ऐसी बहसबाजी से मरीजों में भ्रम फैल सकता है, ये वक्त बहस का नहीं, बल्कि मरीजों की हौसलाअफजाई करने व उनको बेहतर इलाज देने है.
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Health
Minister, Anil Vij |
इसलिए इन पद्धतियों को आपस में विरोधी नहीं होना चाहिए बल्कि एक दूसरे के सहयोगी एवं मेलजोल से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान की सभी पद्धतियों का मुख्य उद्देश्य केवल मरीजों का उपचार और उन्हें उत्तम स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करवाना ही होता है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश व प्रदेश में दोनों पद्धतियां के संचालन के लिए अलग-अलग विभाग बने हैं।
राज्य में वे स्वयं बतौर मंत्री दोनों विभागों पर समान रूप से पूरा ध्यान दे रहे हैं ताकि जनता को अच्छे से अच्छे उपचार की सुविधाएं प्राप्त कराई जा सकें। देश में न तो एलोपैथिक दवाई लेने वालों की न्यूनता है और न ही आयुर्वेदिक व आयुष की अन्य पद्धतियों को उपचार के तौर पर प्राथमिकता देने वाले की कमी है।
उपचार की भिन्न-भिन्न पद्धतियों को एक दूसरे की विरोधी पद्धति ना बनकर एक दूसरे की सहयोगी पद्धति बनना चाहिए ।
— ANIL VIJ MINISTER HARYANA (@anilvijminister) May 28, 2021
बाबा रामदेव के बयानों के बाद आयुर्वेद व
एलोपैथी पद्धति से इलाज की बहस के बीच हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल
विज का कहना है कि ऐसी बहसबाजी से मरीजों में भ्रम फैल सकता है, ये वक्त बहस का
नहीं, बल्कि मरीजों की हौसलाअफजाई करने व उनको बेहतर इलाज देने
है।
आयुर्वेद व एलोपैथी इलाज में से कौन ठीक
यह पूछे जाने पर विज ने कहा कि जहां आयुर्वेद से इलाज हो वहां इससे हो सकता है, जहां एलोपैथी की
जरूरत हो वहां उससे हो सकता है। सभी का अपना-अपना महत्व है। इस पर बेवजह बहस किया
जाना ठीक नहीं है। इलाज की यह पद्धतियां एक-दूसरे की विरोधी नहीं बल्कि एक-दूसरे
की सहयोगी हैं, इसलिए इस पर बहस ठीक नहीं।
यह पूछे जाने पर आप तो खुद कोरोना पेशेंट
रहे हैं। इस पर विज ने कहा कि वह रेगुलर आयुर्वेदिक दवाएं लेते हैं, और एलोपैथी भी ली
हैं। दोनों का अपना-अपना महत्व है। बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ से मंगाई गई एक
लाख कोरोनिल किट का उपयोग कहां होगा। इस पर विज ने कहा कि प्रदेश में आयुर्वेदिक
डिस्पेंसरियां है। वहां आयुर्वेदिक डाक्टर बैठते हैं। वहीं जरूरत के अनुसार इन
किटों को भेजा जाएगा।