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Radaur- मेला लगा, भीड़ जुटी लेकिन अधिकारियों की अनदेखी से नपा की आमदन में लाखों का फटका

चार वर्ष में नपा को मेले से हुई करीब 32 लाख की आमदन


रादौर 𝐍𝐄𝐖𝐒।
कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के मध्यनजर भीड़ न जुटने देने की मुहिम को लेकर जिला प्रशासन ने लगातार दूसरे वर्ष भी रादौर में ऐतिहासिक जाहरवीर गोगा माड़ी मेले की परमिशन नगरपालिका को नहीं दी थी। जिस कारण नगरपालिका रादौर दुकानों व झूले की बोली नहीं करवा पाई। हर वर्ष बोली होने से नगरपालिका को 𝟖 से 𝟏𝟎 लाख रूपएं की आमदन होती है। जिसे विकास कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इस वर्ष बोली न होने से नगरपालिका के पास आने वाले संभावित 𝟖 से 𝟏𝟎 लाख रूपएं नपा को नहीं मिल पाएं। ऐसा नहीं था कि मेला आयोजित नहीं हुआ। 𝟐𝟎 सितंबर से 𝟐𝟖 सितंबर तक लगातार रादौर में मेला लगा, जिसमें दुकानें भी लगी और झूले भी। मेले में भारी भीड़ भी जुटी। लेकिन नगरपालिका के हाथ खाली रहे। जिसके पीछे अधिकारियों की सही तरीके से पैरवी नहीं कर पाना माना जा रहा है। 

अधिकारियों की मानें तो वह केवल परमिशन न मिलने की बात कहकर अपनी जिमेंवारी से पल्ला झाड़ रहे है। लेकिन मेला लगने के बावजूद नपा अधिकारियों ने राजस्व जुटाने की मुहिम को अनदेखा किया। जबकि नपा के इस ढीले रवैये का फायदा वह लोग उठा गएं जिनकी दुकानें व संस्थान मेला सड़क पर पड़ते है। उन लोगों ने दुकानदारों से अपने संस्थानों व दुकानों के बाहर दुकान लगाने के लिए वसूली की। नपा को यह नुकसान ऐसे समय में हुआ है जब नपा बजट की कमी से जूझ रही है और अगर इस समय यह राशि नपा को मिल जाती तो नपा रादौर इससे कई छोटे छोटे जरूरी कार्य करवा सकती थी, जो बजट की कमी से पूरे नहीं हो पा रहे है और जिससे लोगों को परेशानी हो रही है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि क्षेत्र के लोग मेला लगने से काफी उत्साहित दिखाई दिएं लेकिन नपा को हुए नुकसान भी कस्बे में लोगों में चर्चा का विषय रहा। कुछ लोग तो मेला दुकानदारों व झूला संचालक से अधिकारियों की सांठ गांठ होने का दावा भी कर रहे है और प्रशासन के उच्चाधिकारियों से मामले की जांच करवाएं जाने की मांग कर रहे है। लोगों की यह भी मांग है कि नपा को जो नुकसान मेले की बोली न होने से हुआ उसकी भरपाई संबंधित अधिकारियों से करवाई जाएं।

  • चार वर्ष में नपा को मेले से हुई करीब 𝟑𝟐 लाख की आमदन

फरवरी 𝟐𝟎𝟏𝟔 में नपा का रादौर में गठन हुआ था। तभी से मेले में लगने वाली दुकानों व झूला लगाने का टेंडर नपा की ओर से किया जाता है। जिसकी एवज में दुकानदारों व झूला संचालक से फीस ली जाती है। जिससे नपा को आमदन होती है। वर्ष 𝟐𝟎𝟏𝟔 में नपा की मेले से 𝟖 लाख 𝟑𝟓 हजार, 𝟐𝟎𝟏𝟕 में 𝟔 लाख 𝟗𝟓 हजार, 𝟐𝟎𝟏𝟖 में 𝟕 लाख 𝟑𝟓 हजार व 𝟐𝟎𝟏𝟗 में 𝟖 लाख 𝟕𝟒 हजार रूपएं की आमदन हुई। जिसमें से खर्च के नाम पर केवल दंगल में आने वाले पहलवानों को पुरस्कार राशि वितरित की गई। 𝟐𝟎𝟐𝟎 में कोरोना के चलते मेला आयोजित नहीं हुआ। वहीं इस बार भी प्रशासन ने मेले की परमिशन नहीं दी लेकिन बावजूद इसके मेला आयोजित हुआ।

  • राकेश वालिया, सचिव

मेले की परमिशन प्रशासन से मांगी गई थी लेकिन उन्हें परमिशन नहीं मिली। जिस कारण बोली नहीं हो पाई। मेले से दुकाने हटवाने के लिए कर्मचारियों को भेजा गया था और आज भी कर्मचारी दुकानें हटाने के लिए गएं है।

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