तटबंधों को पक्का करने में इस्तेमाल हो रहा छोटा पत्थर
यमुनानगर के डीसी ने कहा- ऐसा पाया गया तो होगा एक्शन
बाढ़ राहत से जुड़े जिले में हो रहे करोड़ों की कीमत के 61 छोटे काम
POSTED BY - MEHAK
यमुनानगर DIGITAL DESK|| हरियाणा के यमुनानगर में बाढ़ राहत से जुड़े करीब 61 काम जारी है लेकिन ये काम अभी तक पूरे नहीं हुए है जबकि 7 जुलाई काम की डेडलाइन थी.
एक तरफ काम अधूरे हैं तो दूसरी तरफ काम की गुणवता सवालों के घेरे में है. एंटी करप्शन सोसाइटी के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट वरयाम सिंह ने कई सवाले उठाए हैं जिस पर डीसी कैप्टन मनोज कुमार ने जवाब दिया है
बरसाती सीजन में हथिनीकुंड बैराज पर पूरे देश की निगाह रहती है. खासकर दिल्लीवालों की मुसीबत उस वक्त बढ़ जाती है जब हथिनीकुंड बैराज से डायवर्ट पानी दिल्ली की तरफ जाता है.
यमुनानदी के तटबंधों की हर साल मरम्मत की जाती है ताकि यमुना नदी से सटे गांव प्रभावित ना हो. इससे ना सिर्फ गांव बल्कि सैंकड़ों किसानों की फसलें भी जलमग्न हो जाती हैं.
लेकिन इस बार यमुनानगर प्रशासन पर तटबंधो के निर्माण कार्यों के दौरान कई तरह से सवाल उठ रहे हैं.
एंटी करप्शन सोसाइटी के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट वरयाम सिंह ने कहा कि तटबंधों की मरम्मत को प्रशासन ने देरी से शुरू किया क्योंकि उनका मंशा ये रहती है कि बारिश से काम प्रभावित हो जाए और काम का आंकलन ना हो सके.
उन्होने कहा कि रादौर एरिया में जो पत्थर तटबंधों के निर्माण में इस्तेमाल हो रहे वो छोटे हैं इसके अलावा भी कई तरह की खामियां उन्होने गिनवाई
यमुनानगर जिले में बाढ़ राहत से जुड़े करोडों की लागत से 61 काम हो रहे हैं. यमुना नदी के अलावा, बोली नदी, पथराला और सोमनदी के तटबंधों की भी मरम्मत हो रही है.
7 जुलाई को सभी काम मुकम्मल होने थे लेकिन अभी तक बहुत से काम अधूरे हैं. यमुनानगर के डीसी कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि कुछ काम चल रहे हैं जिन्हे जल्द पूरा किया जाएगा. उन्होने ये भी कहा कि अगर तटबंधों के निर्माण कार्यों में गड़बड़ी पाई गई तो एक्शन होगा
यमुनानगर जिले में करीब 92 करोड़ की लागत से निर्माण कराए जा रहें हैं ताकि जिले के गांवों को कोई परेशानी ना हो. पिछले साल बारिश की वजह से हथिनीकुंड बैराज से डायवर्ट किए गए पानी से कई गांवों ना सिर्फ जलमग्न हुए थे
बल्कि ग्रामीणों का पलायन तक करना पड़ा था लेकिन इस बार प्रशासन के आधे अधूरे कामों और काम की गुणवता पर उठे रहे सवालों का जवाब क्या फिर मानसून से आने वाली भारी तबाही देगी ?
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