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Yamunanagar : शहर का विकास करवाने के लिए महापौर को मिले पांच करोड़ के स्वेच्छिक फंड का बजट

सौ वर्ग गज तक की रिहायशी संपत्तियों का संपत्तिकर किया जाए मुक्त 


CITY LIFE HARYANA | यमुनानगर  :
 
प्रदेश के सभी नगर निगमों के महापौर की बैठक मंगलवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ हुई। इसमें सभी महापौर ने अपने अपने शहर के विकास को लेकर मुख्यमंत्री के साथ चर्चा की। महापौर मदन चौहान ने अपने शहर के विकास को लेकर कई प्रस्ताव मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष रखें। जिनकों पूरा करने का मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आश्वासन दिया।


बैठक में मेयर मदन चौहान ने सबसे पहले अवैध कॉलोनियों को नियमित करने पर आभार जताया। इसके बाद उन्होंने शहर के विकास को लेकर मुख्यमंत्री व अन्य महापौर से चर्चा की गई। मेयर मदन चौहान ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहर के विकास को गंभीरता से लेते हुए उनके द्वारा बताए गए सुझावों पर विचार कर अमल में लाने का आश्वासन दिया। बैठक में पंचकूला मेयर कुलभूषण गोयल, रोहतक मेयर मनमोहन गोयल, पानीपत मेयर अवनीत कौर, करनाल मेयर रेनूबाला गुप्ता, गुरुग्राम मेयर मधु आजाद, फरीदाबाद मेयर सुमुन बाला आदि मौजूद रहें।


   इन मुद्दों पर हुई मुख्यमंत्री के साथ चर्चा   



- नगर निगम में सौ वर्ग गज तक की रिहायशी संपत्तियों को संपत्तिकर से मुक्त कर दिया जाए। इससे एक चौथाई परिवारों को राहत मिलेगी।

- विधायक व सांसद फंड की तर्ज पर महापौर को नगर निगम क्षेत्र में विकास कार्य करवाने के लिए पांच करोड़ रुपये का स्वेच्छिक फंड का बजट दिया जाए।

- निगम के कार्यों में तेजी लाने के लिए अदायगी करने का अधिकारी महापौर को होना चाहिए।

- नगर निगम की कार्यप्रणाली को प्रभारी एवं पारदर्शी बनाया जाए।

- महापौर को विधायी शक्तियां दी जाएं, ताकि हाउस में पास किए गए प्रस्तावों को अमल में लाने के लिए अधिकारियों पर निर्भर नहीं रहना पड़े।

- जनहित के कार्यों में तेजी लाने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों की एसीआर लिखने का अधिकार महापौर को होना चाहिए।

- नगर निगम कार्यालय में कर्मचारियों की इंटरनल बदली में महापौर की सहमति लेना अनिवार्य होना चाहिए।



- नगर निगम में होने वाले प्रत्येक टेंडर महापौर की देखरेख में होने चाहिए और नीतिगत निर्णयों में मेयर के आदेश मानने के लिए अधिकारी को बाध्य किया जाना चाहिए।

- दिन प्रतिदिन निपटाए जाने वाले विशेष व अति‌ आवश्यक मामलों की ‌लिखित में महापौर को दिया जाना अनिवार्य किया जाए।

- निदेशालय स्तर पर जारी किए जाने वाले टेंडरों की मॉनिटरिंग के लिए सभी निर्वाचित महापौरों की एक स्थाई समिति बनाई जाए। जिसकी देखरेख में सभी टेंडर किए जाए।

- मुख्य सचिव के बराबर महापौर को भी आर्थिक मेडिकल सुविधाएं दी जाए।

- एनडीसी (नो ड्यूज सर्टीफिकेट) पोर्टल पर कुछ खामियां है। इन खामियों में सुधार किया जाए।

- निगमों में कार्यरत अधिकारी वैध व अवैध में आने वाली प्रॉपर्टी की स्पष्ट जानकारी उपलब्ध करवाए। इसकी स्पष्ट सूची नोटिस बोर्ड पर प्रकाशित करें। ताकि शहरवासियों को परेशानी न हो।

- सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए 5-6 वार्डों का एक-एक जोन बनाकर वहां सफाई कार्य किए जाएं। डोर टू डोर, नाइट स्वीपिंग, सी एंड डी वेस्ट, हॉर्टिकल्चर वेस्ट व नाला सफाई आदि के लिए एजेंसी को ठेका दिया जाए। कूड़ा निस्तारण का कार्य निगम द्वारा अपना प्लांट लगवाकर करवाया जाए।

- ठेका प्रणाली का समाप्त कर सफाई कर्मचारी को सीधे पे रोल पर लेने की पॉलिसी बनाई जाए।

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