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Chandigarh- सोशल मिडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं ठग, कभी न्यूड कॉल पर ब्लैकमेल तो कभी पैसे दुगने करने का देते है लालच


क्रेडिट कार्ड की जानकारी ना करें साझा और ना ही गूगल पर ढूंढे कस्टमर केयर नंबर: अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, क्राइम ब्रांच



चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। आजकल कैश की बजाय ऑनलाइन और कार्ड पेमेंट का चलन है। लोग बैंकों से पैसे निकालने की झंझट और समय से बचने के लिए डायरेक्ट कार्ड के जरिए पेमेंट करते हैं। लोगों की जेब में अब कैश की बजाय क्रेडिट और डेबिट कार्ड मौजूद होते हैं। 

लेकिन कार्ड पेमेंट के तरीके बढ़ने के साथ-साथ कार्ड से जुड़े फ्रॉड भी बढ़ रहे हैं। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि आजकल क्रेडिट कार्ड की बढ़ती ज़रूरतों के कारण लोग सुविधाओं के लिए गूगल पर चले जाते है और ऑनलाइन अधिकतर उपलब्ध नंबर फ्रॉड होते हैं । उन्ही के चंगुल में फंस कर लाखों रूपए गँवा बैठते हैं ।

जानकारी देते हुए बताया की पहले केस में गुरुग्राम निवासी अनंत अग्रवाल ने क्रेडिट कार्ड के रिवॉर्ड को कैश में बदलवाने के लिए अनजान नंबर से कॉल आई। ठगों की बातों में आकर अनंत ने क्रेडिट कार्ड से जुडी सभी जानकारी ठगों को उपलब्ध करवा दी जिसके कारण ठगों ने तक़रीबन 𝟐,𝟔𝟑,𝟏𝟗𝟓 की धोखाधड़ी को अंजाम दिया।

जैसे ही पीड़ित को ठगी का एहसास हुआ, पीड़ित ने तुरंत अपनी शिकायत साइबर हेल्पलाइन 𝟏𝟗𝟑𝟎 पर दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पीड़ित के 𝟖𝟐,𝟏𝟗𝟗 बचाये और पीड़ित को वापस दिलवाये। पुलिस ने केस दर्ज कर आगे कार्रवाई शुरू कर दी है।
 
वहीँ दूसरे केस में अम्बाला में गुलशन कुमार क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़वाने के चक्कर में आ गए। अनजान कॉल पर भरोसा करने की गलती की और 𝟕𝟓𝟎𝟎𝟎 की धोखाधड़ी की गई। जैसे ही उपरोक्त केस में शिकायत 𝟏𝟗𝟑𝟎 पर दी गई तो पुलिस ने पूरी पेमेंट बचाकर पीड़ित को वापस दिलवाये। ऐसे ही एक अन्य केस में भिवानी के मनोज के साथ 𝟒𝟖 हज़ार की धोखाधड़ी हुई जहाँ पीड़ित को क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का लालच दिया गया था। 𝟏𝟗𝟑𝟎 पर शिकायत देने के बाद पुलिस ने धोखाधड़ी की सारी रकम फ्रीज़ की और पीड़ित को पेमेंट वापस दिलवाई।

सोशल मिडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं ठग, कभी न्यूड कॉल पर ब्लैकमेल तो कभी पैसे दुगने करने का देते है लालच

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि साइबर टीम को 𝟏𝟗𝟑𝟎 पर एक शिकायत प्राप्त हुई, पानीपत के मोहित ने बताया कि उसने सोशल मिडिया एप्लीकेशन इंस्टाग्राम पर एक एड देखी जहाँ ऑनलाइन बेटिंग का ऑफर दिया गया था। उक्त ऑफर में पैसे दुगने करने को कहा गया था , जिस पर भरोसा कर पीड़ित ने 𝟓𝟎𝟎𝟎𝟎 रूपए निवेश कर दिए। लेकिन कुछ समय बाद जैसे ही मोहित का ठगी का एहसास हुआ, उसने तुरंत 𝟏𝟗𝟑𝟎 पर अपनी शिकायत दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए खाता फ्रीज़ कर, पीड़ित को उसके पैसे तुरंत रिफंड करवाए। 

