भूमि अधिग्रहण बिल और किसानों पर लाठीचार्ज के मुद्दे को लेकर की मुलाकात. किसान, गरीब विरोधी और अप्रजातांत्रिक है नया भूमि अधिग्रहण विधेयक. करनाल में हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच करवाई जाए. प्रदेश को बेरोजगारी, अपराध, नशे, घोटाले व किसानों पर अत्याचार में नंबर वन बनाना है बीजेपी की उपलब्धि- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
चंडीगढ़ NEWS। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस विधयकों ने भूमि अधिग्रहण बिल और किसानों पर लाठीचार्ज के मुद्दे को लेकर राज्यपाल से मुलाकात की। दोनों मुद्दों पर राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा गया। ज्ञापन में राज्यपाल से अनुरोध किया गया है कि वे मॉनसून सत्र में पास किए गए नए भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अपनी सहमति ना दें और इसे संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत पुनर्विचार के लिए हरियाणा विधानसभा को वापस भेजें। क्योंकि यह विधेयक किसान, गरीब विरोधी और अप्रजातांत्रिक है। विधेयक को सदन में बिना विस्तृत चर्चा के जल्दबाजी में पारित किया गया।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि नया विधेयक केंद्रीय प्रधान अधिनियम 2013 के इरादे और भावनाओं के विरुद्ध है। विधेयक उन किसानों के हितों और भावनाओं को आहत करेगा जो पहले से ही कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 9 महीने से आंदोलनरत हैं। नए विधेयक के जरिए पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के किसानों की सहमति, सेक्शन-4 व सेक्शन-6 के नोटिस की प्रक्रिया और जमीन के बदले मुआवजे के साथ रिहायशी प्लॉट देने जैसे तमाम प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया है। इतना ही नहीं, पुराने कानून के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के अंदर सरकारी प्राधिकरण के लिए 75% जमीन धारकों की सहमति जरूरी थी और एक्ट की धारा-10 के मुताबिक उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता था। नए कानून में इसको समाप्त कर दिया गया है। स्पष्ट है कि यह संशोधन किसानों के खिलाफ और पूंजीपतियों के हक में है। कानून का मकसद किसान की जमीन बिना उसकी सहमति के छीनना है।
कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल के सामने 28 तारीख को करनाल में हुए बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज का मुद्दा भी उठाया। हुड्डा ने कहा कि यह लाठीचार्ज सरकार की गहन सोच और योजना के तहत हुआ। इसमें एक उच्च अधिकारी का वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें वह किसानों का सिर फोड़ने की बात कह रहा है। राज्यपाल को अधिकारी की वीडियो भी सौंपी गई है।
इस मामले में कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल से उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश या सेवानिवृत्त न्यायाधीश से न्यायिक जांच की मांग की है ताकि घायल किसानों को पूर्ण न्याय मिल सके। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष ने अपने आवास पर एक पत्रकार वार्ता को भी संबोधित किया। उन्होंने बीजेपी सरकार के 2500 दिन पूरे होने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बीजेपी के पूरे कार्यकाल के दौरान प्रदेश में ना कोई नई रेलवे लाइन, नई मेट्रो ट्रेन लाइन, कोई एम्स, नई यूनिवर्सिटी, पावर प्लांट, राष्ट्रीय स्तर का संस्थान आया और ना ही कोई बड़ा उद्योग स्थापित हुआ।
हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार के दोनों कार्यकाल विफलताओं से भरे पड़े हैं। फिर सरकार किस बात का जश्न मना ही है? क्या सरकार इस बात का जश्न मना रही है कि उसने हरियाणा को बेरोजगारी, अपराध, नशे, घोटाले, किसान विरोध और प्रदूषण में नंबर वन बना दिया है? क्या सरकार इस बात का जश्न मना रही है कि उसने किसानों को लाठी-डंडों से पिटवाया? क्या इस बात का जश्न मनाया जा रहा है कि आज किसान सड़कों पर बैठा है? क्या इस बात का जश्न मना रही है कि आज प्रदेश पर सवा दो लाख करोड़ का कर्ज हो गया है?
