मदद की अपील
जिंदगी का आखिरी दौर कैसे गुजरेगा, कितना भारी पड़ेगा कुछ कहा नहीं जा सकता
जिंदगी का आखिरी दौर कैसे गुजरेगा, कितना भारी पड़ेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। ग्राम पंचायत बहादुरपुर के दलमीर गढ़ निवासी 60 वर्षीय जगदीश चंद कृत्रिम सांसो के सहारे अपने दिन काट रहे हैं। शिक्षा एवं वन मंत्री कंवरपाल के खिजराबाद स्कूल में सहपाठी रहे जगदीश चंद पीडब्ल्यूडी में बेलदार भर्ती हुए और मेट के पद पर रहते हुए उन्होंने 2008 में घरेलू परिस्थितियों के चलते वीआरएस ले ली। जगदीश के पास चार लड़कियां हैं और एक बेटा कृष्ण गोपाल था जिसकी शादी के कुछ महीने बाद अचानक मौत हो गई। जगदीश के पास बेटे कृष्ण गोपाल की एकमात्र निशानी पौत्री प्रीति है। जो नौवीं क्लास में पढ़ती है। परिवार में जगदीश, उसकी पत्नी जगवति और पौत्री प्रीत हैं। जगदीश को लगभग 15 हजार रुपए महीने पेंशन मिलती है।
जगदीश की पत्नी
जगवती ने बताया कि 24 घंटे लगातार ऑक्सीजन के सहारे जीना
पड़ रहा है। 2 सिलेंडर ऑक्सीजन के प्रति दिन लगते
हैं। जिनका खर्च लगभग 500 रुपए आता है। इसके साथ-साथ दवाइयों का खर्च, घर परिवार चलाना बहुत मुश्किल बना हुआ
है। जगवती मनरेगा मजदूर है। लेकिन काम धंधा नहीं होने के कारण मजदूरी भी नहीं है। अब गाय का दूध
बेचकर गुजारा कर रही है। प्रताप नगर के जिस स्कूल में पोत्री प्रीति पड़ती है
उन्होंने मदद के रूप में उसकी फीस माफ की हुई है। इसी प्रकार एक सज्जन व्यक्ति ने
जगदीश को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेंट किया है। इलाज का भारी-भरकम खर्च और आमदनी का
कोई जरिया ना होने के कारण बात करते ही पति पत्नी दोनों की आंखें भर आती हैं। बेटे
का अचानक दुनिया से चले जाने का गम भी पति पत्नी के लिए असहनीय बना हुआ है।
जगवती
ने बताया कि उसने एक गाय पाल रखी है उसका दूध बेचकर जैसे तैसे गुजर बसर कर रही है।
ऑक्सीजन के पाइप को संभालते हुए जगदीश चंद्र ने बताया कि शिक्षा मंत्री कंवर पाल
कई बार हाल जानने घर आए उन्होंने 50 हजार रुपयों की मदद भी की है। जगदीश
चंद व उनकी पत्नी जगवती ने इलाज के लिए सरकार, प्रशासन
व सामाजिक संस्थाओं से मदद की अपील की है।
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