नशे के खिलाफ इस मुहिम में चिकित्सक व शिक्षक निभाएं अहम भूमिका- उपायुक्त
REPORT BY : RAHUL SAHAJWANI
CITY LIFE HARYANA | यमुनानगर : उपायुक्त गिरीश अरोरा ने कहा कि सभ्य समाज में नशे के लिए कोई जगह नहीं है, इसलिए नशा मुक्त समाज बनाने के लिए हम सभी को मिलकर सतत प्रयास करने की आवश्यकता है, क्योंकि नशे के कारण ही समाज में विभिन्न प्रकार की कुरीतियों पनपती हैं और कुरीति हीन समाज की संरचना के लिए सभी प्रकार के नशे का जड़ मूल से खात्मा होना चाहिए। जिला सचिवालय में अन्र्तराष्ट्रीय नशा मुक्ति एवं अवैध व्यापार दिवस के अवसर पर साईकिल जागरूकता रैली को झण्डी दिखाने से पूर्व विद्यार्थियों से बातचीत कर उनको नशा न करने की शपथ भी दिलाई।
उपायुक्त गिरीश अरोरा ने कहा कि जिला को नशा मुक्त बनाने के लिए पुलिस विभाग द्वारा गंभीरता से कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अध्यापक व अभिभावक भी बच्चों को खेलों के साथ-साथ अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नशीली दवाओं व नशे से छुटकारा पाना है तथा समाज को सुदृढ व खुशहाल बनाना है। अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस प्रतिवर्ष 26 जून को मनाया जाता है ताकि युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक कर इससे होने वाले दुष्प्रभावों बारे अवगत करवाया जाए जिससे नशा मुक्त व स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके।
उन्होंने कहा कि नशा मुक्त समाज की कल्पना को साकार करने के लिए हम सबको इसके खिलाफ जन जागरूकता पैदा करनी होगी ताकि हम अपनी युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त में आने से बचा सकें। इसके लिए सबसे पहले हमें स्वयं जागरूक होना होगा और मिशन के रुप में एकजुट होकर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि अध्यापक का समाज में महत्वपूर्ण स्थान होता है और विद्यार्थी उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। विद्यार्थियों का अध्यापकों व माता-पिता से सीधा जुड़ाव होता है, इसलिए अध्यापक विद्यार्थियोंं को नशीले पदार्थों व नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दें। शिक्षा के साथ-साथ हमारी संस्कृति के बारे में जागरूक करते हुए नशा न करने के लिए प्रेरित करें।
उन्होंने कहा कि आज समाज में नशा चुनौतीपूर्ण ढंग से बढ़ रहा है, जिसे रोकने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे जिससे जिला से नशा जड़ मूल से समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि नशे से मानसिक पीड़ा के साथ-साथ माइग्रेन, सिरदर्द एवं चक्कर आना, इनसोमनिया (नींद न आने की बीमारी), चिंता, भय, घबराहट, डिप्रेशन, याददाश्त में समस्या आदि बीमारियां उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर नशे की गिरफ्त में फंसे लोगों को सिर्फ दवाएं देकर ठीक करने की कोशिश की जाती है। असल में दवाओं के साथ साथ नशा ग्रस्त की काउंसलिंग भी जरूरी है।
मण्डल बाल कल्याण अधिकारी मनीषा खन्ना ने बताया कि नशे का जहर समाज को तेजी से निगल रहा है। भावी पीढ़ी भी नशे की चपेट में आ रही है। उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों का प्रयोग एक मनोवैज्ञानिक बीमारी है। नशा सेवन करने वाला इंसान खुद तो तबाह होता ही है साथ ही अपना परिवार भी उजाड़ देता है। नशा त्यागने के लिए दृढ इच्छा शक्ति व संकल्प का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि नशे के कारण समाज में आपराधिक घटनाएं भी बढ़ती हैं जोकि भविष्य के लिए चिंता का विषय है। इस प्रकार से नशा केवल व्यक्तिगत नुकसान ही नहीं करता बल्कि पूरे परिवार व समाज को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि नशा को समाज से खत्म करना सबकी सामूहिक जिम्मेवारी है। नशे के खिलाफ सभी को एकजुट होकर लडऩा होगा और सभी को जिला को नशा मुक्त बनाने की मुहिम में अपना योगदान देना होगा। इस अवसर पर जिला बाल कल्याण अधिकारी सुखविन्द्र सिंह, एआईपीआरओ मनोज पाण्डेय, लेखाधिकारी अवतार सैनी सहित अन्य स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि व विद्यार्थी उपस्थित थे।