भूमि अधिग्रहण बिल पर राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा
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के माननीय राष्ट्रपति को उनकी सहमति के लिए बिल
को संदर्भित करने के बजाय, इसे हरियाणा विधानसभा में पुनर्विचार के लिए
वापिस भेजा जावे। संशोधन विधेयक जनता की सुरक्षा/तेजी से विकास के उद्देश्य और
भूमि मालिकों को उचित मुआवजा/मूल्य और उनके पुनर्वास/पुनर्स्थापन की न्यायसंगत
प्रक्रिया के माध्यम से राज्य की अनिवार्य आवश्यकता के बीच ठीक संतुलन को बिगाड़
देगा और नष्ट कर देगा। जैसा कि पहले कहा गया है, हमारे
जोरदार विरोध और विधानसभा से वाक-आउट की अनदेखी करते हुए, हरियाणा विधानसभा में विधेयक पारित किया गया
है। विधेयक को सदन की एक चयनित समिति को संदर्भित करने के लिए बार-बार किए गए
अनुरोध की उपेक्षा की गई है। वास्तव में, सरकार
ने अहंकार के साथ विधानसभा के माध्यम से क्रूर बहुमत का प्रदर्शन करते हुए कानून
को पास कर दिया गया ।
यह भी ध्यान में रखा जाए कि सिंचित और बहु-फसली
भूमि के अधिग्रहण से न केवल भूमि मालिक किसानों की आजीविका प्रभावित होती है, बल्कि भूमिहीन गरीब, खेत-मजदूरों और कारीगरों व अन्य परिवारों की
आजीविका भी प्रभावित होती है, जो
अपने अस्तित्व और निर्वाह के लिए पूरी तरह से उस भूमि पर निर्भर है। अधिकांश
खेत-मजदूर और कारीगर अनुसूचित जाति, पिछड़े
वर्ग और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के हैं।
Right to Fair Compensation
and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act, 2013
यह कानून 2013 में
जब आया तो पुराना लैंड एक्विजिशन एक्ट 1894 में
बदलाव करके बनाया गया वह कानून 120 साल
पुराना था।
कानून लाते वक्त किसानों का जमीन acquire करते समय प्रत्येक पहलु का ध्यान रखा गया था ।
इस बिल के कानून को पास करने से पहले Standing Committe on Rural Development ने अपनी रिपोर्ट दी। इसके इलावा Rehabilitation व Resettlement
Bill 2007 पर भी विचार किया गया।
बिल में सार्वजनिक हित को परिभाषित किया गया, ताकि सरकार के Defence व अन्य सरकारी कामों के लिए जमीन अधिग्रहण को
सीमित अधिकार होंगे । विस्थापित परिवारों के अधिकारों का पूरा ख्याल रखा गया ।
Section -10A
सेक्शन 10-A का
संशोधन 2013
के मूल कानून की
भावना व उद्देश्य और कारण के खिलाफ है। यह संशोधन 2013 के
मूल कानून की भावना को धराशायी कर देगा। यह किसानों के अधिकारों पर कुठाराघात है। Public Private Partnership के अन्दर सरकारी प्राधिकरणों के लिए 75% जमीन धारको की सहमती जरूरी थी। एक्ट की धारा 10 के मुताबिक उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण नहीं किया
जाएगा। इसको समाप्त कर दिया गया है। यह संशोधन किसान के खिलाफ व कॉर्पोरेट व
उद्योगपतियों के हक में है। इस कानून के अनुसार सरकार किसान की जमीन उसकी सहमति के
बिना छीनना चाहती है।
Section-23A
धारा-23ए
मुख्य अधिनियम की मूल नीतियों के विरुद्ध है। प्रावधान प्राकृतिक न्याय के
सिद्धांत के खिलाफ है और अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया को खराब करता है।
संशोधन में कई अपूरणीय खामियां हैं। संशोधन बाजार मूल्य, शत प्रतिशत मुआवजा व Rehabilitation &
Resettlement की बात नहीं करता।
संशोधन धारा 26,
27, 28 के प्रावधानों की
प्रक्रिया को समाप्त कर देगा। यह अधिनियम की धारा 30 के
तहत दिए गए अधिकारों को भी छीन लेगा। जो शत-प्रतिशत मुआवजे की बात करता है। यह
किरायेदारों व सुखभोग अधिकारों और पट्टेदारों आदि के अधिकारों की भी बात नहीं करता
है। यह कानून की कसोटी पर खड़ा नहीं हो सकेगा ।
Section - 31 A कोई भी ऐसा संशोधन प्रदेश सरकार द्वारा पारित
नहीं किया जा सकता जो कानून की मूल धाराओं को निरस्त कर दे। 2013 के सेक्शन 31 के
अंदर विस्थापित परिवारों के अधिकार को सुरक्षित रखा गया था और अवार्ड के अंदर उसका
विवरण होगा और इसके अन्दर
Rehabilitation and Resettlement की पालिसी
का पूरा जिक्र है और उस पॉलिसी के मुताबिक अवार्ड पास किया जाएगा ।
अवार्ड का 50% Lumpsum दे कर सेक्शन 31 की
पॉलिसी को निरस्त नहीं किया जा सकता ।
संशोधन प्रस्तुत करते समय हरियाणा सरकार की Rehabilitation &
Resettlement की पॉलिसी का
बिलकुल भी ध्यान नहीं रखा गया है जो बिलकुल ही अप्रजातांत्रिक है। कोई भी संशोधन
मूल कानून के प्रावधानों को आसान बनाने के लिए लाया जा सकता है। लेकिन कानून की
मुख्य धाराओं को न तो ध्वस्त कर सकता है और न ही निरस्त कर सकता है ।
हम आपसे अनुरोध करते हैं आप अपने प्रभावी
हस्तक्षेप के द्वारा इस संशोधन बिल को रोक दिया जावे या राष्ट्रपति महोदय को उनकी
सहमती के लिए न भेज कर, इसे हरियाणा विधान सभा में पुनर्विचार के लिए
भेजा जावे ।
हरियाणा कांग्रेस विधायक
Mohd. Iliyas
Rao Dan Singh
Bhupinder Singh Hooda
Shakuntala Khatak
Dharam Singh Chhoker
Jagbir Singh Malik
Kuldeep Vats
Geeta Bhukkal
Subhash Deshwal
Bharat Bhushan Batra
Neeraj Sharma
Aftab Ahmed.
