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चंडीगढ - हरियाणा में अब इंडस्ट्रियल-एस्टेट्स का 10% हिस्सा श्रमिकों के रहने के लिए आरक्षित रहेगा- दुष्यंत चौटाला

उद्योगों में फैक्ट्री कानून-1948 से छूट के लिए श्रमिकों की न्यूनतम संख्या 20 से बढ़ाकर 40 कर दी


City Life Haryana
  चंडीगढ : हरियाणा में अब इंडस्ट्रियल-एस्टेट्स का 10 प्रतिशत हिस्सा श्रमिकों के रहने के लिए आवासीय क्षेत्र के रूप में आरक्षित किया जाएगा तथा ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा उद्योग स्थापित करने के लिए ग्रामीणों की सहमति से पंचायती भूमि को पट्टे पर उपलब्ध कराया जाएगा। यह जानकारी हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, जिनके पास उद्योग एवं वाणिज्य विभाग का प्रभार भी है, ने आज प्रैस कान्फ्रैंस में दी। इस अवसर पर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव ए.के सिंह, उपमुख्यमंत्री के ओएसडी कमलेश भादू , विभाग के अतिरिक्त निदेशक वजीर सिंह भी उपस्थित थे।

उन्होंने आज हरियाणा औद्योगिक एवं रोजगार नीति-2020’ के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि पांच वर्ष के लिए निर्मित इस नई नीति के तहत अगले पांच साल में 5 लाख नौकरियां पैदा करने और एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य है। नई नीति में निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके अंतर्गत 2 लाख करोड़ रूपए का निर्यात करने का लक्ष्य रखा गया है।

डिप्टी सीएम ने नई नीति को क्षेत्रीय विकास और ज्यादा से ज्यादा रोजगार उत्पन्न करने के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे हरियाणा देश में पसंदीदा निवेश के रूप में प्रतिस्थापित होगा। यही नहीं इससे होने वाले आर्थिक विकास के द्वारा आजीविका के अवसर बढ़ेंगे। नई नीति में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अनुसार इको-सिस्टम मजबूत करने पर जोर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस नीति में तीन साल के लिए मेगा और अल्ट्रा-मेगा परियोजनाओं को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 को छोडक़र कुछ शर्तों के अनुसार बाकी श्रमिक कानूनों से रियायत मिलेगी।

उन्होंने बताया कि ऊर्जा से संबंधित उद्योगों में फैक्ट्री कानून-1948 से छूट के लिए श्रमिकों की न्यूनतम संख्या 20 से बढ़ाकर 40 कर दी गई है। उन्होंने जानकारी दी कि नई नीति में औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के अंतर्गत आईटी, आईटीईएस, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो और कपड़ा उद्योग को सार्वजनिक उपयोगिताओं के रूप में घोषित किया गया है। यही नहीं सामान्य उद्योगों के मामलों में फर्श क्षेत्र अनुपात (एफएआर) को सामान्य 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 150 से 200 प्रतिशत किया गया है। भंडारण के मामलों में फर्श क्षेत्र अनुपात को सामान्य 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 150 फीसदी तक किया गया है।

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