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रादौर - 20 वर्ष की युवा अवस्था में देश के लिए शहीद हुए थे प्रफुल्ल चाकी : वरयाम

क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी का मनाया गया जन्मदिवस


रादौर
: इंकलाब मंदिर गुमथलाराव में गुरूवार को युवा क्रातिकारी प्रफुल्ल चाकी का जन्मदिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर इंकलाब मंदिर की टीम व हरियाणा एंटी करप्शन सोसायटी सदस्यो ने प्रफुल्ल चाकी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा ली।

इस अवसर पर अधिवक्ता वरयामसिंह ने कहा कि क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी  का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। प्रफुल्ल का जन्म उत्तरी बंगाल के गांव बोगरा में हुआ था। जब प्रफुल्ल दो वर्ष के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया। उनकी माता ने अत्यंत कठिनाई से प्रफुल्ल का पालन पोषण किया। विद्यार्थी जीवन में ही प्रफुल्ल का परिचय स्वामी महेश्वरानंद द्वारा स्थापित गुप्त क्रांतिकारी संगठन से हुआ। प्रफुल्ल ने स्वामी विवेकानंद के साहित्य का अध्ययन किया और वे उससे बहुत प्रभावित हुए। अनेक क्रांतिकारियों के विचारों का भी प्रफुल्ल ने अध्ययन किया।

जिससे उनके अंदर देश को स्वतंत्र कराने की भावना पनपने लगी। बंगाल विभाजन के समय अनेक लोग इसके विरोध में उठ खड़े हुए। अनेक विद्यार्थियों ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढक़र भाग लिया। प्रफुल्ल को आन्दोलन में भाग लेने के कारण उनके विद्यालय से निकाल दिया गया। इसके बाद प्रफुल्ल का सम्पर्क क्रांतिकारियों की युगांतर पार्टी से हुआ।
30 अप्रैल 1908 को किंग्सफोर्ड पर उस समय बम फेंक दिया जब वह बग्घी पर सवार होकर यूरोपियन क्लब से बाहर निकल रहा था। लेकिन जिस बग्घी पर बम फेंका गया था उस पर किंग्सफोर्ड नहीं था बल्कि बग्घी पर दो यूरोपियन महिलाएँ सवार थीं। वे दोनों इस हमले में मारी गईं।

दोनों क्रांतिकारियों ने समझ लिया कि वे किंग्सफोर्ड को मारने में सफल हो गए है। वे दोनों घटनास्थल से भाग निकले। प्रफुल्ल चाकी ने समस्तीपुर पहुंचकर कपड़े बदले और टिकट खरीद कर रेलगाड़ी में बैठ गए। दुर्भाग्य से उसी में पुलिस का सब इंस्पेक्टर नंदलाल बनर्जी बैठा था। उसकी सूचना पर स्टेशन पर रेलगाड़ी के रुकते ही प्रफुल्ल को पुलिस ने पकडऩा चाहा। पुलिस से अपने आप को चारों ओर से घिरा देख प्रफुल्ल ने अपनी रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली। मात्र 20 साल की आयु में प्रफुल्ल देश के लिए शहीद हो गए। हमें इन वीरो के जीवन से प्ररेणा पाकर देशहित में योगदान देना चाहिए।

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