पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में बोलते हुए उन्होंने कहा कि चाहे एचपीएससी, एसएससी या फिर शिक्षा बोर्ड है, उनमें भर्ती पेपर के लिए तीन लोगों की जिम्मेदारी होती है जिसमें बोर्ड अध्यक्ष, सचिव और कांफिडेंशियल असिस्टेंट शामिल हैं, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए.
- अब तक हुई 28 भर्ती पेपर लीक में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का हुआ घोटाला
- विस सत्र में मुद्दा किसानों और घोटालों का था जिन्हे उठाने में कांग्रेस रही पूरी तरह नाकाम
- जहां हमारी नई नस्ल नशे के कारण बर्बाद हो रही है उस पर नहीं कर रहा कोई चर्चा
- कांग्रेस वाले सिर्फ अखबारों में खबर बनाने के लिए सत्र को बढ़ाने की करते हैं मांग
- कहा- वो जब विस में होते थे तो अड़ कर बढ़वाते थे समय
- ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का जिम्मेदार मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री दोनों हैं, इनके खिलाफ लोगों की मौत के दर्ज होने चाहिए मुकद्दमे
पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में बोलते हुए उन्होंने कहा कि चाहे एचपीएससी, एसएससी या फिर शिक्षा बोर्ड है, उनमें भर्ती पेपर के लिए तीन लोगों की जिम्मेदारी होती है जिसमें बोर्ड अध्यक्ष, सचिव और कांफिडेंशियल असिस्टेंट शामिल हैं, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। क्योंकि बोर्ड के अध्यक्ष को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है इसलिए वो भी बराबर के दोषी हैं। पुलिस भर्ती परीक्षा के फार्म प्राइवेट एजेंसियों द्वारा भरे गए जिसमें आठ लाख बच्चों ने सौ-सौ रुपए में फार्म भरे। कुल मिलाकर आठ करोड़ की रकम बनती है जो रकम बोर्ड के खाते में जानी चाहिए थी वो सीधे प्राइवेट फर्म के खाते में गई। इस फर्म का नाम एचकेसीएल है जो कि गुजरात की कंपनी है और पंचकूला से ऑपरेट करती है। पिछले छह साल में 28 भर्ती पेपर लीक हुए हैं जो कि 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का घोटाला है।
भाजपा सरकार ने पेपर लीक में ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जिनका दूरदराज का भी वास्ता नहीं था। पेपर में दिए गए प्रश्नों को पढक़र बेहद हैरानी हुई, इन प्रश्नों का पुलिस की भर्ती से कोई वास्ता नहीं था। विपक्ष के लोग जो सदन में बैठे हैं उन्होंने जो मुद्दा उठाया वो आधा-अधूरा था। उन्होंने असली दोषी का नाम तक नहीं लिया क्योंकि इनको जानकारी ही नहीं थी। इन्होंने पेपर लीक का मुद्दा भी तक उठाया जब हमने महामहिम को इसके लिए ज्ञापन सौंपा और जांच करके दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
विधानसभा में मुद्दा किसानों का था जहां
नौ महीने से चल रहे आंदोलन में 800 से ज्यादा किसान शहीद हो गए लेकिन इन किसानों की शहादत में
विपक्ष ने न कोई काम रोका प्रस्ताव दिया,
न ही ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया और न ही
शून्यकाल में सरकार को घेरने का प्रयास किया। मुद्दा घोटालों का था लेकिन विपक्ष
ने न तो शराब घोटाले का, न धान घोटाले का,
न रजिस्ट्री घोटाले का, न दवाइयों की खरीद
में 450 करोड़ रुपए के घोटाले का कोई जिक्र किया। बजाय सरकार तो सदन
में जनहित के मुद्दों को घेरने के सारे कांग्रेसी इसी बात में उलझे रहे कि पुलिस
ने उनके साथ बदतमीजी की है।
प्रदेश में कानून व्यवस्था का दिवालिया
पिटा हुआ है, कोई दिन ऐसा नहीं जाता जिस दिन बच्चियों के साथ बलात्कार, अपहरण, लूट, डकैती और हत्या की घटना न होती हो। जहां हमारी नई नस्ल नशे के
कारण बर्बाद हो रही है उस पर कोई चर्चा नहीं कर रहा बल्कि सभी विपक्षी विधायक अपने
हलकों के चार गांवों के नाम लेकर लोगों को खुश करने में लगे हुए हैं। नशे के मामले
भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं जिसमें चिट्टा,
स्मैक,
अफीम,
पोस्त और गांजा की बिक्री बेतहाशा बढ़ी
है। सरकार ने खुद माना है कि 2019 में अफीम 143 किलो पकड़ी गई थी जो अबकी बार 225
किलो पकड़ी गई है। चरस पिछले साल149 किलो पकड़ी गई थी
अबकी बार 255 किलो पकड़ी गई है। वहीं गांजा जो पिछले साल 5502 किलो
पकड़ा गया था अबकी बार दुगुना 9018 किलो पकड़ा गया है।
27 जुलाई, 2020 को भ्रष्टाचार और घोटालों के बारे में हमने मुख्यमंत्री को एक
पत्र लिखा था जिसमें सभी घोटालों की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की थी।
मुख्यमंत्री द्वारा जांच तो दूर की बात है पत्र का जवाब तक नहीं दिया।
पत्रकारों द्वारा विस सत्र को बढ़ाने के
लिए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष वाले तो छह बजे का इंतजार भी
नहीं करते और वहां से भागने की सोचते हैं। सिर्फ अखबारों में खबर बनाने के लिए
सत्र को बढ़ाने की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि वो जब विस में होते थे तो अड़
कर समय बढ़वाते थे। सदन में विपक्ष के नेता पूरे दिन में सिर्फ पांच मिनट बोलते
हैं उसमें भी उनकी आधी बात समझ में आती है। हुड्डा लगातार बीजेपी की भाषा बोलते
हैं। अगर विपक्ष का नेता सच में जनता का हितैषी है तो सरकार की नस पर पैर रखकर विस
सत्र का समय बढ़वाए और जो मुद्दे आज यहां हमने रखे हैं उन पर सदन में चर्चा कर
सीबीआई की जांच के लिए सरकार को मजबूर करे।
ऑक्सीजन की कमी से हुई लोगों की मृत्यु
के बारे में पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए अभय सिंह चौटाला ने कहा कि इससे बड़ा
भद्दा प्रदेश का मुख्यमंत्री हमारे साथ क्या करेगा जहां ऑक्सीजन की कमी से सैकड़ों
नहीं हजारों लोग मरे हैं और इस बात को मुख्यमंत्री को स्वीकार करना चाहिए। इनकी
मौतों का जिम्मेदार हमारे प्रदेश का मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री है, इनके खिलाफ लोगों की
मौत के मुकद्दमे दर्ज होने चाहिए।
पेपर लीक में सीबीआई से जांच करवाने पर
पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अनिल विज ईमानदारी से पेपर लीक
में बच्चों को न्याय दिलवाना चाहते हैं परंतु उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। अगर
इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए तो इसकी आंच मुख्यमंत्री तक पहुंचेगी।