हजारों की संख्या में भक्तजन यहां पहुंचकर अपना शीश नवाते है और मां वैष्णों के बाल स्वरूप के रूप में पूजी जाने वाली माता बाला सुंदरी के आशीर्वाद से खुद को धन्य मानते है !
BY, Ransingh chauhan
Maa Bala Sundari, Tirlokpur { Himachal Pradesh}
माता श्रद्धालुओं को सुख-समृद्धि के साथ-साथ यश भी प्रदान करती है। मंदिर में हिमाचल व हरियाणा के अलावा पंजाब, जम्मू, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के श्रद्धालु और अप्रवासी भारतीय भी दर्शन हेतु आते हैं। माता बाला सुंदरी जी को हरियाणा की कुलदेवी के रूप में भी जाना जाता है।
इसलिए इन दोनों में यहां भक्तजनों की भारी भीड़ जमा होती है और अल सुबह से ही मां की पूजा का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो देर रात तक जारी रहता है। मंदिर में बजने वाली 81 घंटियों के अलावा मंदिर में गूंजने वाले माता के जयकारों से न सिर्फ हिमाचल बल्कि हजारों से भी हजारों की संख्या में भक्तजन यहां पहुंचकर अपना शीश नवाते है और मां वैष्णों के बाल स्वरूप के रूप में पूजी जाने वाली माता बाला सुंदरी के आशीर्वाद से खुद को धन्य मानते है।
मां बाला सुंदरी जहां होती है हर मुरादपूरी…
रात्रि को स्वप्न में मां भगवती ने उस व्यापारी को बालरूप में दर्शन दिए और कहा कि मैं पिंडी रूप में तुम्हारीनमक की बोरी में आ गई थी और अब मेरा निवास तुम्हारेआंगन में स्थित पीपल वृक्ष की जड़ में है। लोक कल्याणहेतु तुम यहां एक मंदिर का निर्माण करो। सुबह होने परव्यापारी ने पीपल का वृक्ष देखा। तभी बिजली की चमकव बादलों की गड़गड़ाहट के साथ पीपल का पेड़ जड़ सेफट गया तथा माता साक्षात रूप में प्रकट हो गई।
यहघटना विक्रमी संवत 1627 की बताई जाती है। उससमय सिरमौर राजधानी का शासन महाराज प्रदीपप्रकाश के अधीन था। एक रात्रि माता ने उन्हें भी स्वप्न मेंदर्शन देकर भक्त रामदास वाली कहानी सुनाई तथा मंदिरबनवाने की इच्छा प्रकट की। माता का आदेश पाकरमहाराज प्रदीप प्रकाश ने तुरन्त ही मंदिर के निर्माण काआदेश दे दिया।
मां बाला सुंदरी के मंदिर की खोज 1573इसवीं में लाला राम दास नाम के एक व्यापारी ने की थी। रामदास नमक का व्यापार करते थे। वह उत्तर प्रदेश के सहानपुर में शाकुंभरी देवी के दर्शन करने के बाद वहां से नमक लाकर बेचा करते थे। एक दिन लाला ने देखा कि उनका सारा नमक बिक चुका है, लेकिन थैले में वह जितना नमक लेकर आए थे, उतना नमक अभी भी मौजूद था। इसका पता चलते ही पूरे इलाके में यह बात फैल गई।
अब हर कोई अपने-अपने स्तर पर इस रहस्य की खोज करने में जुट गया। कुछ समय बाद पता चला कि जहां लाला ने नमक बेचा था। वहां पर मां वैष्णों देवी का बाल स्वरूप है। तभी लाला ने ठान ली की वह वहां पर मां के मंदिर का निर्माण करवाएंगे। मां बाला सुंदरी मंदिर के पुजारी के अनुसार यहां पर हिमाचल, हरियाणा के अलावा दिल्ली, यूपी, पंजाब तथा कई अप्रवासी भारतीय भी माता के दर्शन के लिए आते है- राजेश गुप्ता, लाला राम दास वंशज
मां बाला सुंदरी मंदिर के पुजारी के अनुसार यहां पर हिमाचल, हरियाणा के अलावा दिल्ली, यूपी,पंजाब तथा कई अप्रवासी भारतीय भी माता के दर्शन के लिए आते है। भक्तजनों के अनुसार इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है और लोग मंदिर में हलवे का प्रसाद और फूल मालाएं चढ़ाकर मन्नत मांगते है।
प्रथमनवरात्र से ही इस मेले में भक्तों का विशाल जमावड़ालगना शुरू हो जाता है जो कि नवरात्रों के दौरान जारीरहता है। यहां साल में दो बार अश्रि्वनी व चैत्र मास केनवरात्रों में मेला लगता है जिसमें लाखों की संख्या में दूर-दराज से माता के दर्शनों हेतु भक्त आते हैं- राजेश गुप्ता, लाला राम दास वंशज