सेवा सुरक्षा व सहयोग का नारा देने वाली पुलिस के दम पर ही सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने व न्याय दिलवाने का दम भरती है. लेकिन एक पिता का आरोप है कि पुलिस ने न्याय देने की बजाएं आरोपितो के साथ मिलीभगत कर जांच के बहाने कई धाराएं भी मामले से हटा दी. जिसके बाद अब पुलिस का मानना है कि लड़की के खिलाफ अश्लील संदेश भेजना अपराध नहीं है.
- कानून के जानकार बोले
डिजिटल युग के इस दौर में जिस तेजी से लोगों के हाथ में स्मार्ट फोन ने पैठ बनायी है, भारत में मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो या फिर अश्लील संदेश भेजने के खिलाफ सख्त नियम है। आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत कामुक सामग्री को बांटना दंडनीय अपराध है। आईटी एक्ट की धारा 67 के अंतर्गत इस अपराध के दोषी पाये जाने पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना या पांच साल की सजा या भी दोनों हो सकती है। वहीं अगर आप इस अपराध में फिर से दोषी पाये जाते हैं तो आपको दो साल की सजा और दस लाख रुपए के जुर्माने या दोनों की सजा हो सकती है।
- तीन पीढ़ी बीजेपी में निस्वार्थ सेवा करने
के बाद भी नही मिला न्याय, 2 साल से दर-दर की ठोकरें खा रहा है एक पिता
आपको बता दें कि स्वर्गीय रामनाथ जी लंबे समय से रादौर ब्लॉक के बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे। अब उनकी पुत्र वधू बबीता गुप्ता जिला महिला विंग की उपसचिव के तौर पर कार्यरत हैं। उनकी तीसरी पीढ़ी बीजेपी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है, लेकिन अपनी ही सरकार में न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहें है।
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रादौर निवासी मनमोहन गुप्ता ने बताया कि कुछ लोगों ने उसकी बेटी के ससुराल में अश्लील संदेश भेजकर उसकी बेटी को बदनाम करने व उसका रिश्ता तुड़वाने का प्रयास किया था। जब उन्होंने अपने स्तर पर जांच की तो पता चला कि जगाधरी निवासी प्रदीप, दीपक, जयता, कमलेश इत्यादि ने साजिश के तहत इस कार्य को अंजाम दिया है। जिनके खिलाफ उन्होनें शाहबाद पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। जिस पर पुलिस ने धारा 500, 506 व 509 के तहत मामला दर्ज किया था। लेकिन अब पुलिस ने जांच के दौरान 506 व 509 को होना नहीं माना है। वहीं धारा 500 को अंसेज्ञय अपराध बताकर न्यायालय में जाने की बात कही है। गुप्ता का आरोप है कि यह सब साजिश के तहत किया जा रहा है। इसमें पुलिस की आरोपितों से मिलीभगत है। जिस कारण एक बेटी को न्याय देने में लीपापोती करने का प्रयास पुलिस कर रही है।
उन्होंने कहा कि जब एक युवती से छेड़छाड़ करना, उसकी तरफ गलत नीयत से घूरना, अश्लील फब्तियां कसना, पीछा करना व अश्लील संदेश भेजना अपराध है तो पुलिस लड़की के के चरित्र पर ऊंगली उठाने वाले अश्लील संदेशों को भेजना अपराध क्यों नहीं मान रही है। जबकि उनके पास आरोपितों के खिलाफ पुख्ता सबूत है जिसे उन्होंने पुलिस की जांच में भी पेश किया है। यहां पुलिस खुद को कानून से उपर मान रही है। जिसके लिए अब वह न्यायालय में जाकर न केवल आरोपितों के खिलाफ बल्कि पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग करेगें।