बुढ़ापे की लाठी : जब घर में बेटा पैदा होता है तो माता-पिता को यह खुशी होती है कि बुढ़ापे में बेटा उनकी सेवा करेगा और उनका सहारा बनेगा. लेकिन जिंदारान गांव के रहने वाले सुखीराम आज यह कहने को मजबूर है कि ऐसी औलाद से तो औलाद ना होना ही अच्छा है. अब सुखीराम और उसकी पत्नी अपनी बेटियों के भरोसे दिन काट रहे.
रोहतक NEWS। बुढ़ापे की लाठी : जब घर में बेटा पैदा होता है तो माता-पिता को यह खुशी होती है कि बुढ़ापे में बेटा उनकी सेवा करेगा और उनका सहारा बनेगा. लेकिन जिंदारान गांव के रहने वाले सुखीराम आज यह कहने को मजबूर है कि ऐसी औलाद से तो औलाद ना होना ही अच्छा है। बेटे ने सुखीराम की सारी जायदाद पर धोखा करके कब्जा कर लिया है। सुखीराम यह आरोप लगा रहे हैं कि बेटे ने 5 एकड़ जमीन के कागजात पर धोखे से दस्तखत करवा कर उनकी जमीन हड़प ली और फिर उन्हें बीच राह राम भरोसे छोड़कर दगा दे गया। अब सुखीराम और उसकी पत्नी अपनी बेटियों के भरोसे दिन काट रहे थे। तो पत्नी की मौत हो गई, उसे भी कंधा देने के लिए बेटा विनोद नहीं पहुंचा और यहां तक की अपनी उस मृत मां के शव को घर में भी नहीं रखने दिया। अब वह समाज तथा सरकार के सामने न्याय दिलाने की गुहार कर रहा है और मीडिया के सामने अपना दर्द बयां कर रहे है।
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बबीता |
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कमला देवी |
दूसरी बहन कमला देवी की भी आंखों में आंसू है और वह कह रही हैं कि नालायक भाई पैदा हो गया। जिसने उनके माता - पिता को सड़क पर छोड़ दिया। वह पिछले कई सालों से अपने माता - पिता की देखभाल कर रहे थे। मां की मौत हो गई है। अब तो वह अपने भाई को दुश्मन की तरह देखते हैं। क्योंकि जो अपने मां - बाप और उनकी इज्जत नहीं कर सकता, उसके लिए ऐसा ही कहना बनता है। भाई विनोद ने तो घर का पुश्तैनी मकान भी बेच दिया। जिसमें उसके पिता रहना चाहते थे और सिर्फ एक कमरा उस मकान में रहने के लिए मांग रहे थे। लेकिन उसके भाई ने वह एक कमरा भी रहने के लिए नहीं दिया।
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सुखीराम |
पिता सुखीराम ने संगीन आरोप लगाए की ऐसी संतान होने से तो निसंतान ही अच्छा। जबकि बेटे ने कहा की वो अभी भी अपने पिता को ले जाने के लिए तैयार है लेकिन उनकी बहने मिलने तक नहीं दे रही। अब कौन सही कौन गलत…दोनों पक्ष मांग रहे है न्याय।
जबकि इन सभी बातो को बेबुनियाद व् केवल मौखिक रूप देते हुए भाई विनोद कुमार का कहना है कि हरियाणा पुलिस में तैनात बहन बबिता ने खुद अपने पिता पर प्रॉपर्टी को अपने कब्ज़े में लेने का केस किया था। लेकिन वो केस हार गयी और अदालत ने सुखी राम के पक्ष में फैसला सुनाया। माँ के किर्या कर्म पर उठी बात पर उनका कहना है की अपनी माँ का सारा किर्या कर्म उन्होंने खुद करवाया है। इतना ही नहीं उन्होंने बहनो पर ये संगीन आरोप लगते हुए बताया की बहन कमला और बबिता ये चाहती ही नहीं थी। माँ की अर्थी को बेटा कन्धा दे। माँ की अस्थियो को उन्होंने गंगा में भी बहाया है।
फिलहाल
भाई विनोद पर उनकी बहनो और पिता ने केस किया है। कौन सही है और कौन गलत इसका फैसला
अदालत करेगी।
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