ऐसे ही एक अन्य केस में 𝟏𝟗𝟑𝟎 पर शिकायत प्राप्त हुई कि किसी ने जींद निवासी शिकायतकर्ता की व्हाट्सप्प द्वारा अश्लील वीडियो बना ली है और उसे ब्लैकमेल करके तक़रीबन 𝟏.𝟓𝟕 लाख की ठगी को अंजाम दिया, शिकायतकर्ता की शिकायत पर काम करते हुए पुलिस ने तुरंत 𝟏.𝟒𝟎 लाख बचाये और केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। 

आगे जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया की ऐसे ही एक अन्य केस में साइबर हेल्पलाइन को शिकायत प्राप्त हुई कि, गुरुग्राम निवासी महिला ने लोन लेने के लिए गूगल पर नंबर ढूंढा और लोन लेने लिए ठगों कि बातों में आ गई। पीड़िता से प्रोसेसिंग फ़ीस और रजिस्ट्रेशन के नाम पर तक़रीबन 𝟏.𝟓𝟒 लाख की ठगी की गई, जिस पर शिकायत प्राप्त होते ही सारे पैसे तुरंत पीड़िता को वापस करवाए गए। 

जल्दी डिलीवरी के नाम पर ठगे 1.40 लाख, पुलिस ने बचाये 1.35 लाख

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की आजकल साइबर ठग नए नए तरीकों से साइबर ठगी को अंजाम दे रहे है, ऐसी ही एक नई मोडस ऑपरेंडी में साइबर ठगों ने डिलीवरी कंपनियों के नाम पर फ्रॉड शुरू किये है। आजकल लोग समय की कमी होने के कारण ऑनलाइन शॉपिंग को पसंद करते है। जैसे ही डिलीवरी का मैसेज आता है लोग डिलीवरी कम्पनी का नंबर गूगल पर ढूंढने की कोशिश करते है, जिसके कारण वो साइबर ठगी में फंस जाते है। 

साइबर हेल्पलाइन को दी गई शिकायत में सोनीपत निवासी महिला ने बताया की उसने एक प्रोडक्ट अमेज़न से मंगवाया था, जिसकी जल्दी डिलीवरी के लिए उसने गूगल पर नंबर ढूंढा और ठगों से संपर्क कर लिया। ठगों की बातों में आकर पीड़िता ने अपने फ़ोन में एनीडेस्क एप्लीकेशन इंसटाल कर ली और अपने फ़ोन की सभी संवेदनशील जानकारी ठगों को दे दी। इसी का फायदा उठाते हुए ठगों ने पीड़िता के खाते से 𝟏 लाख का फ्रॉड कर दिया। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत 𝟗𝟓 हज़ार वापस दिलवाने में सफलता हासिल की। 

ऐसे ही एक अन्य केस में रोहतक के बलराम दांगी जल्दी कूरियर मंगवाने के चक्कर में साइबर ठगों के चंगुल में जा फंसे, जैसे ही बलराम ने अपनी जानकारी ठगों को दी, उसके साथ तक़रीबन 𝟒𝟎 हज़ार की ठगी की गई , जिसपर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई कर, पीड़ित के सारे रूपए वापस दिलवाये।

क्रेडिट कार्ड की जानकारी ना करें साझा और ना ही गूगल पर ढूंढे कस्टमर केयर नंबर: अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, क्राइम ब्रांच

