सरपंच सरकार व जनता के बीच की मजबूत कड़ी होती है ! इसके बाद भी सरपंचो के साथ इस प्रकार का व्यवहार उचित नहीं है !
Sarpanches protest e-tendering of panchayat works across
उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर सरकार इसी प्रकार सरपंचों के हितों के खिलाफ कार्रवाई करती रही तो आने वाले दिनों में सरकार के खुद के हित भी सुरक्षित नहीं रहने दिए जाएगें। जिसको लेकर प्रदेश के सरपंच एक सख्त निर्णय ले सकते है।
परमजीत पम्मी व मांगेराम कंडरौली ने कहा कि सरकार जनप्रतिनिधियों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है साथ ही पंचायत की शक्तियों को समाप्त करना चाहती है। यह एक सोची समझी रणनीति के साथ हो रहा है।
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जबकि बडे जनप्रतिनिधियों की पावर के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड नहीं की जा रही है। बल्कि समय समय पर उनकी पावर व सुविधाओं को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। सरपंच सरकार व जनता के बीच की मजबूत कड़ी होती है। इसके बाद भी सरपंचो के साथ इस प्रकार का व्यवहार उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार सरपंचों के आंदोलन में फूट डालने का काम कर रही है। पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के पंचों को पावर दिए जाने का ब्यान केवल धरने को कमजोर कर पंचों और सरपंचों को आपस में भिडवाने की राजनीति है। पंचायत मंत्री फूट डालो राज करो की नीति को अपना रहे है। जबकि उन्हें इससे कोई लाभ होने वाला नहीं है।
इससे आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और जब तक सरकार ई- टेंडरिंग व राइट टू रिकाल नियम को वापिस नहीं लेती तब तक उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग से चुने गए सरपंचो की कोई अनदेखी नहीं कर सकता। ई- टेंडरिंग से भ्रष्टाचार कम होने की बजाए और बढ़ेगा। इसलिए सरपंच इसका विरोध कर रहे है।
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इस अवसर पर सतीश घिलौर, मोहित उन्हेड़ी, बीर सिंह जठलाना, कर्मबीर पूर्णगढ़, रोहित बापौली, छोटेलाल बुबका, अंकित कलेसरा, बशेसर अंटावा, राजेश अमलोहा, उधमसिंह रादौरी, अरूण सिलीकलां, संजय खजूरी, नरसिंह खेड़ी, रजत अलाहर, बीर सिंह जठलाना, कुलदीप बरसान, दिनेश लक्सीबांस, सतीश ठसका, विकास मारूपुर, सुखबीर पालेवाला, रविंद्र एमटी करहेड़ा, दीप चंद मसाना, फरियाद सतगौली, नरेंद्र सिलीखुर्द, विनोद माधुबांस, राजेश राणा, सचिन धानुपुरा, रणजीत भगवानगढ़ इत्यादि मौजूद रहे।