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Radaur- महापंचायत का फैसला: फैक्ट्ररी संचालक या तो काम बदले या फिर जगह बदले

महापंचायत ने कहा- प्रदेश में बूचडखानों के लाईसैंस न दे सरकार



रादौर
News
गांव कांजनू में निर्माणाधीन मीट पैकिंग फैक्ट्ररी के विरोध में शहीद उधमसिंह पार्क में आयोजित की गई महापंचायत का आयोजन संस्कृति बचाओं संघर्ष समिति के बैनर तले किया गया। महापंचायत में सैंकड़ों की संख्या में लोग जुटे। जिसमें महिलाएं भी शामिल रही। महापंचायत में बजरंग दल, भारतीय किसान यूनियन, कांग्रेस व इनेलों से जुड़े पदाधिकारी भी समर्थन देने पहुंचे। महापंचायत में एकमत से निर्णय लिया गया कि फैक्ट्ररी संचालक या तो काम बदले या फिर जगह बदले। इसके अलावा ग्रामीणों को कुछ मंजूर नहीं है। कुछ वक्ताओं ने तो यहां तक कह डाला कि अगर नहीं माने तो फिर ग्रामीण इस फर्म का कोई भी कार्य यहां नहीं होने देगें। वहीं कुछ वक्ताओं ने पूरे प्रदेश में बूचडखानों के लाईसैंस न देने की मांग सरकार से की। महापंचायत की अध्यक्षता संस्कृति बचाओं संघर्ष समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश कांजनू ने की। इस दौरान डीएसपी रजत गुलियां को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा गया जिसमें बूचडख़ाने का काम रूकवाने की मांग की गई।

  • किसान नेताओं ने संबोधन में किया सरकार का विरोध तो महापंचायत में गर्मा गया माहौल

पंचायत में सरकार व विपक्ष दोनों से जुड़े लोग शामिल हुएं। लेकिन आयोजक उस समय कुछ असहज दिखाई दिएं जब बार बार कुछ वक्ता सरकार का विरोध अपने संबोधन में करते रहे। किसान यूनियन से जुड़े एक वक्ता ने सरकार की खिलाफत व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष किया तो महापंचायत का माहौल गर्मा गया। उसकी बात को जब मंच का संचालन कर रहे अखिल कांजनू ने काटा तो किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष सुभाष गुर्जर ने इसका विरोध किया। उन्होनें कहा कि हम सरकार के पक्षधर नहीं है। सरकार ने इस काम का लाईसैंस दिया है। इसलिए सरकार का विरोध तो होगा ही। इस बात पर माहौल गर्मा गया। लेकिन लोगों ने बीच बचाव कर उन्हें शांत करवाया। इसके बाद भी अपने संबोधन में भाकियू चढूनी ग्रुप के संजू गुंदियाना ने भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति की सरकार में इतनी ही चल रही है तो फिर यहां महापंचायत करने की जरूरत ही क्यों पड़ रही है। वह सरकार से इसका लाईसैंस रद्द करवा सकता है।

  • समिति अध्यक्ष ने कहा- नहीं सुधेरे तो सुधार देगें, गांव का फायदा करना है तो गांव के हित में कोई और कार्य करे

महापंचायत में पहुंचे प्रत्येक वक्ता ने कड़े शब्दों में इस प्रौजेक्ट का विरोध किया। समिति अध्यक्ष जयप्रकाश कांजनू ने कहा कि शुरूआत में इसी प्रकार प्रौजेक्ट लगाने वाले लुभावने सपने दिखाते है। जब गांव के नजदीक डिच डे्रन लगी थी तब भी ऐसा ही हुआ था। उन्हें कहा गया था कि इसका फायदा ग्रामीणो को मिलेगा। लेकिन अब ग्रामीण इससे परेशान है। यह प्रौसेसिंग यूनिट नहीं बल्कि बूचडख़ाना है। धीरे धीरे यहां सब कार्य होगें। जिससे धार्मिक भावना भी आहत होगी और पर्यावरण का नुकसान भी होगा। गांवो में बिमारियां फैलना भी तय है। लेकिन सरकार व प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। ग्रामीण ऐसा नहीं होने देगें। संचालक ग्रामीणो पर दबाव डालने का प्रयास कर रहे है। लेकिन वह दबाव में नहीं आएंगें। या तो वह सुधर जाएं नहीं तो ग्रामीण उन्हें सुधार देगें। तीन कृषि कानून की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों ने केंद्र सरकार को समझा दिया है यह तो फिर छोटा सा कार्य है। अगर फैक्ट्ररी संचालक ग्रामीणो का फायदा चाहते है तो अड़ीयल रवैया छोड़े और यहां कोई अन्य प्रौजेक्ट लगाएं। नहीं माने तो फिर दूसरा प्रौजैक्ट भी गांव में नहीं लगने दिया जाएंगा।  

  • संत गोपाल दास के अलावा पहुंचे यह लोग


महापंचायत में पक्ष व विपक्ष के लोग तो शामिल हुएं ही बजरंग दल व गौरक्षा व गौचरान की भूमि के लिए आवाज उठाने वाले संत गोपाल दास भी पहुंचे। इसके अलावा आरएसएस से मानसिंह आर्य, बजरंग दल से कर्मचंद गोड़से, राकेश पाल, सेवा भारती से वेद कांबोज, पंतजलि योग समिति से अमित कांबोज, युवा खेल एवं रक्तदान संस्था से धनपत सैनी, नंबरदार एसोसिएशन से शिवकुमार संधाला, नैब सिंह खुर्दबन, कांग्रेस पार्टी से मांगेराम मारूपुर, संदीप उन्हेड़ी, संजू धौलरा, सतपाल कौशिक, जेजेपी की ओर से जरनैल सिंह पंजेटा, कमल चमरोड़ी, किसान यूनियन से सुभाष गुर्जर, सुखबीर कौर, जयपाल चमरोड़ी, समाजसेवी सतीश शर्मा धौडग़, दलीप सिंह रिंकू के अलावा ग्रामीण सचिन कांबोज कांजनू, राकेश पाल, अमित कांजनू, अखिल कांजनू, अनिल प्रजापत, सुलेख चंद, लालचंद कांबोज, विक्रम अलाहर, कुमेर सिंह, विपिन धानुपुरा, सुरेश, आज्ञाराम दूधली, सतीश गुगलो इत्यादि शामिल थे।

  • डीएसपी ने की शांति बनाएं रखने की अपील

ज्ञापन लेने पहुंचे डीएसपी रजत गुलिया ने ग्रामीणों से अपील की कि वह शांति बनाएं रखे। उनकी मांग को सरकार व उच्चाधिकारियों तक पहुंचा दिया जाएंगा। इस दौरान ग्रामीणों ने उनके सामने मांग रखी कि फैक्ट्ररी संचालक को भी यहां काम करने से रोका जाएं। अगर उसने कार्य किया तो ग्रामीण फिर से उसका विरोध करेगें। जिस पर रजत गुलिया ने आश्वासन दिया कि उन्हें तब तक काम करने नहीं दिया जाएंगा जब तक इसका कोई हल नहीं निकल जाता।











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