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह आईपीएस ने बताया की क्रेडिट कार्ड हो या डेबिट कार्ड, इन दोनों की डिटेल चुराकर ठगी होना अब आम बात हो गई है, आजकल हम कहीं भी मार्केट में शॉपिंग करने जाते हैं या फिर ऑनलाइन कहीं पेमेंट करते हैं, इन सभी जगहों से हमारे कार्ड की डिटेल चोरी होने का खतरा हमेशा बना रहता है।इसके अलावा भी हमारे कार्ड की डिटेल आजकल साइबर ठगों के पास पहुँच जाती है। इनसे बचाव का एक ही तरीका है और वो यह है कि हमें किसी भी कीमत पर उन्हें ओटीपी और पासवर्ड किसी को ना बताएं और ना ही गूगल पर कस्टमर केयर का नंबर ढूंढे। 

कस्टमर केयर का नंबर क्रेडिट कार्ड के पीछे लिखा होता है, सिर्फ वही संपर्क करें। इसके अलावा सोशल मिडिया पर भी सतर्क रहे। कई बार आर्थिक लाभ के चक्कर में साइबर ठगी हो जाती है। किसी भी जगह पैसे इन्वेस्ट करने से पहले अच्छी तरह जांच पड़ताल अवश्य करें। किसी भी प्रकार का साइबर अपराध होने की स्थिति में तुरंत साइबर हेल्पलाइन 𝟏𝟗𝟑𝟎 पर शिकायत दर्ज करवाएं। 

क्रेडिट व डेबिट कार्ड सम्बन्धी अपराधों में हुआ है इज़ाफ़ा, ज़रूरत है सतर्क रहने की

कार्ड स्कीमिंग, कार्ड क्लोनिंग जैसे फ्रॉड अक्सर कार्ड स्वैपिंग के वक़्त ही होते हैं, चालाक किस्म के दुकानदार स्वैप मशीन से अटैच सिस्टम में की-लॉगर इनस्टॉल करके रखते हैं... ऐसे में जब यूजर बिल पे करने के लिए कार्ड स्वैप करता है तो की-लॉगर में उसका पासवर्ड और कार्ड से जुड़ी जानकारी जैसे सीवीवी नंबर और एक्सपायरी डेट सेव हो जाती है। इसके अलावा डेबिट कार्ड स्वाइप करने के दौरान कार्ड की मैगनेटिक स्ट्रिप पर मौजूद सारा डाटा दूसरे कंप्यूटर या लैपटॉप में फीड हो जाता है। इसके लिए अपराधी अक्सर कार्ड मशीन में ‘स्कीमर डिवाइस’ का उपयोग करते हैं । इसके अलावा भी हैकर्स पेमेंट कार्ड की डिटेल को बल्क में खरीदते हैं और उसके द्वारा साइबर अपराध करते हैं ।

डेबिट-क्रेडिट कार्ड फ्रॉड से बचने के लिए आजमाएं ये टिप्स

कई बार लोगों को फर्जी फोन कॉल आते हैं, सामने वाला खुद को बैंक मैनेजर बताता है, आपके अकाउंट को सिक्योर रखने की बात करता है और बदले में आपका कार्ड पिन पूछता है। ऐसे में गलती से भी अपनी पिन डिटेल्स शेयर न करें और तुरंत फोन कॉल की रिपोर्ट करे।
 
गलती से भी अपना डेबिट/क्रेडिट कार्ड किसी को न दे। कई लोग कार्ड के ऊपर पासवर्ड भी लिख देते हैं, जिससे चोरों का काम और आसान हो जाता है। इसके अलावा अपने बैंक से लिंक फोन नंबर को इस्तेमाल में रखें और अपडेट करते रहें। इसके अलावा आजकल बहुत सी फिशिंग वेबसाइट आ रही हैं जो कम कीमत में सामान बेचने का दावा करती हैं। अक्सर सस्ते के चक्कर में लोग इन वेबसाइट के जरिए हो रही लूट का शिकार हो जाते हैं। होटल, पेट्रोल पंप, दुकान जैसी जगहों पर कार्ड क्लोनिंग के मामले जोर पकड़ते हैं, इसलिए सावधानी बरतें।

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