। सरकार द्वारा कागजों में बाजरा की एमएसपी 𝟐𝟑𝟓𝟎 कर दी गई है।
लेकिन किसानों को मुश्किल से 𝟏𝟕𝟎𝟎-𝟏𝟖𝟎𝟎 रुपये प्रति क्विंटल का रेट मिल रहा है। पिछले सीजन में भी किसानों का बाजरा एमएसपी से लगभग आधे रेट पर पिटा था। उस वक्त प्रदेश सरकार की तरफ से ऐलान किया गया था कि एमएसपी से कम रेट में फसल बिकने पर सरकार भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को अनुदान देगी। लेकिन ना सरकार ने पिछले सीजन में अपना वादा निभाया और ना ही इस बार ऐसा किया जा रहा है। जबकि सरकार की जिम्मेदारी है कि वो किसान की फसल का दाना-दाना एमएसपी पर खरीदे।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार बार-बार अपने ही वादों से मुकर रही है। कई सीजन से लगातार मौसम की मार झेल रहे किसानों को आज तक भी मुआवजे का इंतजार है। जलभराव, ओलावृष्टि से लेकर बेमौसमी बारिश के चलते हुए फसली नुकसान की भरपाई के लिए ना सरकार आगे आई और ना ही बीमा कंपनियां।
धान छोड़कर मक्का या अन्य फसल उगाने वाले किसानों को अब तक ₹𝟕𝟎𝟎𝟎 प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि नहीं दी गई है। पिछले सीजन में तो किसानों को डीएपी और यूरिया के लिए भी तरसाया गया। स्पष्ट है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार किसानों के साथ दुश्मन की तरह व्यवहार कर रही है। लगातार किसान की एमएसपी, मुआवजे और सब्सिडी पर कैंची चलाई जा रही है।
हुड्डा ने बाजरा के साथ धान किसानों की मांग भी उठाई है। उनका कहना है कि मंडियों में धान की आवक शुरू हो चुकी है। धान के निर्यात पर रोक और 𝟐𝟎 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगाए जाने के चलते किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार के ऊंचे दामों का लाभ नहीं ले पाएंगे। सरकार के इस फैसले के बाद आशंका है कि घरेलू बाजार में भी धान के रेट कम हो जाएंगे।
हुड्डा ने बाजरा के साथ धान किसानों की मांग भी उठाई है। उनका कहना है कि मंडियों में धान की आवक शुरू हो चुकी है। धान के निर्यात पर रोक और 𝟐𝟎 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगाए जाने के चलते किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार के ऊंचे दामों का लाभ नहीं ले पाएंगे। सरकार के इस फैसले के बाद आशंका है कि घरेलू बाजार में भी धान के रेट कम हो जाएंगे।
ऐसे में मंडियों में 𝟏 अक्टूबर की बजाए 𝟐𝟎 सितंबर से धान की सरकारी खरीद शुरू की जानी चाहिए। ताकि किसानों को उनकी फसल का एमएसपी मिल सके। साथ ही ‘मेरी फसल, मेरी ब्यौरा’ के तहत खरीद में सरकार द्वारा लगाई गई 𝟐𝟓 क्लिंटल प्रति एकड़ धान की लिमिट को भी हटाया जाए।
इसे बढ़ाकर कम से कम 𝟑𝟓 क्विंटल प्रति एकड़ किया जाए। क्योंकि कैप लगाने से जो किसान प्रति एकड़ ज्यादा पैदावार ले रहे हैं, वो अपनी बची हुई फसल को एमएसपी से कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
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