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Radaur- इस बार गुमथला घाट का आवाजाही का ठेका लेने में रूचि नहीं दिखा रहे ठेकेदार

एक वर्ष के लिए छुटता है यमुना नदी क्रॉस के लिए ठेका



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By, Ran Singh Chauhan

रादौर।। यमुना नदी के पोबारी व गुमथला घाट का प्रतिवर्ष आवाजाही के लिए एक वर्ष का ठेका अलॉट होता है। पोबारी घाट पर वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 का ठेका अलॉट हो चुका है। लेकिन अभी गुमथला घाट पर आवाजाही के लिए ठेका अलॉट नहीं हुआ है। गुमथला घाट पर आवाजाही का ठेका आज (𝟏𝟗 मई)को समाप्त हो रहा है। 

संबंधित अधिकारियों की माने तो घाट को आगामी वर्ष के लिए ठेके पर देने को लेकर चार बार बोली प्रक्रिया रखी जा चुकी है... लेकिन बोली प्रक्रिया सिरे नहीं चढ़ पाई। इस बार हुई बोली प्रक्रिया में चार ठेकेदारों ने भाग लिया। सबसे अधिक बोली ढ़ाई लाख रूपए गुमथला गांव के जोगिंद्र ठेकेदार ने लगाई। लेकिन इतनी कम राशि में उसे ठेका अलॉट नहीं किया गया। 

अब बीडीपीओ की ओर उच्चाधिकारियों को पत्र लिख आगामी कार्रवाई के लिए मार्ग दर्शन मांगा गया है. जिसके बाद आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी... बता दे कि इस बार ठेकेदार इस घाट को लेने में रूचि नहीं दिखा रहे। अगर इस बार ठेका अलॉट नहीं हुआ, तो विभाग को तो लाखों का नुकसान होगा ही साथ ही उन किसानों की परेशानी भी बढ़ेगी जिनकी जमीनें यमुना नदी के उस पार है। क्योंकि धान का सीजन शुरू होने वाला है। 

किसान यमुना नदी के नगली घाट पर आवाजाही ठेकेदार द्वारा बनाएं गए अस्थाई रास्ते से ही अपने खेत में आते जाते है. अगर ठेका अलॉट नहीं हुआ तो अस्थाई रास्ते की देख रेख नहीं हो पाएगी... यमुना नदी का जलस्तर बढऩे से अगर रास्ता टूट गया, तो किसानों की परेशानी बढ़ेगी। रास्ते के अभाव में किसानों को कलानौर बॉर्डर से होकर खेतों में आना जाना पड़ेगा, जो किसानों के लिए काफी परेशानी भरा होगा।

हर वर्ष जब पोबारी व गुमथला घाट का आवाजाही का ठेका अलॉट होता था, तो पहले ही इच्छुक ठेकेदार बीडीपीओ कार्यालय में आकर पूछते थे कि घाट की बोली कब होगी... पोबारी घाट का ठेका आगामी एक वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 के लिए अॅलाट हो चुका है। लेकिन गुमथला घाट का ठेका अभी तक अलॉट नहीं हुआ। चार बार बोली प्रक्रिया रखी जा चुकी है। इस बार गुमथला घाट का आवाजाही का ठेका लेने में ठेकेदारो की रूचि न के बराबर ही है। 

इसका एक मुख्य कारण है कि यमुना नदी के नगली घाट पर ओवरब्रिज के कंस्ट्रक्शन का कार्य चल रहा है. इस वर्ष कार्य पूरा होने की संभावनाएं है... ठेकेदारों की माने तो ऐसे में आवाजाही घाट का ठेका लेने का कोई फायदा नहीं मिलेगा। पैसे खराब जाएंगे। क्योंकि ओवरब्रिज बनते ही लोग ओवरब्रिज के ऊपर से ही गुजरेंगे।

यमुना नदी के पोबारी व गुमथला घाट का ठेका प्रशासन की ओर से एक वर्ष के लिए छोड़ा जाता है. दोनों ही घाट पंचायत समिति के अधीन पड़ते है... पिछले आंकडों पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो वर्ष 𝟐𝟎𝟏𝟔-𝟏𝟕 में गुमथला घाट 𝟏𝟎 लाख 𝟖𝟓 हजार रूपए व पोबारी घाट मात्र केवल 𝟓𝟏 हजार रूपए छुटे थे। वर्ष 𝟐𝟎𝟏𝟕-𝟏𝟖 में गुमथला घाट 𝟏𝟕 लाख 𝟑𝟎 हजार रूपए व पोबारी घाट 𝟓𝟑 हजार 𝟓𝟎𝟎 रूपए में छुटे थे। वर्ष 𝟐𝟎𝟏𝟖-𝟏𝟗 में गुमथला घाट 𝟑𝟑 लाख व पोबारी घाट 𝟏𝟔 लाख 𝟓𝟓 हजार में छुटे थे। वर्ष 𝟐𝟎𝟏𝟗-𝟐𝟎 में गुमथला घाट 𝟕 लाख 𝟖𝟎 हजार व पोबारी घाट साढ़े 𝟏𝟎 लाख रूपए में अलॉट किए गए थे। 

वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟎-𝟐𝟏 में गुमथला घाट का ठेका 𝟖 लाख 𝟐𝟎 हजार में छुटा था। वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟏-𝟐𝟐 में गुमथला घाट का ठेका 𝟔 लाख 𝟓 हजार में छुटा था... वहीं पोबारी घाट का आगामी वर्ष 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 का ठेका अलॉट हो चुका है। लेकिन गुमथला घाट का आगामी वर्ष का ठेका अलॉट नहीं हुआ है।

बीडीपीओ रादौर, राजसिंह ने बताया कि चार बार बोली प्रक्रिया रखी जा चुकी है. लेकिन ठेकेदार बहुत ही कम बोली लगा रहे है... चोथी बार हुई बोली प्रक्रिया में गुमथला गांव के जोगिंद्र ठेकेदार ने सबसे अधिक ढ़ाई लाख रूपए बोली लगाई है। लेकिन इतनी कम राशि में ठेका अलॉट नहीं किया जा सकता। आगामी कार्रवाई के लिए अब उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा। उच्चाधिकारियों जो आदेश करेंगे, उस हिसाब से आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।


 


















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