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𝐂𝐡𝐚𝐧𝐝𝐢𝐠𝐚𝐫𝐡 𝐍𝐞𝐰𝐬: गेहूं पर वैल्यू कट लगाना किसानों के साथ ज्यादती, प्रदेश सरकार दे वैल्यू कट का खर्च- हुड्डा

𝐌𝐚𝐧𝐝𝐢𝐬, 𝐚𝐟𝐭𝐞𝐫 𝐯𝐢𝐬𝐢𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐦𝐚𝐧𝐝𝐢𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐚𝐧𝐝 𝐭𝐚𝐥𝐤𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐨 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬, 𝐥𝐚𝐛𝐨𝐫𝐞𝐫𝐬 𝐚𝐧𝐝 𝐭𝐫𝐚𝐝𝐞𝐫𝐬. 𝐇𝐞 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐞𝐯𝐞𝐫𝐲𝐨𝐧𝐞 𝐢𝐬 𝐰𝐨𝐫𝐫𝐢𝐞𝐝 𝐝𝐮𝐞 𝐭𝐨 𝐥𝐚𝐜𝐤 𝐨𝐟 𝐩𝐮𝐫𝐜𝐡𝐚𝐬𝐞 𝐚𝐧𝐝 𝐥𝐢𝐟𝐭𝐢𝐧𝐠. “𝐃𝐮𝐞 𝐭𝐨 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐢𝐧𝐝𝐞𝐜𝐢𝐬𝐢𝐯𝐞 𝐚𝐭𝐭𝐢𝐭𝐮𝐝𝐞 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭, 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐜𝐨𝐮𝐥𝐝 𝐧𝐨𝐭 𝐞𝐯𝐞𝐧 𝐠𝐞𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐌𝐒𝐏 𝐨𝐟 𝐦𝐮𝐬𝐭𝐚𝐫𝐝. 𝐅𝐚𝐫𝐦𝐞𝐫𝐬 𝐡𝐚𝐝 𝐭𝐨 𝐬𝐞𝐥𝐥 𝐭𝐡𝐞𝐢𝐫 𝐜𝐫𝐨𝐩𝐬 𝐚𝐭 𝐚 𝐫𝐚𝐭𝐞 𝐨𝐟 𝐑𝐬 𝟓𝟎𝟎-𝟏𝟎𝟎𝟎 𝐩𝐞𝐫 𝐪𝐮𝐢𝐧𝐭𝐚𝐥 𝐛𝐞𝐥𝐨𝐰 𝐭𝐡𝐞 𝐌𝐒𝐏. 𝐍𝐨𝐰 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐢𝐬 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐨𝐧𝐝𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐟 𝐰𝐡𝐞𝐚𝐭,” 𝐡𝐞 𝐚𝐝𝐝𝐞𝐝.



चंडीगढ़, डिजिटल डेक्स।। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने आवास पर पत्रकार साथियों से बातचीत करते हुए कहा कि मंडियों में गेहूं की खरीद नहीं होने को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने बताया कि प्रदेश की मंडियों का दौरा करके उन्होंने किसान, मजदूर व आढ़तियों से बात की। खरीद व उठान नहीं होने के चलते सभी परेशान हैं। 

Govt should give compensation up to Rs 50,000 per acre, bonus of Rs 500 per quintal to farmers – Hooda


सरकार के इसी ढुलमुल रवैये के चलते किसानों को सरसों का एमएसपी भी नहीं मिल पाया था। किसानों को एमएसपी से 𝟓𝟎𝟎-𝟏𝟎𝟎𝟎 रुपए प्रति क्विंटल कम रेट पर अपनी फसल बेचनी पड़ी थी। अब यहीं हाल गेहूं का हो रहा है।

कई जगह मंडियों में खरीद का काम व ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल बंद पड़ा है। हर फसली सीजन में जरुरत के वक्त पोर्टल काम करना बंद कर देता है। हमारी मांग है कि मौसम की मार को देखते हुए किसानों को फूटे दाने, छोटे दाने, नमी और लस्टर लॉस की लिमिट में और छूट दी जाए। 

लेकिन सरकार ने छूट के साथ गेहूं में भारी वैल्यू कट लगाने के आदेश दे दिए। पहले से भारी घाटा झेल रहे किसानों के साथ यह ज्यादती है। हरियाणा सरकार को वैल्यू कट खुद वहन करना चाहिए और किसान को उसकी फसल का पूरा रेट मिलना चाहिए।

पिछले दिनों हुई बारिश के चलते किसानों ने 𝟏𝟕 लाख एकड़ से ज्यादा फसल खराबे की शिकायत की है। लेकिन बमुश्किल 𝟏𝟎% फसल की ही गिरदावरी हो पाई है। गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है, ऐसे में कब तक गिरदावरी होगी और कब किसानों को मुआवजा मिलेगा।

हुड्डा ने किसानों के नुकसान को देखते हुए 𝟐𝟓,𝟎𝟎𝟎 से लेकर 𝟓𝟎,𝟎𝟎𝟎 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की है। साथ ही उन्होंने कहा है कि किसानों को प्रति क्विंटल 𝟓𝟎𝟎 रुपये बोनस दिया जाए। पीएम फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को भी मिलना चाहिए। 

क्योंकि अबतक यह योजना मात्र कंपनियों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। 𝟓 साल के भीतर कंपनियों को 𝟒𝟎 हजार करोड़ का लाभ हो चुका है। लेकिन किसानों को हमेशा घाटा ही उठाना पड़ता है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसानों के साथ आढ़ती भी सरकार की कुनीतियों से नाराज हैं। उनकी आढ़त को भी 𝟓𝟑 से घटाकर 𝟒𝟔 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। कोरोना काल में सरकार ने लेट पेमेंट पर ब्याज के साथ भुगतान का वादा किया गया था। 

आज तक भी आढ़तियों के करोड़ों रुपये की पेमेंट नहीं हुई है। इसी तरह सरकार ने लेट पेमेंट पर किसानों को ब्याज देने का वादा किया था। उसका भी सरकार ने भुगतान नहीं किया।

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