12 साल के बेटे ने बीमार माँ के लिए मांगी थी मदद
Report By : Rahul Sahajwani
यमुनानगर | NEWS - जिले की एक महिला जिसे कोविड के साथ साथ किडनी की बीमारी भी दी उसे न केवल पति ने छोड दिया बल्कि मुलाना अस्पताल में भी उस महिला को डाक्टरो ने जवाब दे दिया। लेकिन उसके बेटे की मेहनत ऐसी रंग लाई कि निजी अस्पताल संचालक ने न केवल महिला के इलाज किया बल्कि उससे एक रू भी नही लिया गया।
कोरोना कॉल के चलते न जाने कितनी जाने इस जहान से चली गई और आज भी जब किसी को कोरोना जैसी बीमारी होती है तो उसके रिश्तेदार भी दूर भागते है। लेकिन यमुनानगर का एक नामी निजी अस्पताल एक महिला के लिए भगवान का रूप बनकर सामने आया। दराअस्ल बबली नामक महिला जिसके पहले पति की मौत हो चुकी है और फिर उसने दूसरी शादी कर ली थी। बबली के पास एक 12 साल का लडका भी है। बबली को जब कोरोना हुआ तो उस बीमारी के साथ साथ उसको किडनी की बीमारी भी लग गई। किडनी की बीमारी में जब उसका टेस्ट हुआ तो क्र्रेटनीन की रिपोर्ट 1 होनी चाहिए थी जबकि यह क्रेटनीन 40 के पास पहुंच गया था । यह डाक्टरों के सामने पहला ऐसा अनुभव था कि क्रेटनीन 40 तक पहुंच गया।
बताया जाता है कि अगर क्रेटनीन की मात्रा 10 भी हो जाए तो किडनी पूरी तरहा से फेल हो जाती है और आदमी का बचाना बहुत ही मुश्किल होता है। लेकिन यहा तो बबली को कोरोना के साथ साथ उसके किडनी भी पूरी तरहा से फेल थी। बबली ने न जाने कितनी अस्पतालों के चक्कर काटे। आखिरकार जब मुलाना पहुंची तो वहा डाक्टरों ने उसके हालात को देखते हुए उसे जवाब दे दिया। जिसके बाद उसका 12 साल का बेटा यमुनानगर के गाबा अस्पताल में किसी के साथ पहुंचा तो उसने रो-रो कर अपनी मां का दर्द डाक्टर को सुनाया।
गाबा अस्पताल में जब 12 साल के मासूम ने अपनी मां की दास्तान डाक्टरों को सुनाई तो अस्पताल की तरफ से एम्बूलेंस मुलाना भेजी गई। यहा से बबली को अस्पताल में लाकर उसका इलाज शुरू कर दिया। छह से सात बार बबली की डेलसीस भी हुई और अब बबली पूरी तरहा से स्वास्थ्य है। जानकारी के अनुसार डाक्टरों के सामने ऐसा मामला पहली बार आया है और उसमें भी कामयाबी मिली है। कही न कही इस 12 साल के बेटे ने अपनी मां को मौत के मुंह से निकालने में डाक्टरों की सहायता ली और आज दोनों मां बेटे खुशी खुशी अपने घर जाने की तैयारी कर रहे है।