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नई दिल्ली - किसानों को एमएसपी की गारंटी क्यों नहीं दे रही है सरकार : हुड्डा

किसानों की मांगे पूरी तरह जायज़, हम किसानों के साथ


नई दिल्ली
: किसान ख़ुशहाल होगा तो ही देश ख़ुशहाल होगा। किसान की ख़ुशहाली में ही हर वर्ग की उन्नति छिपी है। ये कहना है  पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा आज दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि 3 कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ इस आंदोलन में किसान अकेला नहीं है।  सभी कर्मचारी, छोटे कारोबारी, ट्रांसपोर्टर्स और ट्रेड यूनियन्स का साथ भी किसानों को मिल रहा है। कांग्रेस पूरी मजबूती से किसानों के साथ खड़ी है। किसानों के लिए पूरे देश की एकजुटता का नमूना आज भारत बंद के दौरान भी देखने को मिला। भारत बंद पूरी तरह सफल और शांतिपूर्ण रहा।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। बावजूद इसके मौजूदा सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है, जो कि पूरी तरह दुर्भाग्यपूर्ण है। 3 नए क़ानूनों के ज़रिए सरकार किसान से उसकी एमएसपी और मंडियां छीनना चाहती है। सरकार अमेरिका की नीति भारत में लागू करना चाहती है। लेकिन सरकार को समझना चाहिए कि अमेरिका और भारत दोनों की परिस्थितियों में बहुत अंतर है। अमेरिकी कृषि अर्थव्यवस्था का स्पष्ट नियम है कि या तो आप बड़े किसान बन जाओ या आप खेती छोड़ दो। इसीलिए अमेरिका में ज्यादात्तर सिर्फ किसान बचे हैं, जिन्हें वहां की सरकार भारत के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा सब्सिडी देती है। लेकिन भारत में छोटी जोत वाले किसानों की तादाद ज़्यादा है, जिनसे लगातार सब्सिडी का लाभ छीना जा रहा है।

हुड्डा ने कहा कि हमारे देश में किसानों को एमएसपी का संरक्षण ज़रूरी है। ये तभी हो पाएगा जब सरकारी मंडियों का विस्तार किया जाए। हरियाणा में हमारी सरकार के दौरान सरकारी मंडियों के विस्तार को प्राथमिकता दी गई। गांव-गांव में ख़रीद केंद्र स्थापित करने पर ज़ोर दिया गया। लेकिन मौजूदा सरकार जो क़ानून लेकर आई है उससे प्राइवेट मंडियों को बढ़ावा मिलेगा और सरकारी मंडियां कमज़ोर हो जाएंगी। इसी तरह ज़रूरी वस्तू अधिनियम में बदलाव के बाद पूंजीपति किसान के उत्पाद की जमाखोरी करेगा और उससे सस्ता ख़रीदकर मार्किट में महंगे रेट पर बेचेगा।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कॉन्ट्रेक्ट फ़ार्मिंग क़ानून भी किसानों के हितों को सुरक्षित नहीं रखा गया। ना इसमें एमएसपी का ज़िक्र है और ना ही किसान को कोर्ट जाने का अधिकारी। जबकि हमारी सरकार ने अगस्त 2007 में ही कॉन्ट्रेक्ट फ़ार्मिंग को लेकर नियम बना दिया, जिसमें बाकायदा एमएसपी का प्रावधान जोड़ा गया था। नियम में स्पष्ट लिखा गया था कि एमएसपी से कम पर कोई कॉन्ट्रेक्ट नहीं होगा, कॉन्ट्रेक्ट को संबंधित विभाग में जमा करवाना होगा और कॉन्ट्रेक्टर को बैंक सिक्युरिटी देनी होगी।

पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने कहा कि बीजेपी लगातार कांग्रेस के घोषणापत्र में एपीएमपी ख़त्म करने की बात कहकर जनता को गुमराह कर रही है। जबकि कांग्रेस के घोषणापत्र में एपीएमसी में सुधार और मंडियों के विस्तारीकरण की बात कही गई थी। हुड्डा ने कहा कि उनकी कोशिश हमेशा किसानों को मजबूत करने की रही है। यूपीए सरकार के दौरान उनके नेतृत्व में मुख्यमंत्रियों की एक कमेटी बनाई गई थी। उस कमेटी ने किसान सशक्तिकरण के लिए क्रांतिकारी सिफारिशें की थी। उसी का नतीजा है कि फसली ऋण का ब्याज 12 प्रतिशत से कम कर करके पूरे देश में 4 प्रतिशत किया गया था। इससे एक क़दम आगे बढ़ते हुए हमारी सरकार ने हरियाणा में ब्याज को शून्य कर दिया था।

उसी कमेटी ने एमएसपी में उचित बढ़ोत्तरी की भी सिफारिश की थी। यूपीए सरकार के समय एमएसपी में सालाना 13 से 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती थी, जबकि बीजेपी के शासन में केवल 4 से 5 प्रतिशत क बढ़ोतरी हो रही है। किसान की लागत लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन उसके मुक़ाबले एमएसपी में बढ़ोत्तरी ना के बराबर होती है। इसीलिए देश और प्रदेश का किसान आज आंदोलनरत है और एक ज़िम्मेदार विपक्ष होने के नाते कांग्रेस किसान के साथ खड़ी है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुड्डा ने हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार के किसान आंदोलन के प्रति रवैये की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार ने शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचलने की कोशिश की वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हरियाणा और पंजाब का किसान अपने देश की राजधानी दिल्ली में जाना चाह रहा था, ऐसे में प्रदेश सरकार का कोई अधिकार नहीं बनता कि वो किसानों को रोके। किसानों को रोकने के लिए उनपर वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले छोड़ना अमानवीय कार्यवाही है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मौक़े पर हरियाणा के कृषि मंत्री की तरफ से आंदोलन के पीछे विदेशी ताक़तों का हाथ होने वाले बयान की भी कड़ी आलोचना की। हुड्डा ने कहा कि ऐसे बयान के लिए कृषि मंत्री को माफ़ी मांगनी चाहिए और अपने पद से इस्तीफ़ा देना चाहिए। एक ज़िम्मेदार पद पर बैठकर उन्होंने किसानों का अपमान किया है।

हुड्डा ने कहा कि सरकार के किसानों के प्रति ऐसे रवैये का ही नतीजा है कि आज वो जनता और अपने विधायकों का विश्वास खो चुकी है। प्रदेश में सरकार के सहयोगी कई आज़ाद विधायक और जेजेपी के 6-7 विधायक सरकार के ख़िलाफ़ किसानों के समर्थन की बात कह चुके हैं। इसलिए कांग्रेस ने राज्यपाल से विधानसभा का आपातकालीन सत्र बुलाने की मांग की है। इसमें कांग्रेस किसान आंदोलन को लेकर सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।

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