गुरुद्वारों में गूंजेगा वाहेगुरु... वाहेगुरु
वही, गुरूद्वारा सिंह सभा
रादौर की ओर से नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। नगर कीर्तन गुरूद्वारा सिंह सभा से
शुरू हुआ जो बुबका चौंक, बस स्टैंड रोड, कमेटी चौंक, मुख्य बाजार, रावल चौंक व गुरू नानक चौंक से होता हुआ वापिस गुरूद्वारा परिसर
पहुंचा। इस दौरान जगह जगह सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों व समाजसेवियों ने
पुष्प वर्षा कर व प्रसाद वितरण कर नगर कीर्तन का भव्य स्वागत किया। नगर कीर्तन का
शुभारंभ प्रधान मेजरसिंह ओजला ने किया। नगर कीर्तन में पंच प्यारे, कीर्तन मंडली व गतका
दल शामिल था। गतका दल के सदस्यों ने जगह जगह अपने कलाओं का प्रदर्शन कर सभी का
मंत्रमुग्ध किया।
इस अवसर पर प्रधान मेजरसिंह ओजला ने कहा कि
गुरू नानक देव जी की जंयती हर वर्ष कार्तिक पुर्णिमा को पूरे विश्व में धुमधाम से
मनाई जाती है। गुरू नानक देव जी ने सामाजिक और जीवन से संबंधित कुरीतियों को
खत्म करने उपदेश देने के साथ उन्होंने ईश्वर प्राप्ति की ऐसी आध्यात्मिक राह दिखाई
थी जो आम लोगों के लिए सहज थी। जिसमें किसी तरह के कर्मकांड और प्रपंच नहीं थे।
गुरु नानक देव ने दुनिया को इक ओंकार का मंत्र दिया था। जिसका अर्थ होता है कि
ईश्वर एक है और वह सर्वत्र मौजूद है। यही वजह है कि ओंकार को सिखधर्म में बहुत
महत्व दिया जाता है। उनका कहना था कि हमें सभी के साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।
उनके अनुसार ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही है। गुरुनानक जी के
प्रेम और आध्यात्मिक विचारों के कारण पंजाब और उसके आसपास के समाज में भारी बदलाव
भी देखने को मिला। गुरू नानक जी ने करतारपुर (पाकिस्तान) नामक स्थान पर एक नगर को
बसाया जो आज एक तीर्थ स्थल है। पूरे विश्व में लोग उनकी शिक्षाओं का अनुशरण करते
है और सभी लोगों के लोगों में वह पूज्रीय है।
इस अवसर पर त्रिलोचन सिंह टोची, सतनामसिंह, अवतार सिंह, सतविंद्र सिंह रिंकू, जसविंद्र जस्सी, राजबीर, नीटा, मा. अर्जुन सिंह, अभयजोत सिंह इत्यादि
उपस्थित थे।
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