𝐄𝐱𝐩𝐫𝐞𝐬𝐬𝐢𝐧𝐠 𝐠𝐫𝐢𝐞𝐟 𝐨𝐯𝐞𝐫 𝐧𝐞𝐠𝐥𝐞𝐜𝐭𝐢𝐧𝐠 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐔𝐧𝐢𝐨𝐧 𝐁𝐮𝐝𝐠𝐞𝐭, 𝐊𝐮𝐦𝐚𝐫𝐢 𝐒𝐞𝐥𝐣𝐚 𝐬𝐚𝐢𝐝 𝐭𝐡𝐚𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐞𝐱𝐩𝐞𝐜𝐭𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐬 𝐨𝐟 𝐭𝐡𝐞 𝐩𝐞𝐨𝐩𝐥𝐞 𝐨𝐟 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐡𝐚𝐯𝐞 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐝𝐚𝐬𝐡𝐞𝐝 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐭𝐡𝐢𝐬 𝐛𝐮𝐝𝐠𝐞𝐭. 𝐀𝐥𝐨𝐧𝐠 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐭𝐡𝐞 𝐜𝐞𝐧𝐭𝐫𝐚𝐥 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭, 𝐭𝐡𝐞 𝐁𝐉𝐏-𝐉𝐉𝐏 𝐠𝐨𝐯𝐞𝐫𝐧𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐨𝐟 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐰𝐚𝐬 𝐚𝐥𝐬𝐨 𝐫𝐞𝐬𝐩𝐨𝐧𝐬𝐢𝐛𝐥𝐞 𝐟𝐨𝐫 𝐭𝐡𝐢𝐬. 𝐓𝐡𝐞 𝐬𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐨𝐟 𝐇𝐚𝐫𝐲𝐚𝐧𝐚 𝐡𝐚𝐬 𝐛𝐞𝐞𝐧 𝐠𝐫𝐨𝐬𝐬𝐥𝐲 𝐧𝐞𝐠𝐥𝐞𝐜𝐭𝐞𝐝 𝐢𝐧 𝐭𝐡𝐞 𝐛𝐮𝐝𝐠𝐞𝐭, 𝐬𝐡𝐞 𝐚𝐝𝐝𝐞𝐝.
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने केंद्रीय बजट को
देशवासियों की उम्मीदों को कुचलने वाला बताया है। बजट में हरियाणा की उपेक्षा पर
भी कुमारी सैलजा ने निराशा जताई है। कुमारी सैलजा ने कहा कि आज बेरोजगारी चरम पर
है, महंगाई लगातार बढ़ती जा रही
है और अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। सरकार की विफल नीतियों और कोरोना काल में
उपजे हालातों के बीच लोगों को उम्मीद थी कि इस बजट के जरिए उन्हें बड़ी राहत
मिलेगी। मगर आज इस बजट से देशवासियों को घोर निराशा हाथ लगी है और इस बजट ने उनकी उम्मीदों
पर पानी फेर दिया है। यह पूरी तरह से जन विरोधी बजट है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि समय-समय पर भाजपा सरकार यह साबित करती रहती है कि उनकी नीतियां आम जनता, गरीब, किसान, युवा, छोटे उद्योगों के लिए नहीं हैं। केंद्रीय बजट प्रस्तुत होते ही सबसे पहला प्रहार नौकरी-पेशा और मध्यम वर्ग पर हुआ है। पूरा देश जब सरकार से आयकर में कटौती की उम्मीद लगा रहा था तब सरकार ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
केंद्रीय बजट में हरियाणा प्रदेश की अनदेखी पर दुःख व्यक्त करते
हुए कुमारी सैलजा ने कहा कि इस बजट से हरियाणा प्रदेश की जनता की उम्मीदों पर भी
पानी फिर गया है। इसके लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार
भी जिम्मेदार है। बजट में हरियाणा प्रदेश की घोर उपेक्षा की गई है।
Kumari Selja said
that this government has been speaking of doubling the income of farmers for
many years, but the condition of the farmers is worsening. Yet there is nothing
in this budget for the farmers. This budget is completely anti-farmer. The poor
section of the country has also not got anything from this budget and they have
been ignored in this budget.
