Minister of State for Social Justice and Empowerment, Sh. Rattan LalKataria has submitted a statement in the Parliament with reference to the schemes working for the safety and welfare of child beggars.The statement was submitted in reply to the questions raised by multiple other member counterparts. Mr. Kataria also responded to questions pertaining to the allocation of funds to Non-Governmental Organizations (NGOs)(State/Organisation-wise) working for helpless women and children during the last five years.
कटारिया ने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में भिखारियों आदि की कुल संख्या 4,13,670 है और 15 वर्ष से कम उम्र के बाल भिखारियों आदि की कुल संख्या 45,296 है। सरकार द्वारा उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने दस शहरों की पहचान की है, जैसे कि अहमदाबाद, बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, नागपुर और पटना, जहां जागरूकता सृजन, पहचान, पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान, कौशल विकास, परामर्श और बच्चों को बेगिंग/ बच्चों से जुड़े बच्चों की शिक्षा सहित संपूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए भिखारियों के व्यापक पुनर्वास पर पायलट परियोजना शुरू की जाएगी।
कटारिया ने आगे कहा कि महिला और बाल विकास मंत्रालय किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (जेजे एक्ट) का प्रबंधन करता है जो देश में बच्चों के लिए प्राथमिक कानून है। अधिनियमए उन्होंने समझाया, संस्थागत और गैर.संस्थागत देखभाल के लिए उपायों के साथ सेवा वितरण संरचनाओं का एक सुरक्षा जाल प्रदान करता है ताकि संकट की स्थिति में बच्चों की व्यापक भलाई सुनिश्चित की जा सके और अधिनियम के निष्पादन की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों के साथ है।
योजना के तहत केंद्र ने राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों को, या तो स्वयं से या स्वैच्छिक संगठनों के साथ मिलकर, सीसीआई की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। कटारिया ने कहा कि सीपीएस के तहत राज्यों ध् केंद्र शासित प्रदेशों को पिछले पांच वर्षों (अर्थात 2015.16 से 2019.20) के दौरान 2952.08करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।