"बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय.
जो मन देखा आपना, मुझ से बुरा न कोय.''
जो मन देखा आपना, मुझ से बुरा न कोय.''
प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास में पूर्णिमा तिथि को संत कबीर की जयंती मनाई जाती है। इस बार उनकी जयंती 24 जून यानी आज मनाई जा रही है। कबीर दास का जन्म 1398 में माना जाता है। इनके जन्म के समय हर तरफ सर्वत्र धार्मिक कर्मकांड, अंधविश्वास और पाखंड का बोलबाला था। इन्होंने समाज में व्याप्त भ्रांतियों और बुराइयों को दूर करने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया और लोगों में भक्ति भाव का बीज बोया। इनकी मृत्यु 1518 में मगहर में हुई थी।
उन्होंने संत कबीर दास जयंती के अवसर पर संत
कबीर दास को नमन करते हुए कहा कि संत कबीर दास समाज के अग्रदूत थे। वे एक महान
विचारक व समाज सुधारक थे। उन्होंने कहा कि संत कबीर दास ने अपनी ‘वाणी’ से समाज में व्याप्त बुराईयों को मिटाने का काम किया और समाज को सही रास्ता
दिखाया।
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश सरकार चाहती
है कि संत व महापुरुषों के विचारों का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो, इसी के चलते संत कबीर दास, गुरु रविदास, महर्षि वाल्मीकि,
बाबा साहेब डॉ.
भीमराव अंबेडकर आदि महान् संत-महापुरुषों की जयंती पर प्रदेशभर में सरकारी तौर पर
कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को संत महापुरुषों के
जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और किसी भी प्रकार के नशे आदि से दूर रहकर समाज की
भलाई के लिए कार्य करना चाहिए।
"बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय.
जो मन देखा आपना, मुझ से बुरा न कोय.''
जो मन देखा आपना, मुझ से बुरा न कोय.''