खनन एजेंसी @ कर्मचारियों
सुरेश कुमार का कहना है कि उसने कुछ माह पहले अपना नया ट्रैक्टर खनन एजेंसी बी-16 पर किराए पर लगाया था। जिसकी एवज में करीब 30 हजार रूपए प्रतिमाह किराए तय हुआ। ट्रैक्टर को उसे सुबह 7 बजे से शाम को 7 बजे तक खनन एजेंसी के कार्य में चलाना था। तेल व टै्रक्टर की टूट फूट खनन एजेंसी की जिमेंवारी थी। गत 5 दिसबंर की शाम अपना कार्य पूरा करने के बाद वह अपने ट्रैक्टर को साइट पर ही खड़ा कर अपने घर चला गया। अगले दिन जब वह सुबह साइट पर पहुंचा तो पता चला कि यहां तैनात एक कर्मचारी रात के समय उनके टै्रक्टर को यमुना नदी के अंदर पानी के बीच ले गया। इस दौरान टै्रक्टर पानी में डूब गया। जिससे टै्रक्टर खराब हो गया। उसने यहां पर तैनात साइट इंचार्ज जितेंद्र से इस बारे बात की तो उसने उसे आश्वासन दिया कि वह ट्रैक्टर को ठीक करा देंगे। उसके कहे अनुसार उसने अपने ट्रैक्टर को करनाल एजेंसी में खड़ा कर दिया। ट्रैक्टर कंपनी के कर्मचारियों ने ट्रैक्टर पर करीब 80 हजार रूपए का खर्च होने का अनुमान बताया।
लेकिन खनन एजेंसी का वह कर्मचारी ट्रैक्टर को ठीक कराने से
मुकर गए। इस संबंध में दो बार पंचायतें भी हुई। बार-बार कहने पर जब उसका ट्रैक्टर
ठीक नहीं कराया तो मजबूरन उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। अब दोनों पक्षो के बीच बातचीत
हो गई है। बातचीत करने के लिए साईट इंचार्ज जितेंद्र व प्रदीप शर्मा मौके पर आए
थे। उन्होंने लिखित में समझौता किया है। जिसके तहत वह ट्रैक्टर पर होने वाला पूरा
खर्च वहन करेगें। धरने प्रदर्शन में भाकियू के करनाल जिला अध्यक्ष भरत सिंह, यमुनानगर जिला
प्रधान संजू गुंदियाना, जयमल सैनी, जसबीर हंसूमाजरा, बलिंद्र सिंह, हरिराम, जयभगवान, कुलवंत, राजकुमार शर्मा, जसबीर, सूरताराम, राजकुमार, जसमेर, बलकार, करनैल, मदन सिंह, राकेश, जयसिंह इत्यादि
मौजूद थे।
थाना प्रभारी पूर्णसिंह ने बताया कि उन्हें मामले की सूचना मिली
थी। जिसके बाद वह मौके पर पहुंचे और वहां बैठे किसानों से बातचीत की। जिसके बाद
दोनों पक्षो के लोगों को थाने में बुलाया गया। जहां दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौता
होने के बाद मामला सुलझ गया है।
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