Kumari Selja said that this budget is not for the benefit of the general public in any sense. The budget presented for the financial year 2022-23 has also hit the poor by cutting subsidies. Food subsidy was Rs 2.86 lakh crore in the financial year 2021-22 which has been reduced to ₹2.06 lakh crore in the financial year 2022-23. The subsidy on fertilizers to farmers has been reduced from Rs 1.40 lakh crore to Rs 1.05 lakh crore, whereas the budget of MGNREGA has been reduced from Rs 98,000 crore to Rs 73,000 crore. The government has also reduced the budget for Minimum Support Price (MSP) of crops. Last year the budget for MSP was Rs 2.48 lakh crore which has been reduced significantly by Rs 11000 crore to Rs 2.37 lakh crore this year. Apart from this, the budget also has nothing much for health services during this ongoing pandemic period.
She added that the BJP government, which makes tall claims and promises, has done nothing for the common people. The country is yet to emerge from the huge losses caused by the pandemic. In such a situation, the government should have taken steps for the good of the people, but the farmers, poor, laborers, youth have got only betrayal from this government. This government promised to provide jobs to 2 crore youth, but made it a jumla. Now, this government has created a new hype of providing 60 lakh jobs in the budget. This government has been promising employment since the beginning, but in reality nothing has come to the hands of the youth except helplessness, said Kumari Selja.
𝐑𝐞𝐚𝐝 𝐦𝐨𝐫𝐞 𝐚𝐭
लार्ज स्कैल स्तर पर प्रदेश की कृषि भूमि की पैमाईश,
अगस्त
2022 तक मेपिंग कार्य होगा पूरा
कुमारी सैलजा ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने की बातें इस सरकार द्वारा कई
वर्षों से की जा रही हैं, लेकिन
किसानों के हालात बदतर होते जा रहे है। बजट पूरी तरह से किसान विरोधी बजट है। देश
के गरीब वर्ग को भी इस बजट से कुछ नहीं मिला है और इस बजट में गरीबों की सीधे तौर
पर अनदेखी की गई है।
यह बजट किसी भी मायने में आम जनता के भले के लिए नहीं है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए प्रस्तुत बजट में सब्सिडी में कटौती करके भी गरीबों पर प्रहार किया गया है। वित्त वर्ष 2021-22 में फूड सब्सिडी 2.86 लाख करोड़ रुपये थी जो वित्त वर्ष 2022-23 में घटा कर 2.06 लाख करोड़ कर दी गई है। किसानों को खाद पर मिलने वाली सब्सिडी 1.40 लाख करोड़ रुपये से घटा कर 1.05 लाख करोड़ रुपये किया गया है तो वही मनरेगा का बजट 98,000 करोड़ रुपये से कम करके 73,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। केंद्र सरकार के बजट में किसानों के लिए कोई घोषणा नहीं की गई है। इससे पहले किसानों को बजट में कुछ मिले या न मिले, उनके लिए अच्छी बातें तो होती थी, इस बार के बजट में कोई घोषणा भी नहीं की गई।
सरकार ने किसानों की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का बजट भी
कम कर दिया है। पिछले वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का बजट 2.48 लाख करोड़ रूपये था, जिसमें पूरे 11000
करोड़ की कटौती करके उसे इस वर्ष 2.37 लाख
करोड़ रखा गया है। इसके अलावा महामारी के दौर में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी इस
बजट में कुछ ख़ास नहीं है।
कहा कि इस सरकार ने 2
करोड़ युवाओं को नौकरियां देने का वादा किया,
लेकिन
उसे जुमला बना दिया। अब इस सरकार ने बजट में 60 लाख
नौकरियां देने का नया शिगूफा छोड़ा है। यह सरकार रोजगार देने का वादा यह सरकार शुरू
से कर रही है लेकिन असल में युवाओं के हाथ बेबसी और लाचारी के सिवा कुछ नहीं आया
है।
उन्होंने कहा कि क्या बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाली भाजपा सरकार के पास आम जनता के लिए कुछ नहीं है.? यह देश अभी महामारी से हुए भारी नुकसान से उभरा नहीं है। ऐसे में सरकार को जनता के भले के लिए कदम उठाने चाहिए थे लेकिन किसानों, गरीबों, मजदूरों, युवाओं को इस सरकार से सिर्फ विश्वासघात ही मिला है।