करनाल में हुए बर्बरतापूर्ण किसानों पर लाठीचार्ज के मुद्दे को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा
माननीय राज्यपाल महोदय, हरियाणा राजभवन, चण्डीगढ़।
महोदय,
हम, हरियाणा
कांग्रेस के विधायकगण आपके संज्ञान में 28.08.2021 को प्रदेश के करनाल जिले के बसताड़ा में अपनी
मांगों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर प्रदेश
सरकार/प्रशासन द्वारा किए गए बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज का मामला लाना चाहते हैं। इस
घटना से प्रदे । ही नहीं बल्कि दे । के आम लोग आहत हुए हैं।
महोदय, आपको
ज्ञात ही है कि दे । के किसान नए कृशि कानूनों के विरोध में तथा उनको वापिस लेने
की माँग को लेकर पिछले नौ महीने से प्रजातांत्रिक व भान्तिपूर्ण तरीके से आन्दोलन
कर रहे हैं। लेकिन प्रदे । सरकार का रवैया उनके प्रति सहानूभूतिपूर्वक व संवेदन
[ील न हो कर कठोर व नकारात्मक रहा है। आन्दोलन के दमन हेतु कई बार बल प्रयोग किया
है जैसे हरियाणा-पंजाब सीमा पर, पिपली, हिसार, कुंडली.....
में निहत्थे किसानों पर बर्बरतापूर्ण लाठियाँ, पानी
की बोछारें बरसाई गई। अफसोस है कि यह सिलसिला अभी थमा नहीं है।
वर्तमान में करनाल में घटित दर्दनाक घटना ने यह
साबित कर दिया कि यह बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज इस सरकार की गहन सोच और योजना के तहत
हुआ है। इस आ गय की एक विडियो भी प्रसारित हुई है, जिसमें
सरकार का एक उच्च अधिकारी किसानों का सिर फोड़ने की बात कर रहा है। (विडियो की एक
प्रति संलग्न है)। भाजपा-जजपा की गठबंधन सरकार की ऐसी मं ा और व्यवहार की प्रदे ।
का हर नागरिक निंदा करता है। किसानों के प्रजातांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा
रहा है।
इस प्रकार की निरन्तर कार्यवाहियों से प्रदे | की भान्ति व सौहार्द पर विपरित असर पड़ेगा।
महोदय, भारत
जैसे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में किसी शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलना दर्दनाक है।
देश के अन्नदाता के सिरों को प्रशासन द्वारा फोड़ा जाना, इस लोकतांत्रिक देश की रूह पर करारा प्रहार है।
इस बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज में सैंकड़ों किसान घायल हो गए हैं। देश का पेट पालने
वाले किसान का सिर फोड़ना किसी भी सरकार/प्रशासन को शोभा नहीं देता।
अतः महोदय, हम
प्रदेश कांग्रेस के विधायक आपसे अनुरोध करते हैं की इस मामले की उच्च न्यायालय के
वर्तमान न्यायधी । अथवा सेवानिवृत न्यायधी । से न्यायिक जाँच के आदेश दिए जाएँ। इस
घटना की सच्चाई उजागर हो और दोशियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई अमल में लाई
जाए ताकि घायल किसानों को पूर्ण न्याय दिलाया जा सके।
महोदय, आपसे
अनुरोध है की आप प्रदेश की बीजेपी-जजपा गठबंधन सरकार को उपरोक्त जाँच के तत्काल
आदेश दें।
सम्मान सहित धन्यवाद |
हरियाणा कांग्रेस विधायक
Mohd. Iliyas
Rao Dan Singh
Bhupinder Singh Hooda
Shakuntala Khatak
Dharam Singh Chhoker
Jagbir Singh Malik
Kuldeep Vats
Geeta Bhukkal
Subhash Deshwal
Bharat Bhushan Batra
Neeraj Sharma
Aftab Ahmed.